Osho: आधात्यम की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले आध्यात्मिक गुरु ओशो का जन्मदिन 11 दिसंबर होता है. इन्हें आचार्य रजनीश भी कहते हैं. ओशो को तो देश-दुनिया के कई लोग जानते हैं लेकिन बहुत कम ही लोग यह जानते हैं कि ओशो का जन्म अपने ननिहाल यानी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के छोटे से गांव कुचवाड़ा में हुआ था. यहां आज भी वही कच्चा घर संरक्षित करके रखा गया है.
11 दिसंबर 1931 को कुचवाड़ा के इसी घर में पैदा होने के बाद आचार्य रजनीश चंद्रमोहन स्कूली शिक्षा के लिए नरसिंहपुर जिले के गाडरवाड़ा में रहे. इसके बाद समय के साथ उन्होंने देश और फिर विदेशों में अपने संदेशों के माध्यम से लोगो को आध्यत्म की ओर खींचना शुरू किया. आज भी दुनिया भर में उनके लाखों करोड़ो अनुयायी है.
रायसेन के कुछवाड़ा में पहले तो हर साल आज के दिन (ओशो के जन्मदिन पर) देश विदेश से उनके भक्त यहां आकर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करते थे. लेकिन अब यह स्थान ओशो ट्रस्ट की उपेक्षा ओर सरकार की अनदेखी के कारण बदहाल होता जा रहा है.
विवादों की भेंट चढ़ गया आध्यात्मिक पर्यटन का सपना
अपनी जिंदगी में आप जो करना चाहते हैं, वो करें, लोग तब भी कुछ कहते हैं, जब आप कुछ नहीं करते. यह संदेश है महान दार्शनिक संत भगवान रजनीश ओशो का, जिन्होंने दुनिया को जीने का नया तरीका बताया था. लेकिन आज उनके जन्मस्थान की हालत काफी दयनीय हो चुकी है. जिला मुख्यालय से करीब 110 किमी दूर कुचवाड़ा गांव में रजनीश ओशो का घर और आश्रम है.
करीब 150 साल पुराने इस घर की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं. वहीं जालियों पर जंग भी लग गया है. घर के सामने ही नालियों का गंदा पानी बह रहा है तो कूड़े का ढेर भी है. इस स्थान को आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के ख्वाब उनके अनुयायियों और कुचवाड़ा गांव के लोगों को दिखाए गए थे, लेकिन फिलहाल कोई काम नहीं हो पाया. आध्यात्मिक पर्यटन का सपना विवादों की भेंट चढ़ गया.
Abp टीम ने लिया ओशो की जन्मस्थली का जायजा
आज 11 दिसंबर को ओशो रजनीश का जन्म दिवस है. एबीपी टीम ने उस गांव का विस्तार से जायजा लिया. आज ओशो के जन्मस्थली पर उनके जन्मोत्सव तैयारियां तो दूर, यहां सत्राटा पसरा था.
कुचवाड़ा गांव के लोगों ने एबीपी को बताया कि- यहां विकास नहीं हुआ. आश्रम की देखरेख करने वालों ने उनके घर पर ताला डालकर रखा है, किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है. यहां पर अस्पताल भी शुरू हुआ था, वह भी अब बंद पड़ा है. क्योंकि यहां मुफ्त इलाज करना था, लेकिन ट्रस्ट से जुड़े स्थानीय लोगों ने डॉक्टर दंपती से कहा कि आप मरीजों से इलाज के पैसे लीजिए. दंपती ने इनकार कर दिया, जिसके बाद अस्पताल भवन खंडहर पड़ा है.
कुचवाड़ा निवासी ब्रजेंद्र पटेल ने बताया कि उनके पिता माधव शरण पटेल ने ओशो रजनीश को अमेरिका में चिट्टी भी भेजी थी, जिसमें कुचवाड़ा का विकास करवाने की बात कही थी. लेकिन दो धड़ों में विवाद के कारण विकास नहीं हुआ और अब ओशो रजनीश के जन्म स्थान वाला घर भी खंडहर हो रहा है.
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