नई दिल्ली. हावड़ा व कोलकाता को जोड़ने वाला हुगली नदी पर बना हावड़ा पुल कोलकाता ही नहीं भारत की भी शान है. अंग्रेजों के जमाने में बना यह पुल अपनी मजबूती और खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर है. इस पुल से रोजाना औसतन एक लाख वाहन और 15000 लोग गुजरते हैं. हावड़ा ब्रिज की खासियत यह है कि इसे बनाने में एक भी नट-बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. 1943 में आम जनता के लिए खोले गए इस पुल को शनिवार रात 11:30 बजे से रविवार सुबह 4:30 बजे तक बंद रखा गया. इस दौरान पुल की जांच की गई और देखा गया की कहीं पुल के ढांचे में कोई कमजोरी तो नहीं आ गई है. पिछले 40 वर्षों में यह पहली बार था जब हावड़ा ब्रिज को पूरी तरह इतने समय के लिए बंद पूरी तरह बंद रखा गया.
हावड़ा ब्रिज का असली नाम रविंद्र सेतु है. इसे यह नाम 1965 में दिया गया, लेकिन यह अब भी हावड़ा ब्रिज के नाम से ही प्रसिद्ध है. हावड़ा ब्रिज का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने 1936 में शुरू किया था. इसका निर्माण छह साल यानी 1942 तक पूरा हो गया. पुल को 3 फरवरी 1943 को आम जनता के लिए खोला गया. खास बात यह है कि हावड़ा ब्रिज का आज तक औपचारिक उद्घाटन नहीं हुआ. इसका कारण यह है जिस समय यह पुल बनकर तैयार हुआ, उस समय विश्व युद्ध चल रहा था और ब्रिटिश सरकार ने इसे बिना औपचारिक उद्धाटन के ही आम जनता के लिए खोल दिया.
नहीं हुआ एक भी नट-बोल्ट का इस्तेमाल हावड़ा ब्रिज एक कंटीलीवर पुल है. अपने निर्माण के समय हावा ब्रिज दुनिया का तीसरा सबसे लंबा कंटीलीवर पुल था और आज यह दुनिया में अपनी तरह का छठा सबसे लंबा पुल है. यह पूरा नदी के दोनों किनारों पर बने 280 फीट ऊंचे दो पिलरों पर टिका हुआ है. पुल में एक भी नट बोल्ट नहीं है. यह रिवेट से निर्माण किया हुआ पुल है. पुल का डेक मुख्य ट्रस से सस्पेंडेड हैंगरों की 39 जोड़ी से लटका हुआ है. इसकी कुल लंबाई 705 मीटर (2313.0 फीट), चौड़ाई 71 फीट (21.6 मी.) और ऊंचाई 82 मीटर (269.0 फीट) है. इसका सबसे लंबा स्पैन 1500 फीट (457.2 मीटर) का है. पुल के दोनो तरफ 15 फीट (4.6 मी.) के दो फुटपाथ हैं.
हावड़ा ब्रिज को रेलवे के चीफ़ इंजीनियर ब्रैडफ़ोर्ड लेसली ने डिज़ाइन किया था. इस पुल निर्माण ब्रेथवेट बर्न एंड जेसप कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (बीबीजे) ने किया. पुल के निर्माण में 23,000 टन हाई-टेंसिल एलॉय स्टील, जिसे टिस्क्रोम के नाम से जाना जाता है, का इस्तेमाल हुआ. इसकी आपूर्ति टाटा स्टील ने की थी.
1983 में हुई थी जांच 1943 में खुलने के बाद से लगातार 40 वर्षों तक हावड़ा ब्रिज पर लगातार आवाजाही होती रही. 1983 में पुल को जांच के लिए बंद किया गया. जांच में हावड़ा ब्रिज पूरी तरह फिट घोषित हुआ. इसके बाद अब फिर चालीस साल बाद ही इसकी सेहत जांची गई है.
Tags: Howrah news, Infrastructure Projects, Kolkata NewsFIRST PUBLISHED : November 17, 2024, 12:21 IST
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