शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रंप ने मचाई खलबली, खुद अमेरिकी थे परेशान, तभी कोर्ट ने कहा- अरे रुको जरा

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Last Updated:January 24, 2025, 07:11 IST

Donald Trump News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेते ही एक बड़ा फैसला लिया. वह था बर्थराइट सिटिजनशिप यानी जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करना. इससे ऐसी खलबली मची कि मामला अदालत पहुंचा. अब अमेरिकी कोर्…और पढ़ें

अमेरिकी कोर्ट ने बर्थराइट सिटिजनशिप पर डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश पर रोक लगाई

हाइलाइट्स

  • ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने का आदेश दिया.
  • अमेरिकी कोर्ट ने ट्रंप के आदेश पर रोक लगाई.
  • 22 राज्यों ने ट्रंप के आदेश को चुनौती दी.

Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप जब से राष्ट्रपति पद की कुर्सी पर बैठे हैं, ताबड़तोड़ नए फैसले ले रहे हैं. कभी कनाडा-मैक्सिको पर टैरिफ तो कभी अवैध इमिग्रेशन पर सख्ती. उन्होंने शपथ लेने के बाद कई एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए. इससे कभी अन्य देशों में खलबली मची तो कभी उनके अपने ही घर में. जी हां, राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने बर्थराइट सिटिजनशिप यानी जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किया था. इससे अमरिकियों की नींद उड़ गई. कई अमेरिकियों को नागरिकता जाने का खतरा सताने लगा. आनन-फानन में सभी अदालत पहुंचे. पर अब अमेरिकी अदालत से डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने के ऑर्डर पर रोक लगा दी है.

दरअसल, सीऐटल में एक फेडरल जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिसका मकसद जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करना है. जज ने इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक करार दिया है. अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन कफेनोर ने गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. जज जॉन कफेनोर ने कहा कि यह आदेश संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई, जब एरिजोना, इलिनोइस, ओरेगन और वाशिंगटन सहित कई राज्यों की ने ट्रंप के आदेश को चुनौती दी है. उनका तर्क है कि ट्रंप का जन्मसिद्ध नागरिकता वाला कार्यकारी आदेश गैरकानूनी है.

22 राज्यों ने दी है चुनौती
यह मामला विवादास्पद कार्यकारी आदेश के खिलाफ पहली कानूनी चुनौती है. डोनाल्ड ट्रंप ने इस आदेश पर अपने शपथ ग्रहण के दिन हस्ताक्षर किए थे. इसे 19 फरवरी से लागू किया जाना था. जन्मसिद्ध नागरिकता आदेश के खिलाफ मुकदमे में अमेरिका के 22 राज्य और अप्रवासी अधिकार समूह शामिल हैं. इनमें कई अमेरिकी नागरिकों की गवाही भी शामिल है. इनमें से कुछ 14वें संशोधन की जन्मसिद्ध नागरिकता की गारंटी के तहत पैदा हुए थे.

कोर्ट में क्या-क्या हुआ
सुनवाई के दौरान रोनाल्ड रीगन की ओर से नियुक्त जज कफेनॉर ने न्याय विभाग के वकील ब्रेट शुमेट से आदेश के कानूनी आधार के बारे में सवाल किया. जब शुमेट ने अपना पक्ष रखने के लिए और समय मांगा तो जज ने कहा कि सुनवाई उनके तर्क रखने के लिए उचित स्थान थी. कार्यकारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में तर्क दिया गया है कि यह अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन को कमजोर करता है, जिसने एक सदी से भी अधिक समय से अमेरिकी धरती पर पैदा हुए किसी भी व्यक्ति के लिए नागरिकता की गारंटी दी है. जूस सोलिस के रूप में जाना जाने वाला यह सिद्धांत अमेरिकी आव्रजन नीति की आधारशिला है. अपने फैसले में जज ने जोर देकर कहा कि यह आदेश स्थापित कानूनी ढांचे का खंडन करता है और कहा कि उन्हें ऐसा कोई दूसरा मामला याद नहीं है जहाँ विचाराधीन कार्रवाई इतनी स्पष्ट रूप से असंवैधानिक हो.

जन्मसिद्ध नागरिकता का क्या असर
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप का आदेश बर्थराइट सिटिजनशिप यानी जन्मसिद्ध नागरिकता को केवल उन बच्चों तक सीमित करना चाहता है जो अमेरिका में पैदा हुए हैं. जिनके माता-पिता नागरिक हैं या कानूनी स्थायी निवासी हैं. इसमें उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है जो बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों या अस्थायी वीजा पर रहने वाले व्यक्तियों के यहां पैदा हुए हैं. कार्यकारी आदेश हर साल अमेरिका में गैर-नागरिक माता-पिता से पैदा होने वाले हजारों बच्चों को प्रभावित कर सकती है. अनुमान है कि सालाना 250,000 से अधिक बच्चे प्रभावित हो सकते हैं. बहरहाल, न्याय विभाग ने तर्क दिया कि आदेश से अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है, और यह केवल निर्धारित कार्यान्वयन तिथि के बाद होने वाले जन्मों पर लागू होता है. हालांकि, जज का फैसला आदेश पर अस्थायी रोक लगाता है.

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शपथ लेते ही ट्रंप ने मचाई खलबली, खुद अमेरिकी थे दंग, तभी कोर्ट बोला- अरे रुको

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