‘याद करो यूपीए का वो दौर’, सरकारी बैंकों की बुराई पर भड़कीं वित्त मंत्री

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नई दिल्ली. फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकारी बैंकों पर उनका बयान मेहनती कर्मचारियों और साफ-सुथरी एवं मजबूत बैंकिंग प्रणाली से लाभान्वित होने वाले नागरिकों का अपमान है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, ‘‘गांधी को आधारहीन बयान देने की आदत है. सच्चाई यह है कि यूपीए के शासन के दौरान कुछ ही कॉरपोरेट समूहों को कर्ज मिलता था. इसके साथ अंधाधुंध लोन डिस्ट्रीब्यूशन ने ही सरकारी बैंकों की सेहत बिगाड़ दी थी.’’ सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र, विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उल्लेखनीय बदलाव आया है. इससे पहले गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सार्वजनिक बैंकों को ताकतवर कारोबारी समूहों के लिए ‘निजी फाइनेंसर’ के रूप में तब्दील कर दिया है.

कांग्रेस नेता ने ‘ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स कनफेडरेशन’ के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद ‘X’ पर लिखा, ‘‘सार्वजनिक बैंकों को प्रत्येक भारतीय तक कर्ज की सुविधा प्रदान करने के लिए बनाया गया था. मोदी सरकार ने जनता की इन जीवनरेखाओं को केवल अमीरों और शक्तिशाली समूहों के लिए निजी ‘फाइनेंसर’ में बदल दिया है.’’

‘राहुल गांधी ने कर्मचारियों का अपमान किया’

सीतारमण ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘राहुल गांधी ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मेहनती कर्मचारियों और उन नागरिकों का अपमान किया है जो एक साफ-सुथरी, मजबूत बैंकिंग प्रणाली से लाभान्वित होते हैं. अब समय आ गया है कि कांग्रेस विपक्ष के नेता की शासन के बारे में समझ को बढ़ाने का काम करे.’’

वित्त मंत्री ने अपनी पोस्ट में कहा, ‘‘ऐसी स्थिति वास्तव में संप्रग शासन के दौरान थी, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संप्रग सरकार में बैंक कर्मचारियों को परेशान किया जाता था और उन्हें ‘फोन बैंकिंग’ के माध्यम से अपने करीबी लोगों को कर्ज देने के लिए मजबूर किया जाता था.’’

सीतारमण ने लिखा है, ‘‘क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि हमारी सरकार ने 2015 में संप्रग सरकार की ‘फोन बैंकिंग’ गतिविधियों का खुलासा करते हुए संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा शुरू की थी?’’

पिछले 10 साल में सुधरे हालात

उन्होंने कहा कि रणनीति के तहत पिछले 10 वर्षों में पीएसबी को 3.26 लाख करोड़ रुपये की पूंजी के माध्यम से समर्थन दिया गया था. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जन-केंद्रित शासन और समावेशी विकास मोदी सरकार का मूल सिद्धांत है. क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि विभिन्न प्रमुख वित्तीय समावेश योजनाओं के तहत 54 करोड़ जनधन खाते खोले गये और विभिन्न योजनाओं के जरिये 52 करोड़ से अधिक बिना गारंटी के ऋण की मंजूरी दी गयी है?’’

उन्होंने रोजगार सृजन के संबंध में कहा, ‘‘सरकार ने सार्वजनिक बैंकों समेत केंद्र सरकार के सभी विभागों में लाखों रिक्तियों को भरने के लिए नियुक्ति अभियान और रोजगार मेले की पहल की है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2014 के बाद से 3.94 लाख कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी है.’’

सीतारमण ने कहा कि अक्टूबर 2024 तक, 96.61 प्रतिशत अधिकारी और 96.67 प्रतिशत अधीनस्थ कर्मचारी पदों पर हैं. बैंकों में बहुत कम पद खाली हैं और उन्हें भी भरने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं बैंकिंग क्षेत्र में प्रबंध निदेशक, सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) और प्रमुख के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता न केवल नीति में बल्कि व्यवहार में भी स्पष्ट है.

उन्होंने कहा, ‘‘वित्तीय सेवा विभाग के 26 नवंबर, 2024 को सभी बैंकों को जारी किए गए आदेश से साफ पता चलता है कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि बैंक महिला कर्मचारियों, उनकी भलाई और चिंताओं का ध्यान रखें.’’

(भाषा से इनपुट के साथ)
Tags: Bank Loan, Finance minister Nirmala Sitharaman, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 08:00 IST

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