बकिंघम पैलेस जितने बड़े स्पेस स्टेशन में फंसी सुनीता विलियम्स: पसीने-पेशाब से बना पानी पी रहीं; धरती से 400KM ऊपर कैसी है एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी

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16 मिनट पहले

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सुनीता विलियम्स की यह तीसरी स्पेस ट्रिप है। वह 3 बार स्पेस में जाने वालीं इकलौती भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट हैं।

तारीख- 6 जून, समय- रात के 11 बजे। बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट भारतवंशी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचता है। स्पेसक्राफ्ट में खराबी की वजह से 8 दिन की यह यात्रा 8 महीने में बदल जाती है।

सुनीता और बुच अगले साल फरवरी में धरती पर लौट सकते हैं। फिलहाल वे ISS में 9 दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक 6 बेडरूम वाले घर जितनी जगह में रह रहे हैं। सुनीता इसे अपनी पसंदीदा जगहों में से एक बताती हैं। वहीं बुच विल्मोर का कहना है कि वे भाग्यशाली हैं जो उन्हें ISS में रहने को मिला है।

तो धरती से 400 किमी ऊपर रहना कैसा होता होगा? अंतरिक्ष यात्री कपड़े धोने और खाना खाने जैसे जरूरी काम कैसे करते होंगे…

एस्ट्रोनॉट्स के हर काम को धरती से किया जाता है मॉनिटर अंतरिक्ष यात्रियों के हर 5 मिनट को धरती पर मिशन कंट्रोल टीम मॉनिटर करती है। एस्ट्रोनॉट सुबह जल्दी उठते हैं। साढ़े 6 बजे वे अपने फोन बूथ जितने बड़े स्लीपिंग क्वार्टर से निकलकर ‘हार्मनी’ नाम के ISS मॉड्यूल में पहुंचते हैं। यह एक कॉमन रूम जैसा होता है। ISS मॉड्यूल से निकलकर एस्ट्रोनॉट बाथरूम जाते हैं। स्पेस स्टेशन में मौजूद उनके पसीने और पेशाब को रिसाइकिल कर पीने के लिए पानी बनाया जाता है।

इसके बाद एस्ट्रोनॉट अपना काम शुरू करते हैं। ISS पर ज्यादातर समय रखरखाव या एक्सपेरिमेंट्स करने में जाता है। ब्रिटेन के राजमहल बकिंघम पैलेस या एक अमेरिकी फुटबॉल फील्ड जितने बड़े स्पेस स्टेशन में ऐसा लगता है जैसे कई बसों को एक साथ खड़ा कर दिया गया है। कनाडाई अंतरिक्ष यात्री क्रिस हैडफील्ड के मुताबिक, कई बार आधा दिन खत्म होने तक दूसरे एस्ट्रोनॉट्स से मुलाकात भी नहीं होती।

स्पेस स्टेशन में 104 दिन बिता चुके नासा के एस्ट्रोनॉट निकोल स्टॉट कहते हैं कि स्लीपिंग क्वार्टर में दुनिया के सबसे अच्छे स्लीपिंग बैग मौजूद हैं। अंतरिक्ष यात्रियों के कम्पार्टमेंट में लैपटॉप होता है। इसके जरिए वे परिजनों से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा यहां उनका निजी सामान और किताबें मौजूद रहती हैं।

समय बचाकर गाने और परिजनों के लिए चिट्ठियां लिखते हैं अंतरिक्ष यात्री ISS में एक्सपेरिमेंट्स के लिए 6 लैब मौजूद हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को लगातार स्पेस स्टेशन के वातावरण में अपने हार्ट, ब्रेन और ब्लड को मॉनिटर करना होता है। हैडफील्ड ने बताया कि एस्ट्रोनॉट्स अक्सर मिशन कंट्रोल के शेड्यूल से जल्दी काम खत्म करने की कोशिश करते हैं।

अगर वे 5 मिनट भी बचा लेते हैं तो इसमें वे स्टेशन से बाहर अंतरिक्ष में उड़ती चीजों को देखते हैं। वे अक्सर गाने लिखने, तस्वीरें लेने और अपने बच्चों या घरवालों के लिए चिट्ठी लिखने जैसे काम करते हैं। काम के बीच में एस्ट्रोनॉट्स के लिए दिन में 2 घंटे एक्सरसाइज करना जरूरी होता है। इस दौरान वे अलग कपड़े पहनते हैं।

दरअसल, स्पेस स्टेशन में ग्रैविटी नहीं होने की वजह से पसीना शरीर से अलग नहीं होता है। इस कारण ISS में एक्सरसाइज करने पर ज्यादा पसीना आता है। हालांकि, इसके अलावा स्पेस में कपड़े जल्दी गंदे नहीं होते हैं।

ISS में सबसे बड़ा चैलेंज खाने का होता है। एस्ट्रोनॉट निकोल स्टॉट ने बताया कि अगर अंतरिक्ष में कोई व्यक्ति खाने का पैकेट खोलता है, तो अक्सर उसमें से कुछ छिटक जाता है। इसके बाद वह चीज ISS में उड़ती रहती है। सभी अंतरिक्ष यात्री उससे बचने की कोशिश कर रहे होते हैं।

घर से आते हैं खास फूड पैकेट्स, सोने के लिए 8 घंटे का समय नासा साल में कुछ बार स्पेसक्राफ्ट में एस्ट्रोनॉट्स के लिए जरूरी सामान भेजता रहता है। इसमें कपड़े, इक्विपमेंट्स, खाने का सामान जैसे चीजें शामिल होती हैं। पूरे दिन के काम के बाद रात में ISS का पूरा क्रू खाना खाता है। अलग-अलग फूड पैकेट्स में खाने का सामान बंद कर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भेजा जाता है। कई बार एस्ट्रोनॉट्स के परिजन उनके लिए बोनस पैकेट्स भी भेजते हैं।

सारा काम खत्म होने के बाद एस्ट्रोनॉट्स अपने कम्पार्टमेंट में सोने के लिए लौट जाते हैं। उन्हें 8 घंटे की नींद का समय मिलता है। लेकिन इस दौरान कई लोग काफी देर तक अपनी खिड़की से बाहर धरती की तरफ देखते रहते हैं। पृथ्वी को 400 किमी की दूरी से देखना का अनुभव बेहद अलग और खास होता है।

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