जब US प्रेसीडेंट ने व्हाइट हाउस में कनाडा PM को दिया धक्का, चोट लगते-लगते बची

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Last Updated:March 03, 2025, 15:43 IST

अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की के साथ जो बर्ताव किया, वो शिष्टाचार से परे था. हालांकि अमेरिका में कई ऐसे प्रेसीडेंट हुए हैं, जिन्होंने मेहमानों के …और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • अमेरिकी प्रेसीडेंट जॉनसन को कनाडा के पीएम का आलोचना करने वाला भाषण रास नहीं आया
  • तब अमेरिका ने वियतनाम में अपनी फौजें भेजकर आक्रामक कार्रवाई की थी
  • कनाडा के पीएम के साथ यूएस प्रेसीडेंट का व्यवहार शिष्टाचार की सारी सीमाएं तोड़ने वाला था

ये वाकया 1965 का है. जब तत्कालीन अमेरिकी प्रेसीडेंट लिंडन बी. जॉनसन ने कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन को अपने ऑफिस में दीवार की ओर ऐसा धक्का दिया कि उनको सिर में चोट लगते लगते बची. आक्रामक भाषा का इस्तेमाल करते हुए धमकी दी. पीयरसन अवाक रह गए कि ये क्या हो रहा है. क्या कोई अमेरिकी प्रेसीडेंट ऐसा भी कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपतियों का दूसरे नेताओं के साथ व्यवहार हमेशा सौहार्दपूर्ण नहीं रहा है और कुछ मामलों में कूटनीतिक शिष्टाचार की सीमाओं को पार कर गया.

– निक्सन का व्हाइट हाउस उनकी असभ्य भाषा को लेकर कुख्यात था, उनके समय में व्हाइट हाउस में सबसे ज्यादा नस्लीय, सेक्सिट और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल वहां हुआ
– लिंडन जानसन इतने आक्रामक थे कि सही मायने में व्हाइट हाउस के लोग उनसे अपनी इज्जत को लेकर घबराते थे. वो धमकाते और गालियां देते थे.
– डोनाल्ड ट्रंप सोशल मीडिया और भाषणों में बहुत असभ्य भाषा का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने दिखा दिया कि शिष्टाचार की परवाह नहीं करते
– जॉन एफ. कैनेडी (1961-1963) के दौर में व्हाइट हाउस में निजी जीवन में असभ्यता थी. वह महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक व्यवहार करते थे.

तो आप समझ गए होंगे कि व्हाइट हाउस में शिष्टाचार हमेशा बरकरार नहीं रहा है. अब जानते हैं कि वो पूरा मामला क्या था, जब 1965 में जानसन में व्हाइट हाउस में मेहमान के तौर पर आए कनाडा के प्रधानमंत्री को धक्का दिया और अपशब्द कहे.अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन (Lyndon B. Johnson) और कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन (Lester B. Pearson) में इस मीटिंग की चर्चा बड़ी हैरानी के साथ पूरी दुनिया में हुई.

कनाडा के प्रधानमंत्री पीयरसन ने एक भाषण में अमेरिका की आलोचना की और कहा कि अमेरिका को वियतनाम से फौजें हटा लेनी चाहिए. ये बात अमेरिकी प्रेसीडेंट जॉनसन को बहुत बुरी लग गई. (wiki commons)

अमेरिका तब वियतनाम युद्ध में उलझा हुआ था
1960 के दशक में अमेरिका वियतनाम युद्ध में गहराई से उलझ चुका था. अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनसन चाहते थे कि उनके सहयोगी देश इस युद्ध का समर्थन करें. कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन इस युद्ध के सख्त खिलाफ थे. कनाडा ने वियतनाम में शांति वार्ता का सुझाव दिया, जो अमेरिका की आक्रामक नीति के खिलाफ था.

कनाडा के प्रधानमंत्री ने भाषण में अमेरिका की आलोचना की
पीयरसन ने एक भाषण में अमेरिका की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका को वियतनाम से धीरे-धीरे अपनी सेना हटानी चाहिए. एक कूटनीतिक हल निकालना चाहिए. जॉनसन को इस भाषण पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि वो चाहते थे कि कनाडा अमेरिका का पूर्ण समर्थन करे.

29 अप्रैल 1965 को कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन वाशिंगटन डी.सी. में थे. पीयरसन को पता था कि उनका भाषण अमेरिकी राष्ट्रपति को नाराज कर सकता है, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वे जॉनसन से इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं.

जब कनाडा के प्रधानमंत्री पीयरसन व्हाइट हाउस में पहुंचे तो जॉनसन गुस्से में भरे हुए थे. उन्होंने बातचीत के बीच में उन्हें पकड़ा और दीवार की ओर धक्का दे दिया. पीयरसन हतप्रभ रह गए. (file photo)

गुस्से में दीवार की तरफ धक्का दे दिया
पीयरसन को व्हाइट हाउस में जॉनसन से मिलने बुलाया गया. जॉनसन पहले से ही गुस्से में थे. जब पीयरसन व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस पहुंचे, तो बातचीत के बीच में ही जॉनसन ने उन्हें अचानक पकड़कर दीवार की तरफ धक्का दे दिया. फिर बहुत गुस्से में बोले:
“You don’t come into my damn backyard and piss on my rug.” (मतलब: “तुम मेरे घर आकर मेरे कालीन पर पेशाब नहीं कर सकते!”)

पीयरसन हैरान रह गए, जॉनसन चिल्लाते रहे
पीयरसन इस हमले से हैरान रह गए. सकते में आ गए. जॉनसन उन्हें घूरते हुए चिल्लाते रहे. उनके भाषण को ‘बेवकूफी भरा और अपमानजनक’ बताया.कनाडा के प्रधानमंत्री पीयरसन उस समय 69 साल के थे. वह स्वभाव से शांत नेता थे. उन्होंने जॉनसन को किसी तरह शांत करने की कोशिश की. कहा कि वह केवल शांति स्थापित करने का सुझाव दे रहे थे, अमेरिका की आलोचना नहीं कर रहे थे.

कनाडा – अमेरिका में तनाव बढ़ गया
हालांकि, इस घटना के बाद कनाडा और अमेरिका के संबंधों में कुछ समय के लिए तनाव बढ़ गया. जॉनसन अपनी गुस्सैल और आक्रामक प्रवृत्ति के लिए बदनाम थे. वह “The Johnson Treatment” नाम की एक रणनीति अपनाते थे, जिसमें वे अपने विरोधियों को शारीरिक दबाव और धमकी देकर डराने की कोशिश करते थे. लंबे कद के जानसन अक्सर अपनी ऊंचाई (6 फीट 4 इंच) और विशाल शरीर का इस्तेमाल करते हुए दूसरों को डराते थे.

पीयरसन ने इसे विवाद नहीं बनाया
ये घटना बताती है कि जॉनसन सत्ता के नशे में कितने आक्रामक और असभ्य हो सकते थे. हालांकि पीयरसन ने इसे सार्वजनिक रूप से कभी विवाद नहीं बनाया, जिससे यह मामला बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा. यह अमेरिकी इतिहास की उन घटनाओं में एक है जहां एक राष्ट्रपति ने खुलेआम अपनी नाराजगी दिखाने में शिष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दीं!.

जॉनसन मंत्रियों और स्टाफ से अभद्रता से बोलते थे
जॉनसन अपने कर्मचारियों और मंत्रियों के साथ अभद्र भाषा बोलते थे. अक्सर “Goddamn,” “Bullshit,” और “Son of a Bitch” जैसी गालियों का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने अपने स्टाफ से टॉयलेट में बैठकर भी बात करने की आदत बना रखी थी, जो बेहद असभ्य और असम्मानजनक माना जाता था.

अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों का खराब व्यवहार
अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भी अलग-अलग संदर्भों में अन्य राष्ट्रप्रमुखों के साथ अपमानजनक, असंवेदनशील, या धमकी भरा व्यवहार किया.

1. रिचर्ड निक्सन और भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (1971)
– निक्सन ने इंदिरा गांधी के प्रति अवमाननापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया. पाकिस्तान पर हमला नहीं करने के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की. उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर के साथ बातचीत में गांधी के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग भी रिकॉर्ड किया गया.
निक्सन ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी को “Witch” (डायन)” और “Old Bitch” (बूढ़ी कुतिया) कहा. भारत को “गंदा देश” और “भिखारियों का देश” कहा. यह बातें उनकी गुप्त व्हाइट हाउस रिकॉर्डिंग्स (जो 2005 में सार्वजनिक हुईं) से सामने आईं.

2. जॉर्ज डब्ल्यू. बुश और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल (2006)
एक बार बुश ने जी8 सम्मेलन के दौरान मर्केल के कंधों पर अचानक हाथ रख दिया, जिससे वह असहज हो गईं. यह हरकत उस समय कई लोगों को अजीब और गलत लगी.

3. बराक ओबामा और रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (2012)
ओबामा ने मेदवेदेव से ऑफ-द-रिकॉर्ड बातचीत में कहा था कि “वह पुतिन के साथ अधिक लचीलापन दिखा सकते हैं” यदि वह फिर से चुने जाते हैं. यह बयान बाद में विवाद का कारण बना.

4. जॉन एफ. कैनेडी और सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव (1961)
विएना शिखर सम्मेलन के दौरान कैनेडी और ख्रुश्चेव के बीच तीखी बातचीत हुई. दोनों के बीच तू-तू-मैं-मैं वाली स्थिति आ गई. कैनेडी ने बाद में माना कि यह बैठक उनके लिए बहुत कठिन रही.
कैनेडी ने व्हाइट हाउस में एक सेक्स स्कैंडल को छिपाने के लिए गालियों और धमकियों का इस्तेमाल किया था. उनके बारे में कहा जाता है कि वे महिला कर्मचारियों से बेहद अभद्र भाषा में बात करते थे.

5. थियोडोर रूजवेल्ट (1901-1909)
रूजवेल्ट की विदेश नीति का मूल मंत्र था कि “धीरे से बोलो, लेकिन हाथ में डंडा रखो.” वह अपने भाषणों में गुस्सैल और हिंसात्मक भाषा का इस्तेमाल करते थे.

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