Unemployment in Bangladesh: बांग्लादेश में 7 जुलाई 2024 को नौकरियों में कोटा सिस्टम के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था. इस आंदोलन की वजह से बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया था और 16 साल से चल रही शेख हसीना की सरकार गिर गई थी. वहां के हालात इतने खराब हो गए थे कि शेख हसीना को भागकर भारत में शरण तक लेनी पड़ी.
इस आंदोलन में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी. वहीं, देश में हुए तख्तापलट के बाद भी युवाओं के लिए मुश्किलें कम नहीं हुई है. बांग्लादेश में छह महीने बाद बेरोजगारों की हालत और खराब हो गई है.
बेरोजगारी की वजह हुआ था आंदोलन
बांग्लादेश में पिछले साल हुए प्रदर्शन की मुख्य वजह बेरोजगारी थी. इस प्रदर्शन के 6 महीने के बाद बाद यहां के हालत लगातार ख़राब होते जा रहे हैं. समाचार एजेंसी एएफपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस प्रदर्शन का हिस्सा बनने वाले छात्रों का सपना टूटता हुआ नजर आ रहा है. एएफपी को ढाका विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद रिजवान चौधरी ने मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने युवाओं के लिए बहुत कम कदम उठाए हैं.
उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई सार्थक पहल नहीं की है”. मोहम्मद रिजवान चौधरी ने पिछले साल इस आंदोलन में हिस्सा लिया था. बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो (BBS) के अनुसार, सितंबर में देश में बेरोजगारों की संख्या 26.6 लाख हो गई थी, जो बीते साल की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है. ये आंकड़ा अब 24.9 लाख तक पहुंच गया है.
बांग्लादेश की आर्थिक हालत हो रही है खराब
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी बांग्लादेश को सितंबर में चेतावनी दी थी कि देश की आर्थिक गतिविधि काफी धीमी हैं. वहीं, मुद्रास्फीति दोहरे अंकों के स्तर पर बनी हुई है। टैक्स से होने वाली कमाई में कमी आई है. वहीं, खर्च का दबाव बढ़ता जा रहा है. मोहम्मद रिजवान चौधरी ने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस ने छात्र नेताओं को अपनी कैबिनेट में शामिल जरुर किया है, लेकिन उन्होंने छात्रों की मांगों को नजरअंदाज किया है.
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