World Bank to Pakistan : ‘गरीबी में आटा गीला!’, इस कहावत को पूरी तरह से चरितार्थ करते हुए वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को एक करारा झटका दिया है. वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को देने जाने वाले 500 मिलियन डॉलर से अधिक के बजट सहायता लोन को रद्द कर दिया है. बैंक ने इसके पीछे का कारण पाकिस्तान तय समय सीमा के अंदर कई महत्वपूर्ण शर्तों को पूरा करने में विफलता को बताया है.
पाकिस्तान की एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, विश्व बैंक के जरूरी शर्तों में चीन और पाकिस्तान के CPEC के संबंध में क्रय शक्ति समझौते को रिवाइज करना शामिल था. वाशिंगटन में स्थित इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने यह भी घोषणा कर दी कि अब चालू वित्तीय वर्ष के दौरान पाकिस्तान को कोई नया बजट सहायता लोन स्वीकृत नहीं किया जाएगा.
वर्ल्ड बैंक के प्रवक्ता ने क्या कहा?
वर्ल्ड बैंक के प्रवक्ता ने कहा, “चालू वित्त वर्ष के लिए कोई बजट सहायता की योजना नहीं है, जो जून 2025 में समाप्त होगा.” इस वित्तीय वर्ष के लिए, IMF ने 2.5 बिलियन डॉलर के बाहरी वित्तपोषण अंतर की पहचान की है जिसे नए ऋणों के माध्यम से संबोधित करने की आवश्यकता है. उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक (World Bank) एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था है. विश्व बैंक दुनिया के 189 सदस्य देशों को एक साथ लाता है, जो संस्था के वित्तपोषण के तरीके और धन के आवंटन के लिए जिम्मेदार हैं.
क्या है पाकिस्तान का PACE कार्यक्रम?
पाकिस्तान के सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि विश्व बैंक ने किफायती और स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम (PACE-II) के तहत पाकिस्तान को दिए जाने वाले 500 से 600 मिलियन डॉलर के ऋण को रद्द कर दिया है। न्यूज एजेंसी ANI के हवाले से बताया गया है कि शुरुआत में 500 मिलियन डॉलर निर्धारित की गई ऋण राशि को बाद में बढ़ाकर 600 मिलियन डॉलर कर दिया गया, ताकि पाकिस्तान के बाहर से लेने वाले कर्ज के अंतर को दूर किया जा सके. PACE कार्यक्रम को विश्व बैंक ने जून 2021 में मंजूरी दी थी, जिसमें 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पहली किस्त पहले ही जारी की जा चुकी है.
पाकिस्तान ने इन शर्तों को पूरा नहीं किया
पाकिस्तान के Pace कार्यक्रम की दूसरी किस्त कई शर्तों को पूरा करने पर निर्भर थी, जैसे कि सभी स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPP) के साथ बातचीत करना, खासकर CPEC के तहत बनाए गए चीनी बिजली संयंत्रों के साथ. जिसमें पाया गया कि CPEC से संबंधित बिजली संयंत्रों के साथ समझौतों पर फिर से बातचीत करने में कोई प्रगति नहीं हुई है.
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