Last Updated:January 10, 2025, 11:40 ISTPMAY : निजी डेवलपर्स की उदासीनता और सरकारों विभागों के पास फंड कमी से गाजियाबाद में पीएम आवास योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को सरकार बहुत कम कीमत पर मकान उपलब्ध कराती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)नई दिल्ली. प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) को शुरू हुए 10 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन गाजियाबाद में इस योजना के तहत अब तक एक भी फ्लैट किसी लाभार्थियों को नहीं सौंपा गया है. सरकारी विभागों और निजी डेवलपर्स के बीच समन्वय की कमी और फंड जारी होने में देरी के कारण लाभार्थी अब भी अपने घर के सपने को पूरा होते देखने का इंतजार कर रहे हैं. यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए शुरू की गई थी, लेकिन न तो सरकार और न ही निजी डेवलपर्स द्वारा बनाए गए मकान समय पर पूरा हो पाएं हैं.
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) को पीएम आवास योजना के 3,550 फ्लैट बनाने थे, जबकि 6,150 फ्लैट का निर्माण निजी डेवलपर्स को करना था. जीडीए ने मधुबन बापूधाम, डासना और अन्य योजनाओं में 2,000 फ्लैट तैयार किए हैं, लेकिन बिजली, पानी, सीवर कनेक्शन और पहुंच मार्ग जैसी बुनियादी सुविधाओं का पूरा विकास अभी तक नहीं हुआ है.
फंड का अभाव टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने पीडब्ल्यूडी, यूपीपीसीएल, यूपी जल निगम और नगर निगम से इन कार्यों को पूरा करने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन फंड जारी न होने के कारण काम अटका हुआ है. जब तक ये सुविधाएं पूरी नहीं होतीं, फ्लैट लाभार्थियों को नहीं दिए जा सकते.” मधुबन बापूधाम योजना में 856, डासना में 432, प्रताप विहार में 1,200, नूर नगर में 400 और बाकी अन्य कॉलोनियों में फ्लैट बनाए जाने थे.
निजी डेवलपर्स का काम भी अधूरानिजी डेवलपर्स को पीएमएवाई के तहत 6,000 से अधिक फ्लैट बनाने थे, लेकिन इनमें से एक भी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है. जीडीए नियमित रूप से डेवलपर्स से काम की प्रगति पर जानकारी मांगता है. जीडीए के अनुसार, कई डेवलपर्स ने काम लगभग पूरा होने का आश्वासन दिया है, लेकिन अब तक कोई फ्लैट वितरित नहीं किया है.
क्रेडाई ने सरकार के सर मढा दोष भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर्स संघ (क्रेडाई) ने देरी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. क्रेडाई के एक सदस्य ने कहा, “शुरुआत में निजी डेवलपर्स को बहुत कम प्रोत्साहन दिया गया था, जिससे वे इस योजना में रुचि नहीं दिखा पाए. अब जब नियमों में ढील दी गई है, तो डेवलपर्स तेजी से फ्लैटों का निर्माण कर रहे हैं.” वहीं, क्रेडाई-एनसीआर के सचिव गौरव गुप्ता ने कहा, “किफायती आवास अब डेवलपर्स के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है. जमीन की कीमतों और निर्माण लागत में वृद्धि के कारण डेवलपर्स को नुकसान हो रहा है. हमने सरकार से मूल्य सीमा हटाने की मांग की है.”
पीएमएवाई के तहत ग्रुप हाउसिंग डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट्स में 10% फ्लैट ईडब्ल्यूएस और 10% फ्लैट एलआईजी के लिए बनाना अनिवार्य है. ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स की कीमत लगभग 6 लाख रुपये और एलआईजी फ्लैट्स की कीमत 9 लाख रुपये तय की गई है.
फ्लैट्स की बढ़ी कीमतेंफरवरी 2021 में जीडीए बोर्ड ने पीएमएवाई फ्लैट्स की कीमत 4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी. इसमें से 2.5 लाख रुपये केंद्र सरकार और 1 लाख रुपये राज्य सरकार देगी. शेष 2.5 लाख रुपये लाभार्थी को भुगतान करना होगा. फंड किस्तों में जारी होता है, लेकिन परियोजनाओं में देरी के कारण लाभार्थियों को फ्लैट नहीं मिल पा रहे हैं.
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