राजस्थान के 65 हजार स्कूलों का अटका फंड, टॉयलेट क्लीनर तक के पैसे नहीं; प्रिंसिपल जेब से चला रहे खर्चा | Funds of 65 thousand schools of Rajasthan are stuck, Principals are bearing expenses from their own pockets

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राजस्थान के 65 हजार स्कूलों का अटका फंड, टॉयलेट क्लीनर तक के पैसे नहीं; प्रिंसिपल जेब से चला रहे खर्चा | Funds of 65 thousand schools of Rajasthan are stuck, Principals are bearing expenses from their own pockets

दरअसल, सीएसजी में दिसंबर- जनवरी तक राशि जारी कर दी जाती है। इस साल स्कूलों को ग्रांट में 84% बजट जारी नहीं किया है। उलटा इस ग्रांट से खर्च की राशि का हिसाब विभाग मांग रहा है। खेल व अन्य गतिविधि के लिए स्कूल फैसिलिटी ग्रांट भी अब तक नहीं दी गई है। भुगतान के दिए निर्देश जिन स्कूलों को फंड जारी नहीं किया गया है। उन स्कूलों को इसी सप्ताह राशि का भुगतान करने के निर्देश दे दिए हैं।- मदन दिलावर, शिक्षा मंत्री महज 50-75 हजार रुपए का मामला सरकारी स्कूल को छात्र संख्या के आधार पर सालभर के खर्चों के लिए 50 से 75 हजार रुपए मिलते हैं। इससे बिजली-पानी के बिल भरने से लेकर बिजली उपकरणों, फर्नीचर, टॉयलेट सफाई, टूट-फूट हाजिरी रजिस्टर और स्टेशनरी की खरीद होती है। खर्च का बिल एसएनए पोर्टल पर फीड करना होता है। पोर्टल 31 मार्च को लॉक हो जाएगा। संगठन मुखर …. अफसर चुप राजस्थान शिक्षक संघ एवं संगठन राशि तुरंत जारी करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि राशि समग्र शिक्षा अभियान से जारी होती है। उनके कार्यक्षेत्र में नहीं है, जबकि पदेन अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक (वरिष्ठ) समसा की जिम्मेदारी निदेशालय के पास ही हैं। यह भी पढ़ें राजस्थान में खुलेंगी 300 FREE राशन की नई दुकानें, सदन में बोले मंत्री; नया को-ऑपरेटिव कोड भी होगा लागू

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