US Attacks Iran: 22 जून की रात जब पूरी दुनिया सो रही थी, तब पश्चिम एशिया में एक ऐसा धमाका हुआ जिसने पूरी वैश्विक व्यवस्था की नींव हिला दी. एक जमाना था जब अमेरिका ‘मध्यस्थ’ की भूमिका में देखा जाता था, लेकिन अब वह खुद इस युद्ध में उतर चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिका ने ईरान के तीन सबसे महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर ‘बंकर बस्टर’ बमों से हमला किया, जिससे युद्ध एक बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है.
क्या होता है ‘बंकर बस्टर’ हथियार
इस हमले में अमेरिका ने GBU-57 नामक विशाल आयुध भेदक (Massive Ordnance Penetrator) का प्रयोग किया, जिसे ‘बंकर बस्टर’ कहा जाता है.
वजन: 30,000 पाउंड (लगभग 13.6 टन)
लंबाई: 20 फीट
क्यों खास: यह बम कई सौ फीट गहराई में छिपे बंकरों और कंक्रीट संरचनाओं को भेदने में सक्षम है. इसे केवल B-2 स्टील्थ बॉम्बर ले जा सकता है. इस बम को फोर्डो जैसे दुर्गम ठिकानों को पूरी तरह नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है.
तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर हमला:
शनिवार रात अमेरिकी बमवर्षकों ने ईरान के फोर्डो (Fordo), नतांज (Natanz) और इस्फ़हान (Isfahan) स्थित तीन अत्यंत संवेदनशील परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की. राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद इन हमलों की पुष्टि करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि “फोर्डो पर फुल पेलोड गिराया गया है. हमारे सभी विमान सुरक्षित लौट आए हैं.”
फोर्डो – पहाड़ों के नीचे स्थित एक अति-गोपनीय यूरेनियम संवर्धन केंद्र, जिसे अब तक अजेय माना जाता था.
नतांज – ईरान का सबसे बड़ा और सक्रिय यूरेनियम संवर्धन संयंत्र.
इस्फहान के पास का ठिकाना – जहां बम-स्तर का संवर्धित यूरेनियम संग्रहित होने की खबरें थीं.
400 से ज्यादा मौतें, 3,000 घायल
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हमलों में अब तक 400 से अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें 54 महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. घायलों की संख्या 3,000 के पार जा चुकी है. कई मिसाइलें रिहायशी इलाकों, अपार्टमेंटों और सामान्य जीवन जी रहे नागरिकों पर गिरी हैं. साथ ही, ईरान में इंटरनेट ब्लैकआउट की स्थिति बनी हुई है, जिससे आम जनता का आपसी संपर्क और दुनिया से जुड़ाव पूरी तरह ठप हो गया है.
आयतुल्लाह खामेनेई खतरे में
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई अपनी जान को लेकर गंभीर खतरा महसूस कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार वे लगातार अपने ठिकाने बदल रहे हैं और सीधे संवाद करने की बजाय अपने विश्वसनीय सहयोगियों के जरिए संपर्क में हैं. ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के तीन शीर्ष कमांडर भी हमलों में मारे जा चुके हैं.
इजरायल में हालात
ईरान ने शनिवार को जवाबी कार्रवाई में हाइफ़ा और बेरशेवा जैसे इजरायली शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन हमले किए. कई इमारतें ध्वस्त हो गईं. गोलन हाइट्स और उत्तरी इजरायल में सायरन लगातार बजते रहे. येहुदा में क्लस्टर बम का प्रयोग हुआ, जो इस युद्ध में पहली बार देखा गया. हालांकि, इजरायल का अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम अधिकांश हमलों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम रहा. लेकिन अब स्थिति ये है कि इजरायल की इंटरसेप्टर मिसाइलों की खपत, उत्पादन से कहीं अधिक हो रही है.
ट्रंप का बदला रुख
पिछले हफ्ते तक अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने साफ कहा था कि अमेरिका इस युद्ध में शामिल नहीं है. लेकिन ट्रंप की रणनीति अचानक बदल गई. धीरे-धीरे आक्रामक बयानबाजी के बाद अब अमेरिका खुद इस लड़ाई में उतर चुका है. विशेषज्ञों का कहना है कि बंकर बस्टर जैसे हथियार केवल अमेरिका के पास हैं, और सिर्फ अमेरिका ही फोर्डो जैसे ठिकानों को पूरी तरह तबाह करने में सक्षम है.
क्या यह वैश्विक युद्ध की शुरुआत है?
13 जून को शुरू हुआ यह संघर्ष अब धीरे-धीरे एक वैश्विक संकट का रूप लेता जा रहा है. अमेरिका की सैन्य भागीदारी के बाद अब यह सिर्फ इजरायल और ईरान की लड़ाई नहीं रही. पश्चिम एशिया के कई अरब देशों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के हमलों से उनके सीमाई इलाकों को भी खतरा हो सकता है. ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले से पूरे क्षेत्र में रेडियोएक्टिव रिसाव का खतरा बढ़ गया है, जिससे मानवता के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है.
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