क्‍या करेगा चीन? अमेर‍िका से दोस्‍ती का हाथ तो बढ़ा रहा, पर यहां फंसेगा पेच

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बीजिंग. अमेरिका और चीन तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैक सुलिवन से गुरुवार को मुलाकात की है. रिलेशन को दुरुस्‍त करने की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि बीजिंग की तरफ से दोस्‍ती का हाथ बढ़ाया तो जा रहा है, लेकिन ताइवान और दक्षिण चीन सागर के साथ ही ट्रेड विवाद पर दोनों देशों का क्‍या रुख रहेगा? चीन ताइवान को अपना अभिन्‍न हिस्‍सा मानता है, वहीं अमेरिका ताइपे को हथियार के साथ ही अन्‍य मदद भी मुहैया करा रहा है. चीन ने इसको लेकर अमेरिका को कई मौकों पर चेतावनी भी दे चुका है. दक्षिण चीन सागर में भी टकराव की स्थिति है. इन दोनों विवादों में अमेरिका भी शामिल है. व्‍यापार संबंधी मुद्दों पर दोनों महाशक्तियों का टकराव पहले से ही जगजाहिर है.

चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने एनएसए जैक सुलिवन से मुलाकात के बाद गुरुवार को बड़ी बात कही है. राष्‍ट्रपति जिनपिंग ने कहा, ‘दोनों देशों के हालात के साथ ही अमेरिका-चीन के संबंधों में भी व्‍यापक बदलाव आ चुके हैं. इसके बावजूद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को स्‍थायी और मजबूत करने के बीजिंग के लक्ष्‍य में कोई बदलाव नहीं आया है.’ जैक सुलिवन ने चीन के राष्‍ट्रपति के अलावा विदेश मंत्री वांग यी और सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के उपाध्‍यक्ष से भी मुलाकात की है. दोनों पक्षों ने कहा कि वे संबंधों को और मजबूत करने के पक्षधर हैं. बता दें कि अमेरिकी NSA की हैसियत से जैक सुलिवन की यह पहली बीजिंग यात्रा है.

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बात तो ठीक, पर जमीनी हालात अलग
साल 2018 के बाद से चीन और अमेरिका के संबंध और तल्‍ख हुए हैं. रणनीतिक और रक्षा के साथ ही व्‍यापार के मुद्दे पर भी दोनों देशों में टकराव की स्थिति है. सुरक्षा से जुड़े मसलों के अलावा ऑटोमोबिल और सोलर पैनल उत्‍पादन को लेकर भी गहरे मतभेद हैं. वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव की मुख्‍य वजह ताइवान और दक्षिण चीन सागर का मसला है. बीजिंग ताइवान को अपना अभिन्‍न हिस्‍सा मानता है और चीन में मिलाने की कोशिशों में जुटा है. वहीं, अमेरिका ताइपे की हर तरह से मदद करने के लिए हमेशा तत्‍पर रहता है. अमेरिका की ओर से चीन के कड़े विरोध के बावजूद ताइवान को हथियारों की आपूर्ति की जा रही है. चीन वॉशिंगटन के इस कदम को अपने हितों के खिलाफ मानता है. विदेश मंत्री वांग यी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अमेरिका को चीन के शांतिपूर्ण एकीकरण में सहयोग करना चाहिए.

दक्षिण चीन सागर पर टकराव
ताइवान के बाद दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर बीजिंग का कई देशों से गहरा मतभेद है. चीन साउथ चाइना सी के अधिकांश क्षेत्र पर अपना अधिकार मानता है. इस क्षेत्र में फिलीपीन्‍स के साथ चीन टकराव की स्थिति में पहुंच चुका है. इस विवाद में अमेरिका भी शामिल है. वॉशिंगटन साउथ चाइना सी को अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार के लिए मुक्‍त क्षेत्र मानता है. साथ ही अन्‍य देशों के दावों का समर्थन भी करता है. चीन को अमेरिका का यह रुख नागवार गुजरता है. चीन इस क्षेत्र में किसी भी अन्‍य देश के हस्‍तक्षेप को बरदाश्‍त नहीं करता है. ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका और चीन अपने संबंध को किस तरह से आगे ले जाएगा? अन्‍य मसलों के साथ ही इलेक्ट्रिक व्हिकल (EV) को लेकर भी दोनों देशों में विवाद गहराता जा रहा है.

Tags: America News, China news, International news, World news





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