यूक्रेन को हथियारों देने से रोकने का निर्णय देश के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की द्वारा पश्चिमी सहयोगियों से रूसी हवाई हमलों में तेजी के बाद अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने का अनुरोध करने के बाद लिया गया है. रूस ने हाल के हफ्तों में यूक्रेन पर लगभग रात में हवाई हमले किए हैं, जिसमें सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलें शामिल हैं. यूक्रेनी सेना ने कहा कि रूसी हवाई हमले के दौरान उसका F-16 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से एक पायलट की मौत हो गई. अमेरिका के इस फैसले से यूक्रेन को रूस के बढ़ते हमलों के बीच बड़ा झटका लगा है. क्योंकि उसकी वायु रक्षा और तोपखाने की क्षमता सीधे तौर पर अमेरिकी सप्लाई पर निर्भर थी. यूक्रेन ने इस कदम की आलोचना की है और चेतावनी दी है कि इससे उसकी रक्षा क्षमता कमजोर होगी.
अमेरिका देता रहा सबसे ज्यादा सैन्य सहायता
यूक्रेनी विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा ने कहा कि यूक्रेन को तत्काल अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है. क्योंकि रूस यूक्रेनी शहरों के खिलाफ अपने हवाई हमलों के आकार और फ्रीक्वैंसी को बढ़ाता जा रहा है. उन्होंने कहा कि अकेले जून माह में रूस ने यूक्रेन के विरुद्ध 330 से अधिक मिसाइलें दागीं, जिनमें लगभग 80 बैलिस्टिक मिसाइलें, 5,000 लड़ाकू ड्रोन और 5,000 ग्लाइडिंग बम शामिल हैं. रूस द्वारा 2022 में पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद से अमेरिका यूक्रेन को सैन्य सहायता देने वाला सबसे बड़ा हथियार दाता रहा है. जिसने यूक्रेन को वायु रक्षा प्रणाली, ड्रोन, रॉकेट लांचर, रडार, टैंक और कवच रोधी हथियार प्रदान किए हैं. जिससे अमेरिकी भंडार के घटने को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
ट्रंप के आने से बदल गया सहायता संतुलन
लेकिन ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद से यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता का संतुलन काफी हद तक बदल गया है, जिससे कीव के लिए अमेरिकी समर्थन के भविष्य पर संदेह पैदा हो गया है. अप्रैल में यूरोप ने पहली बार यूक्रेन को दी गई कुल सैन्य सहायता में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया. यूरोप का योगदान 72 बिलियन यूरो (84.9 बिलियन डॉलर) के बराबर था, जबकि अमेरिका का योगदान 65 बिलियन यूरो (76.6 बिलियन डॉलर) था. यह बदलाव तब आया जब मार्च में ओवल ऑफिस में जेलेंस्की के साथ तीखी बहस के बाद ट्रंप ने यूक्रेन को सैन्य सहायता की सभी खेप रोक दी थीं. ट्रंप ने करीब एक सप्ताह बाद यूक्रेन को सहायता फिर से शुरू कर दी.
क्या अमेरिका के पास कम हो गया सैन्य स्टॉक
अमेरिका ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई मुख्य रूप से इसलिए रोकी है क्योंकि उसके अपने सैन्य भंडार (स्टॉक) में जरूरी हथियारों की कमी हो गई है. पेंटागन की हालिया समीक्षा में यह पाया गया कि अमेरिका के पास कई महत्वपूर्ण हथियार—जैसे कि एयर डिफेंस मिसाइलें (पैट्रियट, स्टिंगर), 155 मिमी आर्टिलरी शेल्स, GMLRS मिसाइलें, हेलफायर मिसाइलें और अन्य सटीक हथियार अब तय सुरक्षा मानकों से कम रह गए हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता: व्हाइट हाउस की प्रवक्ता के अनुसार यह निर्णय अमेरिका के अपने हितों और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि अमेरिकी सेनाओं की तैयारियों में कोई कमी न आए.
यूरोपीय देश और यूक्रेन मानते हैं कि अगर अमेरिका हथियार देना बंद कर देता है, तो रूस को रणनीतिक बढ़त मिल जाएगी और युद्ध का संतुलन बिगड़ जाएगा. यूरोप के कई देश पहले से ही यूक्रेन की मदद कर रहे हैं, लेकिन उनकी क्षमताएं सीमित हैं और वे अकेले अमेरिका की भरपाई नहीं कर सकते. यूरोपीय देशों और यूक्रेन का मानना है कि अमेरिका ने पहले सुरक्षा और समर्थन का वादा किया था, ऐसे में युद्ध के बीच में सप्लाई रोकना नैतिक और राजनीतिक रूप से गलत है. इससे पश्चिमी एकता और यूक्रेन की रक्षा रणनीति दोनों कमजोर पड़ती हैं.
रूस को मिली रणनीतिक बढ़त
अमेरिका के इस फैसले से रूस को मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक बढ़त मिली है, जिसे यूरोप और यूक्रेन दोनों अपने लिए खतरा मानते हैं. क्रेमलिन ने भी खुले तौर पर इस फैसले का स्वागत किया है. कई सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिका की सप्लाई लंबे समय तक बंद रही, तो रूस को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है. वह यूक्रेन के और अधिक हिस्सों पर कब्जा करने की कोशिश करेगा. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, “जहां तक हम समझते हैं, इस निर्णय का कारण खाली गोदाम, गोदामों में इन हथियारों की कमी थी. लेकिन किसी भी मामले में, यूक्रेन को जितने कम हथियार दिए जाएंगे, विशेष सैन्य अभियान का अंत उतना ही करीब होगा.”
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