Made in China 2025: चीन अगले कुछ सालों में मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में दुनिया पर राज करने वाला है. बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चीन ने एक रिपोर्ट जारी की है, इसमें दावा किया गया है कि मेड इन चाइना 2025 से चीन स्मार्ट मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में दुनिया के सभी देशों को पीछे छोड़ देगा. करीब 10 पहले शुरू की गई मेड इन चाइना प्रोजेक्ट का उद्देश्य चीन को एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक कार, रोबोटिक्स और दूरसंचार सहित हाई टेक्नोलॉजी वाले इंडस्ट्री में सबसे बेहतर बनाना था.
मेड इन चाइना से चीन को मिल रहा लाभ
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक रेनमिन यूनिवर्सिटी के डीन वांग वेन ने बताया कि हाल के कुछ सालों में वैश्विक प्रतिरोध खासकर अमेरिका से अलग-अलग नीतियों को लेकर हुए टकराव के बाद भी चीन को कई प्रमुख क्षेत्रों में तरक्की हासिल करने में मदद मिली है. मेड इन चाइना 2025 पर बीजिंग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान तो सामने नहीं आया है, लेकिन पिछले साल बताया गया था कि इस योजना में निर्धारित लक्ष्यों में से 86 फीसदी हासिल कर लिए गए हैं.
अगले 5 से 10 सालों में होगी चीन की बादशाहत
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने (फरवरी 2025) चीन की तरक्की और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग को लेकर अमेरिकी संसद में चिंता व्यक्ति की थी. साथ ही चेतावनी दी थी कि अमेरिका अगली औद्योगिक क्रांति को खोने का जोखिम उठा रहा है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन आमने-सामने हैं. ग्रैंड व्यू रिसर्च के आंकड़ों का हवाला देते हुए वांग वेन ने कहा, “चीन को अपनी मैन्युफैक्चरिंग पावर को लगातार बढ़ाना होगा. ऐसा करने से चीन अगले 5 से 10 सालों में ग्लोबल स्मार्ट मैन्यूफैक्चरिंग का केंद्र बन जाएगा.”
चीन का मैन्युफैक्चरिंग मार्केट होगा सबसे बड़ा
यूएस कंसल्टेंसी ने अनुमान लगाया है कि चीन ग्लोबल स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग मार्केट का नेतृत्व करेगा, जहां टैक्स 18.2 फीसदी वार्षिक दर से बढ़कर 2030 तक 158.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा. कंपनी के अनुसार इस बीच यूएसए का स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग मार्केट 2030 तक 13.6 फीसदी प्रति वर्ष की बढ़ोतरी के साथ 152.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा. चीन का अगला टास्क मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एआई सहित नई टेक्नोलॉजी के एकीकरण को बढ़ावा देना होगा. रेनमिन यूनिवर्सिटी के रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यस्था की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक या 60 फीसदी तक बढ़ जाएगी.
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