नई दिल्ली. पाकिस्तान, बांग्लादेश और वियतनाम यह वे देश हैं जहां दुनियाभर की बड़ी और ब्रांडेड गारमेंट कंपनियां अपने उत्पाद तैयार कराती हैं. जहां इन कपड़ों का निर्माण होता है वहां गर्मी बहुत अधिक रहती है. इस पर एक बड़ी समस्या अब यह हो गई है कि पर्यावरण में बदलाव के कारण नैचुरल हीट में भी बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में इन कारखानों में काम करने वाले लोगों को गर्मी की दोगुनी मार झेलनी पड़ रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब यूरोपीयन यूनियन ने नए नियम लागू किए हैं.
यह नियम नाइकी, एचएंडएम और इन्हीं के जैसी अन्य गारमेंट कंपनियों को कानूनी रूप से इन परिस्थितियों को सुधारने के लिए बाध्य करती हैं. इन कंपनियों को ही पाकिस्तान, बांग्लादेश या वियतनाम में काम कर रहे अपने सप्लायर्स की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में कूलिंग का पर्याप्त इंतजाम करना होगा.
कैसे मापी गई तापमान में वृद्धिकॉर्नेल यूनिवर्सिटी के ग्लोबल लेबर इंस्टीट्यूट ने पाया है कि ढाका, हनोई, हो चि मिन्ह सिटी और कराची जैसे शहरो में ‘वेट बल्ब’ के दिनों में 42 फीसदी का उछाल आया है. वेट बल्ब तापमान मापने का एक तरीका है जिसमें 30.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान को नोट किया जाता है. इसी पैमाने के अनुसार, जिस दिन तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है उसे वेट बल्ब डे कहा जाता है और ऐसे दिनों में 2005-2009 के मुकाबले 2020-24 में 42 फीसदी का उछाल आया है.
65 अरब डॉलर का नुकसानग्लोबल लेबर इंस्टीट्यूट और एसेट मैनेजर श्रोडर के ने एक रिसर्च रिपोर्ट में पाया है कि अत्यधिक गर्मी या बाढ़ से बांग्लादेश, कंबोडिया, पाकिस्तान और वियतनाम के कपड़ा निर्यात उद्योग को 65 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. भारतीय करेंसी में यह 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा. आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में रिटेलर्स और ब्रांड्स को यह सुझाव भी दिया गया है कि वे अपने कर्मचारियों के वेतन और हेल्थ पर खर्च को बढ़ाएं अत्यधिक हीट के कारण होने वाले कार्य दिवस के नुकसान की भरपाई हो सके.
Tags: Pakistan big news, Pakistan’s EconomyFIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 16:34 IST
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