Last Updated:March 27, 2025, 14:14 IST
USCIR Report 2025: USCIRF यानी अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंताजनक रिपोर्ट जारी की, जिसे भारत ने पक्षपाती और गलत बताया. भारत ने रिपोर्ट को खारिज कर इसे आंतरि…और पढ़ें
अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट पर भारत ने आपत्ति जताई है.
हाइलाइट्स
- USCIRF की रिपोर्ट को भारत ने पक्षपाती बताया.
- भारत ने रिपोर्ट को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना.
- USCIRF ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता जताई.
अमेरिका का एक स्वतंत्र सरकारी संस्था है. नाम है- यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम. हिंदी में कहें तो अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग. यह आयोग है तो अमेरिका का, मगर इसके काम पाकिस्तान वाले रहे हैं. इसके पास कोई काम नहीं होता, भारत के खिलाफ जहर उगलने को. इस अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) को दुनिया में कत्लेआम नहीं दिखता. चीन-पाकिस्तान और मिडिल ईस्ट में मुसलमानों पर जुल्म नहीं दिखता. इसे केवल हिंदुस्तान में ही कमियां दिखती है. कुछ नहीं होता है तो यह संस्था भारत के खिलाफ रिपोर्ट बनाती है. उसे जारी करती है और दुनिया में हो-हल्ला मचवाती है. इस बार भी इस अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने कुछ ऐसा ही किया. मगर भारत ने हर बार की तरह मुंहतोड़ जवाब दिया.
सबसे पहले जानते हैं कि अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की नई रिपोर्ट में क्या है. USCIRF की 2025 वार्षिक रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रा की स्थिति को चिंताजनक बताया गया है. रिपोर्ट में भारत की खूफिया एजेंसी रॉ (RAW) को बैन करने की मांग की गई है. रिपोर्ट का दावा है कि अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों और ईसाइयों, के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न बढ़ा है. इसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), धर्मांतरण विरोधी कानूनों और गाय स्लॉटर कानूनों को अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाला करार दिया गया. USCIRF ने भारत को ‘विशेष चिंता का देश’ घोषित करने और RAW पर बैन की सिफारिश की. USCIRF ने रॉ पर विदेशों में हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाया है.
भारत ने खारिज की रिपोर्ट
हालांकि, रिपोर्ट आते ही भारत ने पलटवार किया और अमेरिका को खबरदार कर दिया. भारत ने USCIRF की 2025 रिपोर्ट को खारिज कर इसे पक्षपाती, राजनीति से प्रेरित और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि USCIRF भारत की बहुलवादी संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों को समझने में विफल रहा है. भारत ने रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन और RAW पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया और इसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना. रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘भारत 1.4 अरब लोगों का घर है, जहां मानव जाति के लिए ज्ञात सभी धर्मों के अनुयायी हैं. हालांकि, हमें कोई उम्मीद नहीं है कि USCIRF भारत के बहुलवादी ढांचे की वास्तविकता से जुड़ेगा या इसके विविध समुदायों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को स्वीकार करेगा. लोकतंत्र और सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को कमजोर करने के ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे. खुद USCIRF को चिंता की इकाई के रूप में नामित किया जाना चाहिए.’
अब जानते हैं कि आखिर यह (USCIRF) क्या है?
USCIRF यानी यूनाइटेड स्टेट कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम एक स्वतंत्र अमेरिकी सरकारी निकाय है. इसकी स्थापना 1998 में हुई थी. जब इसकी स्थापना हुई, तब इसका मकसद व्यापक था. दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता की निगरानी करना और उल्लंघनों की रिपोर्ट देना. यह अमेरिकी कांग्रेस और राष्ट्रपति को नीतिगत सिफारिशें देता है, जैसे ‘विशेष चिंता के देश (CPC) की पहचान और प्रतिबंधों का प्रस्ताव. USCIRF वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जिसमें देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार का विश्लेषण होता है. हालांकि, अब यह संस्था अमने मकसद से भटक गई है. यह बायस्ड है. यह पक्षताप करती है. भारत ही नहीं, बल्कि कई देश इसकी रिपोर्ट को गलत और पक्षपाती बताते रहे हैं.
क्यों सवालों के घेरे में USCIRF
अब सवाल है कि इस संस्था सवालों के घेरे में क्यों है? क्यों यह संस्था अक्सर भारत के खिलाफ जहर उगलती है. इसकी रिपोर्ट अक्सर भारत के खिलाफ ही क्यों होती है. तो इसका सीधा जवाब है USCIRF का पाकिस्तानी कनेक्शन. जी हां, USCIRF अब नाम की अमेरिका की संस्था है. इसमें पाकिस्तानी मूल के लोगों का वर्चस्व है. उनका एजेंडा ही इसमें चलता है. यूं कहिए कि USCIR में पाकिस्तानियों से भरा पड़ा है.वैसे तो पाकिस्तानी मूल का सीधे तौर पर एक ही अधिकारी है. मगर इंडायरेक्टली कई लोग इससे जुड़े हैं. अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग में फिलहाल पाकिस्तानी मूल के एक सदस्य डॉ. आसिफ महमूद हैं. इनकी नियुक्ति जिन्होंने की है, असल खेल वही करते हैं. नाम है- हकीम जेफ्रीस. वह हाउस माइनॉरिटी लीडर हैं.
ट्रंप कतरेंगे पर?
कहा जा रहा है कि USCIRF ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके पीछे पाकिस्तानी मूल के आसिफ महमूद ही हैं. आसिफ महमूद ने अपने आका हकीम जैफ्रीस के कहने पर ही भारत के खिलाफ उलूल-जुलूल लिखा है. हकीम जेफ्रीस अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक अल्पसंख्यक नेता हैं. कहने को उनका USCIRF के साथ सीधा संबंध केवल आयुक्तों की नियुक्ति तक सीमित है. हालांकि, वह इस आयोग में अपना एजेंडा चलाते हैं. वह अक्सर भारत को टारगेट करते हैं. इस विभाग में ज्यादातर बाइडन की ओर से नियुक्त लोग ही हैं. अब तक डोनाल्ड ट्रंप की इस विभाग पर नजर नहीं पड़ी है. जिस दिन डोनाल्ड ट्रंप की इस विभाग पर नजर पड़ेगी, इसका खात्मा तय है. कारण कि अमेरिका वाल भी मानते हैं कि इस विभाग का अब कोई महत्व नहीं रह गया है. अब देखने वाली बात होगी कि भारत के प्रतिकार का अमेरिका में कोई एक्शन होता है या नहीं.
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