World’s Oldest Ice : वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की गहराई से करीब 1.2 मिलियन साल पुरानी बर्फ को निकालने में सफलता हासिल की है, जो संभवतः दुनिया की सबसे पुरानी बर्फ हो सकती है. -35 डिग्री सेल्सियस की अत्यंत ठंड में काम करते हुए टीम ने 2.8 किलोमीटर लंबी बर्फ के कोर को ड्रिल किया, जिसमें अत्यंत पुराने हवा के बुलबुले भरे हुए थे, जो धरती के जलवायु के इतिहास के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दे सकते हैं.
चार साल की कड़ी मेहनत के बाद 7 अन्य देशों के साथ रेस करते हुए अंतरराष्ट्रीय टीम ने ने अंटार्कटिका की बर्फीली चादर के नीचे पहुंचकर 9,186 फीट लंबा सैम्पल निकाला.
EPICA के को-ऑर्डिनेटर ने इस बर्फ के बारे में क्या कहा?
बर्फ के कोर को ढ़ूंढ़ने वाले टीम यूरोपियन प्रोजेक्ट फॉर आइस कोरिंग इन अंटार्कटिका (EPICA) के को-ऑर्डिनेटर कार्लो बारबांटे ने कहा, “यह कोर एक टाइम मशीन है, जो पृथ्वी के जलवायु का एक असाधारण आर्काइव रिकॉर्ड करती है.” उल्लेखनीय है कि अब तक बर्फ के कोर को 1 मीटर की कई टुकड़ों में इसका अध्ययन करने के लिए काट दिया गया है. दावा किया जा रहा है कि यह पृथ्वी पर सबसे पुरानी ड्रिल की गई बर्फ है, जिसके अंदर धरती के जलवायु के विकास से जुड़े रहस्यों का जबाव छिपा मिल सकता है.
धरती के जलवायु की क्षमता का चलेगा पता
कार्लो बारबांटे ने CNN ने ईमेल के माध्यम से बताया, “बर्फ के कोर के अंदर फंसे हवा के बुलबुले कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैस कंसनट्रेशन का पूर्व के वायुमंडलीय कॉम्पोजिशन का डारेक्ट स्नैपशॉट देते हैं.”
उन्होंने कहा, “इनका विश्लेषण करके हम यह पता लगा सकते हैं कि पृथ्वी की जलवायु ने सोलर रेडिएशन, वोलकैनिक एक्टिविटी और ऑर्बिटल वैरिएशन्स जैसे जलवायु परिवर्तन के सामने किस प्रकार से रिस्पॉन्ड करती है. यह डेटा हमें सैकड़ों हज़ारों वर्षों से लेकर अब तक 1.2 मिलियन वर्ष और उम्मीद है कि उससे भी आगे तक ग्रीनहाउस गैसों और ग्लोबल तापमान के बीच कठोर संबंधों को समझने में मदद करता है.”
An international team of scientists announced they’ve successfully drilled one of the oldest ice cores yet, penetrating nearly 2 miles to Antarctic bedrock to reach ice they say is at least 1.2-million-years old. pic.twitter.com/KBbY6adwMv
— The Associated Press (@AP) January 9, 2025
अचानक क्यों बदल गया पृथ्वी पर आइस एज का काल
हालांकि वैज्ञानिकों को यह भी उम्मीद है कि ये बर्फ़ उन्हें एक मिलियन साल पहले पृथ्वी के आइस एज के काल के अचानक बदलने का कारण समझने में मदद करेगी. हाल ही में एक रिसर्च से पता चलता है कि इस घटना के कारण प्राचीन मानव पूर्वजों का लगभग विलुप्त होना तय था.
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