Plot to kill Gurpatwant Singh Pannun: खालिस्तान समर्थक अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश के सिलसिले में अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) की ओर से आरोप लगाने के करीब 1 महीने बाद विकास यादव ने दिल्ली की एक अदालत में एक अर्जी दाखिल की है. इसमें उन्होंने अपने मामले की सुनवाई में शामिल होने से छूट देने का अनुरोध किया है.
विकास यादव ने इस अर्जी में कहा है कि उनकी जान को खतरा है, इसलिए वह अभी पेश नहीं हो सकते. अदालत ने शनिवार को उन्हें छूट दे दी और 3 फरवरी को पेश होने को कहा है. बता दें कि 18 अक्टूबर को FBI के न्यूयॉर्क कार्यालय ने उन्हें अपनी वॉन्टेड लिस्ट में डाल दिया था. वहीं, विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर से दोहराया है कि विकास यादव भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.
अदालत में सबूतों के साथ दी ये दलील
अपने वकील आरके हांडू की ओर से दायर दो पन्नों के आवेदन में यादव ने दावा किया है कि दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है. उन्होंने आगे दावा किया कि उनकी जान को खतरा है क्योंकि उनकी तस्वीरें, घर का पता और उनके ठिकाने का विवरण सार्वजनिक डोमेन में है. अपने दावे के सपोर्ट में में उन्होंने अपनी तस्वीर दिखाने वाली न्यूज रिपोर्ट भी अटैच की है. उन्होंने दावा किया है कि खतरे के कारण वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी मामले की सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि इस बात की संभावना है कि उनके स्थान को ट्रैक किया जा सकता है.
वकील ने कहा- अदालत ने अर्जी स्वीकार कर दी राहत
शनिवार को यादव की अर्जी दिल्ली की एक अदालत के सामने लिस्ट की गई और अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्हें 3 फरवरी, 2025 को अगली सुनवाई के लिए उपस्थित होने के लिए कहा है. विकास यादव के वकील हांडू ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “उनकी जान को खतरा है और हमने अदालत की सुनवाई से छूट के लिए आवेदन किया है. अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और उन्हें छूट दे दी है.”
नवंबर 2023 में अमेरिका ने विकास को बनाया था आरोपी
दरअसल, नवंबर 2023 में अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) के दस्तावेजों में उन्हें “सीसी-1” (सह-साजिशकर्ता) बताया गया था. इसके तीन सप्ताह से भी कम समय बाद, 18 दिसंबर, 2023 को, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपहरण और जबरन वसूली के मामले में यादव को गिरफ्तार किया था. वह चार महीने तक तिहाड़ जेल में बंद रहे थे. इस साल अप्रैल में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था.
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