Success Story: कभी-कभी जीवन हमें ऐसी परिस्थितियों में डाल देता है, जहां से निकलना असंभव-सा लगता है. परंतु कुछ लोग मुश्किलों को ही अपनी ताकत बना लेते हैं. यह सक्सेस स्टोरी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया, मगर दुनिया को एक ऐसा अविष्कार करके दे दिया, जो करोड़ों परिवारों में महिलाओं के जीवन को आसान बना दिया. साधारण से परिवार में पैदा हुए, मगर आज उनकी नेट वर्थ (2024 में) लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये (20.2 बिलियन डॉलर) है. उनकी कंपनी 80 से अधिक देशों में ऑपरेट करती है, और हजारों लोगों को रोजगार दे रही है.
हम जिस शख्सियत की बात कर रहे हैं, उनका नाम है जेम्स डायसन (James Dyson). हो सकता है कि इनके नाम से आप इन्हें न पहचानते हों, मगर जब इसने प्रोडक्ट के बारे में आप यकीनन जानते होंगे. इनका प्रोडक्ट है डायसन वैक्यूम क्लीनर (Dyson vacuum cleaner). अब सवाल हो सकता है कि वैक्यूम क्लीनर तो सैकड़ों कंपनियां बनाती हैं, फिर डायसन स्पेशल क्यों है? यह इसलिए स्पेशल है क्योंकि इसी कंपनी ने दुनिया का पहले बैगलेस वैक्यूम क्लीनर बनाया था. ऐसा वैक्यूम क्लीनर, जिसमें पाइप के साथ बैग जोड़ने की जरूरत नहीं रहती. इसे किसी और ने नहीं, बल्कि खुद जेम्स डायसन ने डिजाइन किया था. भारत में मारवाड़ी लोग बिजनेस में सफल होने के लिए प्रख्यात हैं. यदि जेम्स डायसन को इंग्लैंड का मारवाड़ी कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
5000 से अधिक प्रोटोटाइप किए टेस्ट1970 के दशक में उन्होंने देखा कि पारंपरिक वैक्यूम क्लीनर का सक्शन बैग भरने के साथ कमजोर हो जाता है. इस समस्या को हल करने के लिए उन्होंने “सायक्लोनिक सेपरेशन” की तकनीक अपनाई, जिसे उन्होंने इंडस्ट्रियल मिलों में देखा था. वे लगातार पांच साल तक मेहनत करते रहे. हर दिन नए-नए प्रोटोटाइप बनाकर टेस्टिंग करते रहे. पांच वर्षों में उन्होंने 5,000 से अधिक प्रोटोटाइप बनाए और टेस्ट किए. जब तक उन्हें खुद यकीन नहीं हो गया कि एकदम परफेक्ट प्रोडक्ट तैयार है, वह रुके नहीं. 1983 में उन्होंने पहला बैगलेस वैक्यूम क्लीनर बना दिया.
अपना वैक्यूम क्लीनर लेकर वे कई बड़ी कंपनियों के पास गए, लेकिन कंपनियों ने उनके अविष्कार को रिजेक्ट कर दिया. कंपनियों को डर था कि यदि इस क्लीनर को बाजार में उतारा गया तो उनके रिप्लेसमेंट बैग वाला धंधा चौपट हो जाएगा. जब किसी ने भी डायसन को सपोर्ट नहीं किया तो उन्होंने जापान में खुद अपना प्रोडक्ट लॉन्च किया. इसे G-Force ब्रांड के तहत बाजार में उतारा गया. चूंकि यह लोगों के लिए काफी अलग और सुविधाजनक था, इसलिए मांग तेजी से बढ़ी. जापान से कुछ पैसा कमाने के बाद वे इस लायक हो गए थे कि इस टेक्नोलॉजी को इंग्लैंड में लॉन्च किया जा सके.
1991 में उन्होंने अपनी कंपनी बनाई, जिसका नाम रखा गया “डायसन लिमिटेड”. इस कंपनी ने न केवल वैक्यूम क्लीनर बनाए, बल्कि बिना ब्लेड वाले पंखे, एयर प्यूरीफायर और एडवांस हैंड ड्रायर जैसे प्रोडक्ट्स भी बनाए. इनके डिजाइन इतने आकर्षक थे कि ग्राहकों को पहली नजर में ही पसंद आ जाते थे. अच्छी क्लाविटी के चलते प्रोडक्ट और भी बेहतर हो जाते थे.
2002 में उन्होंने प्रोडक्शन मैन्युफैक्चरिंग को मलेशिया में ट्रांसफर करने का फैसला लिया, ताकि लागत को घटाया जा सके. इंग्लैंड में इसकी खूब आलोचना हुई, लेकिन वे अपने इरादों से पलटे नहीं, क्योंकि वे ग्राहकों को सस्ते उत्पाद मुहैया कराना चाहते थे. उनके इस फैसले ने कंपनी को वैश्विक स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद की. उन्होंने अपने मुनाफे का बड़ा हिस्सा रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश किया. उनकी टीम ने रोबोटिक्स, बैटरी सिस्टम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उल्लेखनीय प्रगति की.
उन्होंने इलेक्ट्रिक कारों के क्षेत्र में कदम रखा, लेकिन 2019 में इस प्रोजेक्ट में हाई कॉस्टिंग और कंपीटिशन के कारण बंद कर दिया. इसके बावजूद उन्होंने बैटरी और रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी में निवेश जारी रखा.
पहली खोज भी थी खास, मगर…जेम्स डायसन का पहला आविष्कार “बॉलबैरो” था. यह एक पहिये वाली गाड़ी थी, जिसमें कोई चीज डालकर उसे धकेलकर एक जगह से दूसरी जगह तक मूव किया जाता था. डायसन ने जो गाड़ी बनाई, उसमें पहिये की जगह पर एक गेंद था. पहिए की जगह पर गेंद लगाने से गाड़ी को असमतल जगहों पर काम करने में आसानी होती थी. हालांकि, इसके कमर्शियलाइजेशन में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और बाद में उन्होंने इस दिशा में अपने काम को आगे नहीं बढ़ाया.
जेम्स डायसन का जीवनइस महान आविष्कारक का जन्म 2 मई 1947 को इंग्लैंड के क्रोमर (नॉरफोक) में हुआ. उनका बचपन साधारण था. नौ साल की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को कैंसर के कारण खो दिया. इस दुखद घटना ने उन्हें जीवन में संघर्ष तो लाया, लेकिन उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया. उन्होंने इंग्लैंड के ग्रेशम स्कूल में पढ़ाई की. वह पढ़ाई में काफी साधारण स्टूडेंट थे, लेकिन डिजाइन और जटिल समस्याओं को हल करने में उनकी गहरी रुचि थी.
उन्होंने लंदन के बायम शॉ स्कूल ऑफ आर्ट से कला और डिजाइन की पढ़ाई शुरू की. जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि उनकी रुचि इंडस्ट्रियल डिजाइन और इंजीनियरिंग में है. इसके बाद, उन्होंने रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने उत्पाद डिजाइन पर ध्यान केंद्रित किया. यहीं पर उन्होंने इंजीनियरिंग की मूलभूत अवधारणाएं सीखीं.
1968 में उन्होंने डीर्ड्रे हिंडमार्श से शादी की. डीर्ड्रे एक चित्रकार और कला इतिहासकार हैं. उनके तीन बच्चे हैं- एमिली डायसन, सैम डायसन, और जेक डायसन. जेक डायसन ने अपने पिता की तरह आविष्कार और डिजाइन को अपनाया, और कंपनी में प्रमुख भूमिका निभाई.
जेम्स डायसन की नेट वर्थब्लूमबर्ग के लाइव डेटा के अनुसार, जेम्स डायसन की नेट वर्थ 20.2 बिलियन डॉलर है. भारतीय रुपयों में 1.7 लाख करोड़. हालांकि 2021 में उनकी नेटवर 29 बिलियन डॉलर थी.
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी ने 2023 में 7.1 बिलियन पाउंड (9 बिलियन डॉलर) का रेवेन्यू दर्ज किया. यह वैल्यूशन तीन सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली सहयोगी कंपनियों: डी’लॉन्गी (De’Longhi), टेकट्रॉनिक इंडस्ट्रीज (Techtronic Industries) और एसईबी (SEB) के एवरेज इंटरप्राइज वैल्यू-टू-सेल और इंटरप्राइज वैल्यू-टू-इबिटा को गुना करने के बाद आती है.
डायसन के पास कृषि भूमि भी है, जिसका मूल्यांकन उसके नेट वर्थ मूल्य के आधार पर किया जाता है, जैसा कि होल्डिंग कंपनी डायसन फ़ार्मिंग के 2023 के खातों में बताया गया है. ब्लूमबर्ग ने लिखा है- एक प्रॉपर्टी ब्रोकर के अनुसार, जिसने पहचान न बताने का अनुरोध किया, उसकी 300 एकड़ की ग्लूस्टरशायर संपत्ति का मूल्यांकन क्षेत्र में समान परिसंपत्तियों के लिए बाजार मूल्य पर किया जाता है, क्योंकि यह जानकारी निजी है.
Tags: Business empire, Success Story, Successful business leadersFIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 12:18 IST
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News