Last Updated:January 11, 2025, 22:34 ISTआनंद महिंद्रा ने 90 घंटे काम करने की सलाह पर कहा कि काम के घंटे नहीं, बल्कि काम की गुणवत्ता मायने रखती है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जीवन में संतुलन बनाना चाहिए और घर-परिवार को भी समय देना चाहिए.हाइलाइट्सआनंद महिंद्रा ने 90 घंटे काम वाली बहस पर दिया जवाब.महिंद्रा: काम की गुणवत्ता ज्यादा मायने रखती है, घंटे नहीं.महिंद्रा सोशल मीडिया प्रेमी होने के साथ ही पत्नी प्रेमी भी हैं.नई दिल्ली. महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने एल एंड टी (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन के 90 घंटे काम करने की सलाह पर अपनी प्रतिक्रिया दी. महिंद्रा का कहना है कि काम के घंटे का कोई महत्व नहीं है, बल्कि ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि काम कितना प्रभावी और किस क्वालिटी का है. महिंद्रा ने ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025’ में एक साक्षात्कार के दौरान इस मुद्दे पर बात की और कहा, “यह मत पूछिए कि मैंने कितने घंटे काम किए, बल्कि यह पूछिए कि मैंने कितना अच्छा काम किया.”
हाल ही में, एल एंड टी के चेयरमैन सुब्रमण्यन ने कर्मचारियों से रविवार को भी काम करने की बात कही थी और यह भी कहा था कि “कितने समय तक आप अपनी पत्नी को देख सकते हैं?” उनके इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दिया है, क्योंकि कई लोगों ने इसे वर्कप्लेस पर खराब वर्क कल्चर को बढ़ावा देने वाला बताया.
मेरी पत्नी प्यारी हैंआनंद महिंद्रा से जब सोशल मीडिया पर इतना एक्टिव रहने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ मजाकिया अंदाज में इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा, “मैं सोशल मीडिया पर एक्टिव हूं इसका मतलब यह नहीं कि मैं अकेला हूं. मेरी पत्नी बहुत प्यारी हैं, मुझे उन्हें देखते रहना बहुत पसंद है. सोशल मीडिया मेरे लिए एक अद्भुत व्यापारिक उपकरण है, यहां मैं 11 मिलियन लोगों से सीधा फीडबैक प्राप्त करता हूं. मैं यहां दोस्त बनाने के लिए नहीं आता.”
जिंदगी का संतुलनमहिंद्रा का मानना है कि एक व्यक्ति तभी बेहतर निर्णय ले सकता है जब उसकी जिंदगी का संतुलन सही हो. उन्होंने कहा, “अगर आप घर पर समय नहीं बिता रहे हैं, दोस्तों के साथ नहीं हैं या पढ़ाई के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो आप कैसे अच्छे फैसले ले सकते हैं?”
मानसिक संतुलन को नजरअंदाज करता बयानसुब्रमण्यन के बयान के बाद कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि उनका बयान वर्क लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को नजरअंदाज करता है. यह बयान इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम करने के सुझाव से मिलता-जुलता है, जिसे भी काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
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