Last Updated:January 11, 2025, 07:36 ISTऐपल का मैचिंग ग्रांट्स प्रोग्राम एक कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) इनिशिएटिव है. इसका मकसद कर्मचारियों को दान करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इसी प्रोग्राम में कुछ कर्मचारियों ने फ्रॉड किया है.
Apple को तीन वर्षों में लगभग $1.52 लाख की चपत लगाई गई. नई दिल्ली. दिग्गज टेक कंपनी ऐपल ने अपने क्यूपर्टिनो मुख्यालय से करीब 185 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. यह कार्रवाई कंपनी के मैचिंग ग्रांट्स प्रोग्राम में हुई धोखाधड़ी के बाद की गई है. बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में कई भारतीय हैं, जिन्होंने कथित तौर पर अमेरिका में तेलुगु चैरिटी संगठनों के माध्यम से इस घोटाले को अंजाम दिया. ऐपल धर्मार्थ संस्थानों को दान देने पर कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि देती है. कुछ कर्मचारियों ने गैर-लाभकारी संगठनों को दान दिया. दान दिए पैसे इन संगठनों ने उन्हें वापस कर दिए. ऐपल द्वारा दी गई प्रोत्साहन राशि भी कर्मचारियों ने अपने पास रख ली. इसके साथ ही इस दान पर टैक्स छूट का लाभ भी उठाया गया.
ऐपल का यह घोटाला भारत में होने वाले 80जी घोटाले जैसा ही है. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80G करदाताओं को पात्र धर्मार्थ संस्थानों को धन दान करके टैक्स बचाने की अनुमति देती है. योग्य संस्थानों और संगठनों को दान देकर करदाता दान की गई राशि के 50% से लेकर 100% तक की कटौती का दावा कर सकते हैं. भारत में बहुत से कर्मचारी इस छूट का दुरुपयोग धर्मार्थ संस्थानों के साथ मिलकर करते हैं. धर्मार्थ संस्थान दान की गई राशि का कुछ फीसदी अपने पास रखकर बाकी कर्मचारी को वापस कर देते हैं.
$1.52 लाख की धोखाधड़ी का आरोपअमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, इस योजना के जरिए Apple को तीन वर्षों में लगभग $1.52 लाख (करीब 1.26 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ. इस मामले में सांता क्लारा काउंटी के जिला अटॉर्नी कार्यालय ने छह लोगों पर आरोप लगाए हैं. हालांकि, जिन लोगों के नाम जारी किए गए हैं, उनमें कोई भारतीय नहीं है. क्वान नामक व्यक्ति को इस घोटाले का मुख्य आरोपी बताया गया है. वह Hop4Kids का सीईओ और अमेरिकन चाइनीज इंटरनेशनल कल्चरल एक्सचेंज (ACICE) का एकाउंटेंट था.
इन संगठनों ने फर्जी दान रिकॉर्ड तैयार कर Apple के फंड का दुरुपयोग किया.रिपोर्ट्स के मुताबिक, निकाले गए कर्मचारियों में से कई भारतीय हैं, जिन्होंने अमेरिका में तेलुगु चैरिटी संगठनों का इस्तेमाल कर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया. Apple ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. हालांकि, इस खुलासे के बाद CSR प्रोग्राम्स में संभावित दुरुपयोग और सख्त निगरानी की जरूरत पर चर्चा तेज हो गई है.
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