आजकल लोग कमाने के अलग-अलग तरीके खोज रहे हैं. एक शख्स तो मरी हुई मुर्गियां के पंख इस्तेमाल कर बिजनेस कर रहे हैं. आप सोचकर हैरान रह जाएंगे कि वो कैसे इस काम से करोड़ों कमा रहे हैं. कहानी है उत्तर प्रदेश के रहने वाले राधेश अग्रहरी की. जो वेस्ट मटेरियल का काम करके एक बड़ा नाम बन गए हैं. अपने बिजनेस से वो गांव की बेरोजगार महिलाओं की भी मदद कर रहे हैं.
वेस्ट मटेरियल से करोड़ों कमा रहे शख्सराधेश अग्रहरी ने लोकल 18 की टीम से बात करते हुए बताया कि वह जब जयपुर में भारतीय शिल्प और डिजाइन संस्थान में पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे थे, तब उन्हें कॉलेज की ओर से करेंट प्रॉब्लम पर कम करने के लिए प्रोजेक्ट दिया गया था. कई बच्चों ने प्लास्टिक, सेनेटरी नैपकिन, पेपर जैसे समस्याओं पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्होंने फूड वेस्ट मटेरियल पर काम करने के बारे में सोचा. जब उन्होंने इस पर काम किया तो उन्होंने बताया कि भारत में दो प्रकार के वेजीटेरियन और नॉन वेजिटेरियन फूड वेस्ट मटेरियल निकलता है, फिर उन्होंने नॉन वेजिटेरियन पर रिसर्च कर कर उसे पर काम शुरू किया.
उन्होंने बताया कि केवल दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश में उस समय 2013 में 30 लाख मेट्रिक टन कचरा चिकन के वेस्ट मटेरियल से निकलता था, जिसे बाद में जला दिया जाता था, या फेंक दिया जाता था. इससे बहुत ज्यादा पॉल्यूशन होता था. फिर यह सब देखते हुए उन्होंने चिकन वेस्ट पर काम शुरू किया और कई साल की रिसर्च के बाद चिकन फाइबर की सफाई कर उससे कपड़ा और पेपर बनाने की शुरुआत की. आज के समय में उन्होंने 386 से ज्यादा के प्रोडक्ट मार्केट में लॉन्च कर दिए हैं. वह शार्क टैंक में भी जा चुके हैं.
महिलाओं को दिया रोजगार राधेश ने बताया कि इसकी फैक्टरी उन्होंने राजस्थान में ही लगा रखी है, और मुर्गी के पंख को साफ करने के लिए बहुत से लोगों की आवश्यकता पड़ती है, इसीलिए 1400 से ज्यादा आदिवासी महिलाओं को उन्होंने रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है. साथ ही अपने इस कम से हजारों पेड़ों को कटने से भी बचाने की दिशा में इसे एक बड़ी पहल शुरू की है.
मुर्गियों के पंख से बनाते हैं पश्मीना जैसे कपड़ा राधेश ने बताते हैं कि गर्म कपड़ों में पश्मीना सबसे अच्छा माना जाता है. लेकिन मुर्गे के पंख से बना ये कपड़ा दुनिया का 6वां प्राकृतिक फाइबर है. वही कॉटन या ऊन की तरह इसे तैयार करने में साल भर नहीं लगता बल्कि ये 7 दिन के अंदर बनकर तैयार हो जाता है. जो कि पश्मीना से भी मुलायम है. साथ ही पश्मीना से ज्यादा सस्ते कास्टिंग में इससे गर्म कपड़े तैयार होते हैं, जिसे कई सालों तक इस्तेमाल कर सकते है.
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16000 से शुरू किया था यह बिजनेस..राधेश ने बताया कि उन्होंने जगह काम मात्र 16000 रुपए में शुरू किया था, लेकिन आज वह 10 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर करते है. उनको इस काम की वजह से गोल्डन फेदर के नाम से जाना जाता है, आज उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल कई प्रकार के बड़े पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है.
FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 15:05 IST
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