Justice Shekhar yadav: विवादित भाषण से चर्चा में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव मंगलवार (11 दिसंबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की कॉलेजियम से मिले. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली इस कॉलेजियम ने जस्टिस यादव को विवादित भाषण पर उनका रुख साफ करने के लिए बुलाया था. सूत्रों के मुताबिक जस्टिस यादव ने कहा कि उनके भाषण को पूरे संदर्भ में नहीं समझा गया. उसके कुछ हिस्से उठा कर विवाद पैदा कर दिया गया.
CJI के अलावा चार जजों से मिले जस्टिस शेखर यादव
सुप्रीम कोर्ट के उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया है कि इस दौरान कॉलेजियम के सदस्यों ने जस्टिस यादव को समझाया कि किसी जज का हर वक्तव्य सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में आता है. जज के बयान संवैधानिक मूल्यों के मुताबिक ही होने चाहिए. जस्टिस यादव से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के अलावा जिन 4 जजों ने मुलाकात की, उनका नाम जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस अभय एस ओका है.
8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव गए थे. इस कार्यक्रम का विषय समान नागरिक संहिता था. कार्यक्रम में भाषण देते हुए जस्टिस यादव ने कहा कि भारत बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं के मुताबिक चलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू अपने बच्चों को दया और सहिष्णुता सिखाते हैं और मुसलमान अपने बच्चों के सामने जानवरों का वध करते हैं. हिंदू संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, जबकि मुसलमान तीन तलाक, 4 पत्नी और हलाला को अधिकार मानते हैं.
जस्टिस यादव ने दिया स्पष्टीकरण
अपने भाषण में जस्टिस यादव ने मुसलमानों के लिए कठमुल्ला शब्द का भी इस्तेमाल किया. इस भाषण के बाद काफी विवाद हुआ. कैंपेन फ़ॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) जैसे संगठनों और कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर संज्ञान लेने की मांग की थी. CJAR के संयोजक वकील प्रशांत भूषण के दस्तखत से चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी में जस्टिस यादव के आचरण को जजों के कंडक्ट रूल के खिलाफ बताते हुए आंतरिक जांच समिति बनाने की मांग की गई थी.
10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जस्टिस यादव के भाषण पर रिपोर्ट मांगी. इसके बाद जस्टिस यादव को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया. करीब आधा घंटा चली मुलाकात के दौरान सुप्रीम कोर्ट के पांचों वरिष्ठतम जजों ने जस्टिस यादव का स्पष्टीकरण सुना. जजों ने उनसे कई सवाल भी किए. जस्टिस यादव ने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट कई बार राय दे चुके हैं. उन्होंने भी यही कहा, लेकिन भाषण के चुनिंदा अंशों को उठा कर मीडिया ने विवाद खड़ा कर दिया.
जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जस्टिस शेखर यादव को यह याद दिलाया कि जज का कोई भी सार्वजनिक बयान निजी नहीं होता. उसे हमेशा संवैधानिक मानदंडों के मुताबिक ही बात कहनी चाहिए. बैठक के बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अलग से भी कुछ देर उनसे बात की और उन्हें भविष्य में ज़्यादा सचेत रहने के लिए कहा. अभी यह साफ नहीं है कि इस मुलाकात के बाद सुप्रीम कोर्ट की आगे की कार्यवाही क्या रहेगी.
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