UNSC में पाकिस्तान को बड़ा झटका: कश्मीर मुद्दे पर फटकार, आतंकवाद का ‘एपिसेंटर’ करार

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19 फ़रवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश की. हालांकि, भारत के अलावा अमेरिका, ईरान, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए उसे वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताया.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में 20 मिनट से अधिक के भाषण में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वापस लेने की मांग की. इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत परवथानेनी हरीश ने पाकिस्तान को “वैश्विक आतंकवाद का केंद्र” करार दिया और कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद में शामिल है और जम्मू-कश्मीर के बारे में गलत जानकारी फैला रहा है.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने समर्थन नहीं दिया. अमेरिका, ईरान, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों ने पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों को समर्थन देने और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालने का आरोप लगाया. 2008 में ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान को, ईरान को छोड़कर, विश्व का सबसे सक्रिय आतंकवादी समूहों का प्रायोजक बताया गया था. 2018 में, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुलासा किया था कि पाकिस्तानी सरकार ने 2008 के मुंबई हमलों में भूमिका निभाई थी. 2019 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने माना था कि पाकिस्तान में 30,000-40,000 आतंकवादी सक्रिय हैं.

पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय अलगाव की स्थिति

पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन के आरोपों के कारण अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहा है.
* 2016 में, SAARC शिखर सम्मेलन भारत, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान के बहिष्कार के बाद रद्द हुआ.
* पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से सहायता प्राप्त करने में कठिनाई हुई.
* अमेरिका ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया और ट्रम्प प्रशासन के दौरान सैन्य सहायता समाप्त कर दी.
* ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने 2010 में पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.

अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बिगड़ते संबंध

तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते जटिल हो गए हैं. पाकिस्तान पहले तालिबान का समर्थन करता था, लेकिन अब उसे खुद तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

* पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमलों को लेकर अफ़ग़ानिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाया.
* तालिबान ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज कर दिया है.
* भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय सहायता जारी रखी है, जबकि पाकिस्तान तालिबान से अपने राजनयिक संबंधों को लेकर दुविधा में है.

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाने के बावजूद, पाकिस्तान को वैश्विक समर्थन नहीं मिल रहा है. इसके बजाय, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और ईरान जैसे देशों ने उसे आतंकवाद का केंद्र बताया है. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.

पाकिस्तान को अपनी विदेश नीति में बदलाव लाना होगा, वरना उसे और गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. आतंकवाद को बढ़ावा देकर पाकिस्तान अपने भविष्य को खतरे में डाल रहा है. यदि वह अपनी वैश्विक साख को सुधारना चाहता है, तो उसे आतंकवाद से नाता तोड़कर एक ज़िम्मेदार राष्ट्र की तरह व्यवहार करना होगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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