Last Updated:January 10, 2025, 17:29 ISTमहाकुंभ मेले में साइबर अपराधी सक्रिय हैं. नकली वेबसाइट्स और फर्जी मैसेज से श्रद्धालुओं को निशाना बना रहे हैं. विशेषज्ञों ने फ़िशिंग, रैन्समवेयर और DoS हमलों की चेतावनी दी है. प्रशासन ने सावधानी बरतने और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.सांकेतिक तस्वीर.नई दिल्ली. महाकुंभ मेला भारत में धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां लाखों श्रद्धालु और अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत पहुंचते हैं. लेकिन इन दिनों साइबर अपराधियों ने इसे “एक मौके” के तौर पर भुनाना शुरू कर दिया है. नकली वेबसाइट्स, फर्जी वॉट्सऐप मैसेज, और अन्य डिजिटल तरीकों से लोगों को धोखा दिया जा रहा है. प्रशासन ने यहां पहुंचने वाले लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है, फिर भी टेक्नोलॉजी के यूज से होने वाली जालसाजियां गंभीर रूप लेती नजर आ रही हैं.
13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित हो रहा है. उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले में होने वाले इस आयोजन में 40-45 मिलियन (लगभग 4 से 4.5 करोड़) श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. लेकिन इस विशाल आयोजन के साथ ही डिजिटल ठग भी सक्रिय हो गए हैं. कई श्रद्धालु फर्जी वेबसाइट्स और वॉट्सऐप मैसेजों के जरिए ठगे जा चुके हैं. ये वेबसाइट्स रहने की व्यवस्था और अन्य सेवाओं की बुकिंग का दावा करती हैं, लेकिन पैसा लेने के बाद इनसे संपर्क तक नहीं हो सकता है.
बड़े साइबर हमलों की आशंकाइस मामले पर लाइवमिंट ने एक विस्तृत रिपोर्ट की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यह सब किस कद्र महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं को प्रभावित कर रहा है. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि महाकुंभ मेले की मुख्य तिथियों से पहले और उसके दौरान साइबर अटैक की आशंका बढ़ सकती है. एओन इंडिया की डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट, अपूर्वा गोपीनाथ ने कहा कि इस आयोजन के दौरान पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारियों का विशाल डेटा बैंक बनेगा, जो हैकर्स को पकी-पकायी खीर की समान होगा. संभावित खतरों में फ़िशिंग, रैन्समवेयर और डिनायल ऑफ सर्विस (DoS) जैसे अटैक शामिल हो सकते हैं.
फ़िशिंग अटैक के जरिए, फर्जी वेबसाइट्स या लिंक के माध्यम से, लोगों की पर्सनल जानकारी जैसे कि क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, पासवर्ड और पिन चुराई जाती है. रैन्समवेयर के मामले में सिस्टम और फाइलों को ब्लॉक कर फिरौती मांगी जाती है. डिनायल ऑफ सर्विस हमलों के जरिए नेटवर्क को बाधित करके उसकी कार्यक्षमता रोक दी जाती है.
नकली वेबसाइट से करवाते हैं बुकिंगसाइबर सुरक्षा फर्म mFilterIt के मुख्य तकनीकी अधिकारी, धीरज गुप्ता के हवाले से लाइवमिंट ने लिखा कि ठग कुंभ मेले से संबंधित सेवाओं की पेशकश करने वाली नकली वेबसाइट्स बनाते हैं. कई बार पीड़ितों से वॉट्सऐप या ईमेल के माध्यम से संपर्क कर उन्हें भुगतान संबंधी जानकारी दी जाती है. पैसा प्राप्त करने के बाद ठग संपर्क तोड़ देते हैं. mFilterIt इस तरह के खतरों को कम करने के लिए एआई आधारित समाधान प्रदान कर रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस ने श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की सलाह दी है. राज्य के पुलिस महानिदेशक, प्रशांत कुमार ने बताया कि तकनीकी संस्थानों के साथ समझौते किए गए हैं और साइबर विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया है, ताकि साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने के लिए राज्य में 1930 नंबर जारी किया गया है.
सीसीटीवी कैमरे भी साइबर हमलों की जद मेंविशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक वाई-फाई और सुरक्षा उपकरण जैसे सीसीटीवी कैमरे भी साइबर हमलों का शिकार हो सकते हैं. क्विक हील टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के सीईओ, विशाल साल्वी ने कहा कि सार्वजनिक इंटरनेट नेटवर्क का उपयोग डिजिटल भुगतान के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
इसके अलावा कुछ साइबर हमलों का उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि आतंक फैलाना हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, एन. एस. नप्पिनई ने कहा कि साइबर हमले वांडलिज्म से लेकर आतंकवाद तक के लिए किए जा सकते हैं. ऐसे में उच्च स्तर की साइबर सुरक्षा अनिवार्य है.
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