Last Updated:January 10, 2025, 19:15 ISTचीन का पेंशन सिस्टम गंभीर संकट में है. घटती जन्मदर, बढ़ते बुजर्ग और युवाओं द्वारा पेंशन में कम योगदान से समस्या बढ़ रही है. 2035 तक 40 करोड़ लोग रिटायर होंगे, जिससे पेंशन फंड पर भारी दबाव होगा. चीन में पेंशन फंड खत्म होने की कगार पर है.हाइलाइट्सचीन का पेंशन सिस्टम संकट में है.तेजी से बढ़ती वृद्ध जनसंख्या चिंता का विषय.युवाओं का पेंशन में योगदान कम होना समस्या बढ़ा रहा है.नई दिल्ली. चीन का पेंशन सिस्टम गंभीर संकट का सामना कर रहा है, जो देश की अर्थव्यवस्था और समाज के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. दशकों तक चली सख्त वन चाइल्ड पॉलिसी और तेजी से बढ़ती वृद्ध जनसंख्या ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है. चीन का पेंशन सिस्टम तीन स्तंभों पर आधारित है—सरकारी अनिवार्य पेंशन, कॉरपोरेट पेंशन, और व्यक्तिगत पेंशन. लेकिन इन तीनों में से कोई भी पर्याप्त धन नहीं जुटा पा रहा है, जिससे आने वाले वर्षों में पेंशन फंड के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, युवा वर्ग का पेंशन फंड में योगदान करने से इनकार इस समस्या को और गहरा बना रहा है. बढ़ती जीवन लागत और सिस्टम में पारदर्शिता की कमी के चलते युवा पीढ़ी इसे बोझ मान रही है. इसके अलावा, हर साल लाखों लोगों के रिटायर होने और श्रमशक्ति में गिरावट के कारण पेंशन फंड पर दबाव बढ़ रहा है. सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने और नई योजनाएं लागू करने जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन यह उपाय फिलहाल इस संकट को हल करने के लिए अपर्याप्त नजर आ रहे हैं.
क्यों है पेंशन सिस्टम खतरे में?चीन का पेंशन सिस्टम तीन स्तंभों पर आधारित है
सरकारी अनिवार्य पेंशन सिस्टमयह सबसे बड़ा फंड है, जो लगभग 1.1 अरब लोगों को कवर करता है. इसमें कर्मचारियों और नियोक्ताओं का योगदान होता है. कर्मचारी अपनी आय का 8% योगदान देते हैं, जबकि नियोक्ता 16% का योगदान करते हैं. लेकिन यह फंड मौजूदा रिटायर लोगों को भुगतान के लिए इस्तेमाल होता है, जिससे इसमें भविष्य के लिए बचत नहीं हो पाती.
कॉरपोरेट पेंशन सिस्टमयह कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए तैयार किया गया है. इसमें केवल 3.1 करोड़ लोग शामिल हैं, जो कुल जनसंख्या का एक छोटा हिस्सा है.
व्यक्तिगत पेंशन सिस्टम2022 में शुरू हुआ यह सिस्टम अभी शुरुआती चरण में है. यह एक स्वैच्छिक योजना है, जिसमें केवल 6 करोड़ लोग शामिल हुए हैं.
मुख्य कारण: क्यों गहराया संकट?
1. गिरती जनसंख्या और ‘4-2-1’ संरचनाचीन में दशकों तक एक बच्चे की नीति लागू रहने से जनसंख्या में तेज गिरावट आई. अब हर युवा को दो माता-पिता और चार दादा-दादी की देखभाल करनी पड़ती है. इसके कारण श्रमशक्ति तेजी से घट रही है.2022 में चीन की जनसंख्या में पहली बार गिरावट दर्ज की गई. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2100 तक चीन की जनसंख्या आधी हो सकती है.
2. युवाओं की घटती भागीदारीचीन के युवा पेंशन में योगदान करने से बच रहे हैं. फ्रीलांस काम करने वाले और अस्थायी नौकरी करने वाले कई लोग पेंशन में योगदान नहीं करते क्योंकि यह उनके लिए वैकल्पिक है. 2023 में 20% शहरी कर्मचारियों ने पेंशन में योगदान नहीं किया. सिर्फ 2013 में ही 3.8 करोड़ लोगों ने पेंशन में योगदान देना बंद कर दिया.
3. आर्थिक दबाव और बढ़ती लागतचीन में जीवन यापन की लागत तेजी से बढ़ी है. युवा पीढ़ी का मानना है कि उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा पेंशन में डालने से उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा.
4. बढ़ते रिटायर लोग2035 तक चीन में 60 साल से ऊपर के लोगों की संख्या 40 करोड़ तक पहुंच सकती है. हर साल 2 करोड़ से अधिक लोग रिटायर हो रहे हैं. मौजूदा पेंशन सिस्टम में इतनी बड़ी आबादी को सपोर्ट करने की क्षमता नहीं है.
भविष्य की चुनौतियां और जोखिमअगर पेंशन फंड खत्म हो जाता है, तो यह जनता में सरकार के प्रति विश्वास को कम करेगा. कई लोग सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा सकते हैं. युवाओं में काम करने और योगदान देने का उत्साह कम हो सकता है. एक कमजोर पेंशन सिस्टम का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. कम उपभोग और निवेश से आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है. सामाजिक सुरक्षा तंत्र के टूटने से देश में असमानता बढ़ सकती है. चीन की कमजोर अर्थव्यवस्था का असर वैश्विक बाजारों और सप्लाई चेन पर भी पड़ेगा.
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