US President Donald Trump: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए 6-3 के फैसले ने न केवल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को राहत दी, बल्कि अमेरिकी संवैधानिक प्रणाली में शक्ति के संतुलन को लेकर बहस को भी तेज कर दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जिला अदालतों के न्यायाधीशों की तरफ से जारी राष्ट्रव्यापी निषेधाज्ञाएं उनकी कानूनी सीमा से बाहर हो सकती हैं.
ट्रंप ने इसे एक जबरदस्त जीत करार दिया और संकेत दिया कि वे अब उन सभी नीतियों को दोबारा लागू करेंगे जो पहले अदालतों की तरफ से रोक लगा दी गई थीं. इसमें जन्म से मिली नागरिकता को समाप्त करने का आदेश भी शामिल है, जिसे अदालतों ने असंवैधानिक बताया था. यह फैसला सीधे तौर पर यह तय नहीं करता कि ट्रंप का आदेश वैध है या नहीं, बल्कि यह इस बात पर केंद्रित है कि क्या एक ही न्यायाधीश को पूरे देश के लिए कोई आदेश रोकने का अधिकार होना चाहिए.
संवैधानिक शक्तियों की नई परिभाषा?
यह फैसला न्यायपालिका की उस शक्ति को सीमित करता है, जो अब तक राष्ट्रपति जैसे शीर्ष अधिकारियों पर अंकुश लगाने में सक्षम थी. परंपरागत रूप से अदालतों ने राष्ट्रव्यापी निषेधाज्ञाएं जारी कर कार्यपालिका की नीतियों को संविधान के अनुरूप बनाए रखा है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एमी कोनी बैरेट ने अपने बहुमत फैसले में लिखा, “संघीय न्यायालय कार्यकारी शाखा की सामान्य निगरानी नहीं करते हैं.” यह कथन स्पष्ट करता है कि अब अदालतें नीतियों पर सीधे रोक लगाने में सावधानी बरतेंगी, जिससे कार्यपालिका के हाथ खुल सकते हैं.वहीं न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमयोर की असहमति में गहरी चिंता झलकती है. उन्होंने लिखा, “न्यायालय की तरफ से बनाए गए नए कानूनी शासन में कोई भी अधिकार सुरक्षित नहीं है.”
कोर्ट के आदेश पर भड़के डेमोक्रेट्स
डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने फैसले को अधिनायकवाद की ओर एक भयावह कदम बताया. उन्होंने आशंका जताई कि यह ट्रंप जैसे नेताओं को न्यायिक जवाबदेही से बाहर कर देगा. डेमोक्रेट्स का मानना है कि ट्रंप पहले से ही कार्यकारी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और अब यह फैसला उन्हें और अधिक खुली छूट देगा.
ट्रंप का विवादित आदेश जन्मसिद्ध नागरिकता पर हमला
जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने का ट्रंप का प्रयास अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन को सीधे चुनौती देता है, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि अमेरिका में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति अमेरिकी नागरिक है. ट्रंप का दावा है कि यह नीति केवल दासों के बच्चों के लिए बनाई गई थी, जबकि इसका दायरा उससे कहीं ज्यादा व्यापक है.उनके आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि अगर माता-पिता अवैध रूप से या वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं तो उनके बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी. इस नीति को मैरीलैंड, मैसाचुसेट्स और वाशिंगटन जैसे राज्यों की अदालतों ने पहले ही असंवैधानिक ठहराया था.
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