सीरिया में बशर अल-असद के तख्तापलट पर क्या कह रहा अमेरिका-रूस-ईरान और पाकिस्तान का मीडिया?

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Bashar al Asad ousted: सीरिया में बसर अल असद की सरकार 8 दिसंबर 2024 को गिर गई. विद्रोहियों ने पहले से ओलप्पो, हमा और होम्स शहरों पर कब्जा कर लिया था.  बीते दिन इन विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया. इसके बाद पहले से तनाव की मार झेल रहे पश्चिम एशिया एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. दुनिया भर की मीडिया बसर अल असद की सरकार के गिरने को लेकर कवरेज कर रही है. 

सीरिया से करीबी रिश्ते रखने वाली ईरान की सरकार ने कहा है कि वह भविष्य की सरकार के साथ रिश्ते रखेंगी. वहीं ईरानी अखबार तेहरान टाइम्स ने ‘ईरान को अंधेरे में छोड़कर, गई असद सरकार’ नाम से हेडलाइन लगाई है. 

तेहरान टाइम्स ने अपने होम पेज सीरिया की खबरों को प्रमुखता से जगह दी है. इसमें एक खबर है जिसकी हेडलाइन है,’ पचास साल में पहली बार सीरिया की सरजमीं पर इजरायली टैंक दाखिल’ ईरान इंटरनेशनल ने लिखा कि सीरिया में ईरान के राजदूत हुसैन अकबरी ने रविवार (8 दिसंबर 2024) को बशर अल-असद को लेकर एक बयान दिया. इसमें उन्होंने कहा, “बशर अल-असद ने केवल एक अपराध किया था. और वो यह था कि असद ईरान समर्थक एक्सिस ऑफ रजिस्टेंस में शामिल थे.”

क्या कह रहा रुस और वहां का मीडिया? 

अल असद की सरकार के लिए माना जाता है कि वह रूस की शह पर इतने सालों तक सत्ता में बना रहा. रूस के विदेश मंत्रालय ने बीते दिन कहा कि राष्ट्रपति बशर अल असद ने अपना दफ्तर छोड़ चुके हैं.  रूसी प्रेस एजेंसी तास ने क्रेमिलन के हवाले से बताया है कि बशर अल असद मॉस्को मे शरण लिए हुए हैं. वहीं रूस का स्वतंत्र अखबार द मॉस्को टाइम्स ने सीरिया की घटना की जोरदार कवरेज की है. अखबार लिखता है, मॉस्को में सीरियाई दूताबास में बशर के सत्ता से बेदखल होते ही विद्रोहियों के झंडे लगा दिए गए.” 

अखबार ने अपने पन्ने पर 2019 की लिखी एक खबर को भी जगह दी है जिसमें बशर अल असद की कुल संपत्ति का जिक्र किया गया है. अखबार लिखता है, “रूस असद परिवार के लगभग 50 साल के शासन में उसका कट्टर सहयोगी रहा है. क्रेमलिन ने 2015 में असद को अपना सैन्य समर्थन दिया, जिससे दमिश्क को आठ साल के गृहयुद्ध में सीरिया के अधिकांश हिस्से को वापस पाने में मदद मिली.”

अमेरिकी मीडिया की सीरिया में गहरी दिलचस्पी?

सीरिया में बशर अल असद के अपदस्थ होने के बाद अमेरिकी मीडिया में इसकी कवरेज की होड़ लगी है. द वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है,  “राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिकी सेना ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के शिविरों और आतंकवादियों पर हमला किया है और कहा कि अमेरिका अपने साझेदारों के साथ मिलकर इस चिंता को दूर करने के लिए काम कर रहा है कि चरमपंथी समूह असद के रूस चले जाने से पैदा हुए सत्ता शून्यता का फायदा उठा सकते हैं.” 

अखबार लिखता है, राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि तानाशाह को सत्ता से हटाने वाले विद्रोही समूहों का अपना “आतंकवाद का भयानक रिकॉर्ड” था. वे अब सही बातें कह रहे हैं. लेकिन जैसे-जैसे वे अधिक जिम्मेदारी लेंगे, हम न केवल उनके शब्दों का बल्कि उनके कार्यों का भी मूल्यांकन करेंगे.”

पाकिस्तानी मीडिया में क्या है चर्चा? 

पाकिस्तान की ज्यादातर मीडिया में सीरिया के मसले पर बहुत सक्रिय कवरेज नहीं दिख रही है. पाकिस्तान की बहुचर्चित अखबार डॉन ने ‘दमिश्क आजाद है?’ हेडलाइन से एक ओपिनियन पीस को जगह दी है. अखबार ने एक दूसरी खबर का हेडलाइन दिया है- ‘सीरिया की राजधानी पर विद्रोही बलों के कब्जे के बाद अपदस्थ असद और उनका परिवार मॉस्को में ‘

अखबार लिखता है, “सीरिया के हालातों के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उन्होंने सेना को इजरायल के कब्जे वाले और सीरिया के नियंत्रण वाले गोलान हाइट्स के बीच संयुक्त राष्ट्र गश्त वाले बफर जोन पर “कब्जा” करने का आदेश दिया है.”

सीरिया में बशर अल-असद का तख्तापलट होते ही इजरायल ने अमेरिका के साथ मिल कर किया बड़ा खेल!

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