नई दिल्ली. इस महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में बीमा संशोधन विधेयक को पेश करने का प्रस्ताव है. इस विधेयक में कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो भारतीय बीमा क्षेत्र को पूरी तरह बदल कर रख देंगे. बीमा व्यवसाय में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और व्यक्तिगत बीमा एजेंटों को कई कंपनियों की पॉलिसी बेचने की अनुमति देने का प्रावधान में इस बिल में है. अभी तक एजेंट केवल एक जीवन बीमा और एक सामान्य बीमा कंपनी की पॉलिसी ही बेच सकता है. बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74% है, जबकि बिचौलियों के लिए यह पहले ही हटा दी गई है.
वर्तमान में भारत में 12 जीवन बीमा कंपनियां, 26 सामान्य बीमा कंपनियां, छह स्वतंत्र स्वास्थ्य बीमा कंपनियां और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एकमात्र पुनर्बीमा कंपनी है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के प्रमुख, देबाशीष पांडा ने इस महीने की शुरुआत में एफडीआई सीमा 100 फीसदी करने का सुझाव सार्वजनिक रूप से दिया था.
एफडीआई के लिए केवल आंशिक रूप से खुला है बीमा क्षेत्र बीमा उपभोक्ता संबंधी क्षेत्रों में से एक है जो एफडीआई के लिए केवल आंशिक रूप से खुला है. वहीं अन्य सभी क्षेत्र एफडीआई के मामले में आगे बढ़ चुके हैं. पिछले 9 साल के दौरान इंश्योरेंस सेक्टर में करीब 54 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है. एफडीआई में सरकार की ओर से नीतियों में ढील की वजह से इतनी रकम आई है. इससे विदेशी निवेशक बड़ी संख्या में भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
बाजार जानकारों का कहना है कि बीमा क्षेत्र में अगर 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति मिलती है तो विशेष रूप से लंबी अवधि के लाइफ इंश्योरेंस बिजनेस के लिए बहुत फायदेमंद होगी. सरकार के इस कदम से बीमा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलने और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलने की उम्मीद है. वहीं, यह सरकार के “बीमा फॉर ऑल 2047” के नारे को मूर्तरूप देने में भी अहम भूमिका निभा सकता है.
Tags: Business news, Insurance PolicyFIRST PUBLISHED : November 18, 2024, 10:03 IST
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