बड़ी-बड़ी कंपनियों ने पहले छोटी कंपनियों को ऊंचे-ऊंचे भावों पर खरीदा और अब स्थिति यह आ गई है कि उन्हीं कंपनियों को सस्ते में बेचकर भाग रही हैं. अधिग्रहण करने वाली कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन बेचना भी मजबूरी है. ऐसा तब होता है, जब कंपनियां अपनी रणनीति (स्ट्रैटेजी) और बाजार की वास्तिवकता के बीच सामंजस्य नहीं बैठा पाने में नाकाम रहती हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बड़े-बड़े लालाओं (बिजनेस ग्रुप्स) ने पहले बादाम के रेट पर माल खरीदा और अब मूंगफली के भाव बेचकर अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं.
CNBC TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड चीन की बड़ी कंपनी है. यह अमेरिकी शेयर बाजार में लिस्टेड भी है. इसने हाल ही में घोषणा की कि वह चीनी डिपार्टमेंट स्टोर चेन इन्टाइम (Intime) को 1 बिलियन डॉलर में बेच रही है. यह कीमत 2017 में अलीबाबा द्वारा इसे खरीदे जाने के समय की वैल्यूएशन से 30% कम है. इस सौदे से अलीबाबा को 1.3 बिलियन डॉलर का घाटा उठाना पड़ रहा है.
90 परसेंट तक का नुकसानइसी तरह, ब्लैकबेरी लिमिटेड ने भी अनाउंस किया है कि वह अपने साइलेंस एंडपॉइन्ट सिक्योरिटी (Cylance endpoint security) को 160 मिलियन डॉलर में आर्कटिक वुल्फ (Arctic Wolf) नामक एक सॉफ्टवेयर स्टार्टअप को बेच रही है. यह कीमत उस 1.4 बिलियन डॉलर की तुलना में बहुत काफी कम है, जो ब्लैकबेरी ने 2018 में इस यूनिट को खरीदने के लिए चुकाई थी. रॉयल बैंक ऑफ कनाडा के विश्लेषकों के अनुसार, ब्लैकबेरी के स्वामित्व में साइलेंस को भारी घाटा हुआ तथा उसके रेवेन्यू में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आई.
पिछले महीने की बात है, जब जस्ट ईट टेकअवे.कॉम एनवी (Just Eat Takeaway.com NV) ने अमेरिकी फूड डिलीवरी सर्विस ग्रुबहब (Grubhub) को 650 मिलियन डॉलर में बेचने पर सहमति जताई. बता दें कि कोविड महामारी के चरम पर उसने इस बिजनेस को खरीदने के लिए इससे 90 फीसदी अधिक कीमत चुकाई थी.
क्यों हो रहे हैं घाटे?विशेषज्ञ मानते हैं कि इन सौदों में कंपनियों ने संभावित लाभ और क्षमताओं (synergies) को सही ढंग से नहीं आंका. महामारी के दौरान अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और कम ब्याज दरों के कारण कंपनियों ने अधिक मूल्य चुकाया. जिसका परिणाम अब घाटे के रूप में सामने आ रहा है.
इन हालातों में, कंपनियां अपने मुख्य बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने फेल साबित हुए अधिग्रहणों को बेच रही हैं. अलीबाबा अब अपने चीनी ई-कॉमर्स डिवीजन को बढ़ावा देने में जुटा है, क्योंकि उसे पीडीडी होल्डिंग्स और बाइटडांस से काफी कड़ा कंपीटिशन मिल रहा है. ब्लैकबेरी ने अपने इंटरनेट ऑफ थिंग्स और सुरक्षित संचार प्लेटफॉर्म्स पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है.
यह बात अलग है कि वर्तमान में अधिग्रहण और विलय का बाजार दोबारा सक्रिय हो रहा है. इस वर्ष यह 3.2 ट्रिलियन डॉलक (लगभग 2,62,40,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच चुका है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले वर्ष यह गति और तेज हो सकती है.
Tags: Business news, Retail companyFIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 16:41 IST
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