समझ नहीं आई शेयर बाजार की चाल, निवेशकों ने खोज निकाला पैसा बनाने का नया ठिकाना

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नई दिल्ली. शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों ने समझदारी से काम लेना शुरू कर दिया है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, निवेशकों ने नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच सोने की तरफ रुख किया है. इस एक साल में सोने में निवेश तीन गुना हो गया है. सोना भी गहनों के रूप में नहीं, बल्कि ईटीएफ (ETF) में खरीदा है. ईटीएफ में खरीदा गया सोना फिजिकल गोल्ड के मुकाबले फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें मेकिंग चार्ज इत्यादी नहीं लगता.

AMFI के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि एक साल में 1,256 करोड़ रुपये का गोल्ड ईटीएफ खरीदा गया है, जोकि उससे पिछले साल 333.37 करोड़ रुपये का था. मनीकंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने इस ट्रेंड पर कहा कि साफ दिखता है कि निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ लुभा रहा है.

श्रीवास्तव ने कहा, “जनवरी 2020 से इस कैटेगरी में कुल मिलाकर 25,409 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जो इस सेगमेंट में निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है. नवंबर में अक्टूबर की तुलना में कम राशि इकट्ठी हुई, लेकिन निकासी (redemption) ज्यादा हुई. इसका मतलब यह हो सकता है कि निवेशकों ने सोने की कीमतें ऊंची होने के कारण मुनाफा बुक करने का फैसला किया, खासकर शादी के सीजन के चलते फिजिकल गोल्ड की मांग बढ़ रही है.”

किस फंड में डाला जा रहा ज्यादा पैसासोने के ETFs में, निप्पॉन इंडिया गोल्ड ETF सबसे आगे है, जिसका असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 15,247.92 करोड़ रुपये है, इसके बाद SBI गोल्ड ETF (2,468.54 करोड़ रुपये) और HDFC गोल्ड ETF (2,287.29 करोड़ रुपये) का नंबर आता है. पिछले एक साल में अधिकांश फंड्स ने 21-22 फीसदी का रिटर्न दिया, और कोटक गोल्ड ETF फंड, LIC गोल्ड ETF, HDFC गोल्ड ETF और मिराए एसेट गोल्ड ETF ने अच्छा प्रदर्शन किया.

मल्टी एसेट फंड्स ने दी नई दिशाDSP म्यूचुअल फंड के पैसिव फंड्स और प्रोडक्ट्स के प्रमुख अनिल घेलानी ने कहा, “पिछले 6-7 महीनों में हम सोने और चांदी जैसे एसेट में भी निवेश करने की सलाह दे रहे हैं. मल्टी-एसेट फंड्स, जो आम तौर पर 10-20% तक सोने में निवेश करते हैं, खुदरा निवेशकों को इस एसेट क्लास में निवेश करने के अवसर प्रदान कर रहे हैं.”

आनंद राठी वेल्थ की म्यूचुअल फंड्स चीफ श्वेता राजानी ने भी इस बात से सहमति जताई और कहा, “कुछ महीनों पहले तक शेयर मार्केट्स ने शानदार रिटर्न दिए थे, लेकिन अब अमेरिकी और भारतीय चुनाव जैसे वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है. ऐसे में लोग सोने और ETFs जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं.”

जोखिम और भविष्य की स्थितिमजबूत मांग के बावजूद कुछ रिस्क भी हैं. कोटक सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने अपने 2025 के बाजार आउटलुक में कहा कि 2024 सोने के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष रहा, जिसमें सोने की कीमतें 2,801.8 डॉलर प्रति औंस तक पहुंची. मुख्य रूप से केंद्रीय बैंकों की मजबूत मांग, भू-राजनीतिक तनावों और हरे प्रौद्योगिकियों में बढ़ती औद्योगिक जरूरतों के कारण सोने में उछाल आया. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2025 में भी सोना और चांदी अपनी ताकत बनाए रख सकते हैं, हालांकि मजबूत डॉलर और ट्रंप की आर्थिक नीतियों के कारण कुछ उतार-चढ़ाव हो सकता है.

इसके अतिरिक्त सोने का इंडस्ट्रियल उपयोग (जैसे कि सेमीकंडक्टर में) और इसका अमेरिकी डॉलर के साथ उल्टा संबंध भी कीमतों को प्रभावित करता है. “अगर डॉलर मजबूत होता है, तो यह सोने की कीमतों पर दबाव डाल सकता है. हालांकि इतिहास कहता है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कमी करने से सोने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
Tags: Gold, Gold investment, Investment tipsFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 14:35 IST

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