खर्चे के लिए कम पड़े पैसे तो खोल दिया बिजनेस, अब 25 साल की उम्र में कर रहे ताबड़तोड़ कमाई

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छतरपुर. जिले में वैसे तो जगह-जगह समोसे खानें को मिल जाते हैं. लेकिन पढ़ें-लिखे युवा ने इस बार समोसे में नया कांसेप्ट ढूंढ़ा है. दरअसल, पढ़े-लिखे रवि‌ ने समोसे बनाने के लिए गैस सिलेंडर का चूल्हा नहीं बल्कि मिट्टी के चूल्हे और लकड़ी का समोसे बनाने में उपयोग करते हैं.

लवकुश नगर निवासी रवि कुमार चौरसिया लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि लगभग 5 महीने पहले ही समोसे का बिजनेस शुरू किया है. वैसे तो समोसे की दुकान हर जगह मिल जाती है. लेकिन मिट्टी के चूल्हे में समोसे कम ही यहां बनते हैं.

सुबह कोचिंग, शाम को समोसे बेचते हैंरवि कुमार बताते हैं कि मैंने बीएससी किया है,डीसीए किया है, इलेक्ट्रीशियन ट्रेड से आईटीआई डिप्लोमा भी कर रखा है. प्राईवेट आईटीआई कॉलेज में पढ़ाता हूं. सुबह कोचिंग भी चलाता हूं. कोचिंग में एमपी पोलिस और रेलवे का बैच चलाता हूं. गांव-कस्बे के छात्र होते हैं तो ज्यादा पैसे भी नहीं दे सकते हैं. इसलिए शाम को समोसे का ठेला लगाने का आइडिया आया.

मिट्टी के चूल्हे में मिलते हैं सस्ते समोसे रवि कहते हैं कि हमारे यहां 5 रुपए में बढ़िया स्वादिष्ट समोसे मिलते हैं. जबकि हर जगह 5 रुपए में न समोसे मिलते हैं और न ही स्वादिष्ट स्वाद मिलता है.

कुछ ही घंटों में बिक जाते हैं समोसे रवि ने बताया कि दोपहर 3 बजे समोसे की दुकान खोल लेते हैं और रात को 9 बजे तक चलाते हैं. इस दौरान लगभग 1600 समोसे बिक जाते हैं.

रवि बताते हैं कि यहां समोसे के अलावा मिर्च पकोड़ा, पनीर पकोड़ा और मंगौड़ी भी मिलती है. लेकिन सबसे ज्यादा समोसे और मूंग दाल की मंगौड़ी की डिमांड रहती है.
Tags: Ajab Gajab news, Chhatarpur news, Education, Food 18, Madhya pradesh news, Success StoryFIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 16:06 IST

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