प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि जब वह पहली बार प्रधानमंत्री बने तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें कॉल करके कहा था कि दोनों का एक स्पेशल कनेक्ट है. उन्होंने यह भी बताया कि जिनपिंग ने खुद भारत आने की इच्छा जताई और खासतौर पर गुजरात जाने की बात कही थी.
निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने बचपन से राजनीतिक सफर तक को लेकर कई ऐसी बातें बताई हैं, जो शायद ही कोई अभी तक जानता हो. इस दौरान उन्होंने शी जिनपिंग को लेकर भी बेहद अहम बात बताई है. उन्होंने कहा कि चीनी फिलोसफर ह्वेन त्सांग गुजरात में उनके गांव में रहे थे और वह चीन में शी जिनपिंग के गांव में भी रहे, जिसके वजह से चीनी राष्ट्रपति और उनके बीच स्पेशल कनेक्ट है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने कहीं पढ़ा था कि चाइनीज फिलोसफर ह्वेन त्सांग मेरे गांव में रहे थे तो उस पर एक फिल्म बनाने वाले थे. तब मैंने चीनी एंबेसी या किसी को चिट्ठी लिखी कि मैंने कहीं पढ़ा है कि आप ह्वेन त्सांग के लिए फिल्म बना रहे हैं तो मेरे गांव में वो रहते थे आप उसका भी जिक्र कहीं करना. उससे पहले मेरे गांव में रसिक भाई दवे थे. तो वो स्कूल के बच्चों से कहते थे कि कोई भी पत्थर मिले, जिस पर कुछ लिखा हो या नक्काशी हो तो उसको लाकर यहां एक जगह इकट्ठा कर देना. तब मुझे समझ आया कि वो ये कहना चाहते थे कि ये एक पुरातन गांव है. यहां एक हर पत्थर में कोई स्टोरी है. जब भी कोई व्यक्ति आएगा तो इसको करेगा, शायद ये कल्पना रही होगी. तो वो बात मेरे भी दिमाग में बैठ गई.’
उन्होंने आगे कहा, ‘साल 2014 में जब मैं प्रधानमंत्री बना तो दुनिया के लीडर्स एक कर्टसी कॉल करते हैं तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कर्टसी कॉल आया. उन्होंने शुभकामनाएं दी और खुद कहा कि मैं भारत आना चाहता हूं. मैंने कहा कि बिल्कुल स्वागत है आपका आप जरूर आइए. तो वह कहने लगे कि मैं गुजरात जाना चाहता हूं तो मैंने कहा कि ये तो और अच्छी बात है. तो उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे गांव वडनगर जाना चाहता हूं. उन्होंने कहा तुम्हें मालूम है क्यों मैं वहां जाना चाहता हूं, मैंने कहा नहीं. तो बोले तुम्हारा और मेरा स्पेशल नाता है. ह्वेन त्सांग सबसे ज्यादा समय तुम्हारे गांव में रहे थे और चीन वापस आने के बाद मेरे गांव में रहे तो ये हम दोनों का एक कनेक्ट है.’
पीएम मोदी ने बताया कि उनका जन्म नॉर्थ गुजरात के मेहसाणा जिले में हुआ था. वहां वडनगर छोटा सा गांव है. उन्होंने कहा, ‘जैसे हर किसी एक गांव था, वैसे ही मेरा भी गांव था. मेरा गांव एक प्रकार से गायकवाड स्टेट था तो गायकवाड स्टेट की विशेषता थी कि हर गांव में एजुकेशन के प्रति बड़े जागरुक थे. वहां एक तालाब होता था. पोस्ट ऑफिस, लाइब्रेरी थी. यानी गायकवाड स्टेट का गांव है तो ये सब चीजें होंगी ही होंगी. ऐसी वहां पर व्यवस्था थी. तो मैं उस गायकवाड स्टेट के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा. तो मेरा ख्याल है कि मैं बचपन में गायकवाड में ही रहा. वहां एक तालाब था तो स्वीमिंग करना सीख गए. मैं अपने घर के कपड़े धोता था तो मुझे तालाब जाने की इजाजत मिल जाती थी. बाद में वहां एक भागवताचार्य नारायणाचार्य हाई स्कूल था. वो भी एक तरह से चैरिटेबल था. तो मेरी स्कूली शिक्षा वहां से हुई. उस वक्त 10+2 नहीं होता था 11वीं कक्षा होती थी.’
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