SYRIA UPDATE : सीरिया की असद सरकार के तख्तापलट ने पूरे वर्ल्ड ऑर्डर को बदल कर रख दिया है. एक झटके में रूस, इरान का दबदबा तो खत्म हो गया साथ ही BRI प्रोजेक्ट के तहत सीरिया में चीन का लगाया पैसा भी बर्बाद होता नजर आ रहा है. इस डेवलपमेंट से सबसे ज्यादा परेशान चीन भी होगा. जो कि लंबे समय से असद सरकार का करीबी सहयोगी रहा है. चीन के कदम सीरिया में जमाने के लिए असद ने ही मदद की. रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर शार्देंदु (रिटायर्ड) का कहना है कि चीन इरान, इराक , सीरिया, तुर्की से रूस के बीच एक कॉरिडोर बनाना रहा है. लेकिन सीरिया के हाथ से जाते ही ये लिंक पूरी तरह से टूट गया. हालाँकि चीन की सेना की सीधा दखल तो सीरिया में नहीं था लेकिन अमेरिकी पहले ही अलग अलग तराके के प्रतिबंध के नाम पर चीन को पैर जमाने का मौक़ा नहीं दे रहा था और अब तो और नहीं देगा. इस वक्त रूस-चीन वाला इस्टर्न ब्लाक और अमेरिका-यूरोप वाला वेस्टर्न ब्लाक मिडिल ईस्ट में भिडते नजर आ रहे है.
अरबों डॉलर के चीनी निवेश पर ख़तरा
2009 में चीन और सीरिया के बीच व्यापार 2.2 अरब डॉलर था. गृहयुद्ध के चलते व्यापार में गिरावट आई, लेकिन युद्ध के बाद पुनर्निर्माण के लिए चीन ने अरबों डॉलर निवेश करने की योजना बनाई थी. 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के दौरान भी चीन ने रूस और इरान के साथ मिलकर असद की सरकार को समर्थन जारी रखा था. 2016 में सीरिया में असद की सरकार के आते ही चीन का निवेश 100 गुणा बढ़ गया. जो निवेश 2016 में 5 लाख डॉलर था वो बढ़कर 2017 में 5 करोड़ डॉलर पहुँच गया. चीन ने तो लंबा इंवेस्टमेंट सीरिया में किया वो भी ऑयल एंड गैस के क्षेत्र में 300 करोड़ डॉलर की निवेश किया हुआ है. साल 2022 में सीरिया चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव का हिस्सा बना और रोड, रेल और पोर्ट के निर्माण में हिस्सेदार हो गया. अब जब असद नहीं है तो चीन को अपने निवेश को लेकर डर सताने लगा है.
अमेरिकी असर क्या कर देगा चीन को सीरिया में बेअसर
दुनिया को मल्टी पोलर से बाई पोलर में तब्दील करने वाले अमेरीका और चीन नहीं चाहते कि कोई भी एक दूसरे से बड़ा हो जाए. रूस , इरान और चीन जैसे बडे देश सीरिया की असद सरकार को सपोर्ट करने वाले देश रहे है तो अमेरिका ठीक इसके उलट असद की सरकार को हटाने के लिए कई बार कोशिश की पर सफल नहीं हो सका. अब जब गोलानी ने मोर्चा खोला तो अमेंरिका के साथ साथ इजराइल भी उसके साथ नजर आया. अब अमेरिका के पास चीन के बढते बीआरआई के कदम पर ब्रेक लगाने का मौका जरूर हाथ लग गया. हांलाकि चीन भी इस पूरे डेवल्पमेंट को बडी ही करीब से देख रहा है. शी जिनपिंग ने चीनी के दबदबे और व्यापर को बढ़ाने के मकसद से 2013 में BRI यानी कि बेल्ट रोड इनिशिएटिव को लॉंच किया. अब तक एशिया, अफ़्रीका, यूरोप और साउथ अमेरिका के 150 देशों और 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ 200 से ज़्यादा BRI कोऑपरेशन एग्रीमेंट कर चुका है. उसी के तहत सीरिया की असद सरकार के साथ साल 2022 में ये एग्रीमेंट किया. क्योंकि चीन को पता है की सीरिया अफ़्रीका, एशिया और यूरोप को जोडने के लिया एक महत्वपूर्ण कड़ी है. लेकिन अब वो जरूर परेशान होगा क्योकि BRI प्रोजेक्ट का भविष्य अब आतंकी सरकार के हाथ में है
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 19:49 IST
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