फैक्ट चेक
यह वीडियो पंजाब में जालंधर के जमशेर स्थित एक डेयरी कॉम्प्लेक्स का है, जिसकी पुष्टि एफ़आईआर, शिकायतकर्ता और एक पुलिस अधिकारी ने की है. |
(नोट: इस रिपोर्ट में पशु क्रूरता से संबंधित विवरण शामिल हैं, जो कुछ पाठकों को परेशान कर सकते हैं. कृपया अपने विवेक का इस्तेमाल करें.)
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कथित तौर पर चार लोग एक “गाय” को पीट-पीटकर मार रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो बांग्लादेश में इस्कॉन के फार्म का है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग एक गाय की बेरहमी से पिटाई कर रहे हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े एक साधु चिन्मय कृष्ण दास की विवादास्पद गिरफ़्तारी और हालिया हिंसा के बाद यह वीडियो वायरल हुआ है.
एक्स पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन दिया, “बांग्लादेश में क्रूरता पूरे चरम पर है, जानवर भी नहीं बख्शे जा रहे हैं. यही है इस्लामवादियों का आतंक.” इस पोस्ट को अब तक 62,000 से ज़्यादा व्यूज़, 900 रीपोस्ट और 1,100 लाइक्स मिल चुके हैं. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों के साथ शेयर किये जा रहे अन्य पोस्ट्स के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखें.
इसी दावे के साथ यह वीडियो फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया है. इन पोस्ट्स के आर्काइव वर्ज़न यहां और यहां देखें.
हालांकि, वायरल वीडियो बांग्लादेश का नहीं, बल्कि भारत के उत्तरी राज्य पंजाब के जालंधर का है.
सच्चाई कैसे पता चली?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च के जरिए ढूंढने पर, हमें यह 19 नवंबर, 2024 के एक एक्स-पोस्ट (आर्काइव यहां) में मिला. हालांकि, इस पोस्ट में वीडियो की घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी. लेकिन, इसी पोस्ट के कमेंट सेक्शन में पेटा इंडिया (आर्काइव यहां) का एक जवाब मिला, जिसमें बताया गया कि सदर पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 325 और पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम की धारा 11 के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है.

जांच के दौरान, हमें ‘खब्रिस्तान पंजाबी‘ नामक एक न्यूज वेबसाइट पर इसी वीडियो पर आधारित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट को कवर इमेज के रूप में इस्तेमाल किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो को जालंधर के जमशेर डेयरी का बताया गया है.
पेटा इंडिया और पंजाबी रिपोर्ट से हिंट लेकर, हमने पंजाब पुलिस की वेबसाइट पर जाकर एफ़आईआर चेक की, जोकि नवंबर 18, 2024 को दर्ज की गई थी, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 325 और पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम की धारा 11 जोड़ी गई हैं. एफ़आईआर रिपोर्ट सदर पुलिस स्टेशन में श्री गोबिंद रक्षा दल के अध्यक्ष अभिषेक बख्शी द्वारा दर्ज कराई गई थी.
एफ़आईआर के मुताबिक़, यह वीडियो जालंधर के जमशेर इलाके में घुमन हिरण फार्म के पास का है.
इसके बाद, हमने अभिषेक बख्शी से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की कि वीडियो जालंधर का है. उन्होंने बताया, “मुझे यह वीडियो एक गौ भक्त ने भेजा था, जिसके बाद मैं आधे घंटे में जमशेर डेयरी कॉम्प्लेक्स पहुंचा और पुलिस को सूचित किया. इस मामले में पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई.”
द ट्रिब्यून की 20 नवंबर की रिपोर्ट के अनुसार, पशु क्रूरता का वीडियो सोशल मीडिया पर फैलने के बाद, एनिमल प्रोटेक्शन फाउंडेशन के श्रीस्त बख्शी के नेतृत्व में लोगों ने अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की.
एनिमल प्रोटेक्शन फाउंडेशन के फ़ेसबुक पेज पर, नवंबर 13 को वही वीडियो (आर्काइव यहां) शेयर किया गया था, जो वर्तमान में वायरल हो रहा है, और वीडियो के स्थान की पहचान करने की अपील की गई थी. नवंबर 17 को फाउंडेशन के युवी सिंह और डीसीपी के साथ मुलाक़ात का वीडियो (आर्काइव यहां) और नवंबर 18 को इस मामले में सदर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफ़आईआर की कॉपी (आर्काइव यहां) शेयर की गई थी.
युवी सिंह ने भी लॉजिकली फ़ैक्ट्स को यह बताया कि वीडियो जमशेर डेयरी का है, जिसकी जांच पुलिस कर रही है.
इस वीडियो के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, हमने जालंधर पुलिस के एक अधिकारी से संपर्क किया, जिन्होंने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, “वीडियो में गाय नहीं, बल्कि बैल है. यह वीडियो जमशेर (जालंधर) की एक डेयरी का है. वीडियो में जो लोग नज़र आ रहे हैं, वे प्रवासी मजदूर हैं. उनके ख़िलाफ़ हम ने मामला दर्ज कर लिया है, और जैसे ही उनकी पहचान हो जाएगी, उनकी गिरफ़्तारी कर ली जाएगी.”
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश में गाय की बेरहमी से पिटाई का दावा करते हुए शेयर किया गया वीडियो असल में पंजाब के जालंधर स्थित एक डेयरी का है.
[डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.]
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