AI और सोवियत काल का म्यूजियम… जानें यूक्रेन ने किसकी मदद से मचा दी रूस में भीषण तबाही

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Ukraine Drone Attack in Russsia: रूस के सामरिक बेस पर यूक्रेन के स्वार्म-ड्रोन अटैक से पूरी दुनिया हैरान है. हालांकि, यूक्रेन ने इस हमले को लेकर कहा है कि पिछले डेढ़ साल से प्लानिंग चल रही है. लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि यूक्रेन ने एआई और सोवियत-काल के म्यूजियम की मदद से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े हमले को अंजाम दिया है.

दरअसल, यूक्रेन ने रूस के जिन पांच एयरबेस पर अटैक किया, उन सभी पर स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स तैनात रहते हैं यानी ऐसे मिलिट्री विमान, जो परमाणु बम ले जाने में सक्षम हैं. इन पांच एयरबेस में से एक इरकुत्स्क तो यूक्रेन बॉर्डर से करीब पांच हजार किलोमीटर दूर सुदूर-पूर्व के साइबेरिया में है. इसी तरह अमुर एयरबेस भी रूस के सुदूर-पूर्व में है.

बम और एक्सप्लोजिव से लैस ड्रोन्स ने बॉम्बर्स विमानों को बनाया निशाना

जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन की इंटेलिजेंस एजेंसी एसबीयू ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से सोवियत काल के टीयू-95 स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स पर हमले की तैयारी की. यूक्रेन ने अपने एफपीबी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन के एल्गोरिथ्म को इस तरह तय किया कि बम और एक्सप्लोजिव से लैस ड्रोन सीधे इन बॉम्बर्स पर ही जाकर गिरे. ये टीयू-95 बॉम्बर (विमान) यूक्रेन में सोवियत-काल के म्यूजियम में मौजूद थे. रूस ने कुछ साल पहले इन बॉम्बर्स को अपग्रेड कर फिर से अपने जंगी बेड़े का हिस्सा बनाया है. रूस के पास अभी भी 55 ऐसे टीयू-95 बॉम्बर हैं.

रूस के 600 किमी भीतर अंदर तक यूक्रेन के स्वार्म-ड्रोन ने किए हमले

यूक्रेन का दावा है कि रविवार (1 जून) के हमले में रूस के करीब 40 बॉम्बर तबाह हुए हैं. रूस ने भी माना है कि जिन पांच एयरबेस पर यूक्रेन ने अपने स्वार्म-ड्रोन से अटैक किया था, उनमें से तीन पर बड़ा नुकसान हुआ है. रविवार (1 जून) को यूक्रेन ने रूस के पांच अलग-अलग प्रांतों में बड़ी संख्या में एफपीवी-ड्रोन से अटैक किए थे. स्वार्म-ड्रोन यानी ड्रोन के झुंडों के जरिए रूस के चार बड़े और स्ट्रेटेजिक महत्व के एयरबेस को इन ड्रोन के जरिए बड़ा नुकसान पहुंचाए जाने की खबर है. रूस के भीतर 600 किलोमीटर दूर तक यूक्रेन के इन स्वार्म-ड्रोन ने हमले किए.

हवाई रास्ते के बजाए यूक्रेन ने सड़क के माध्यम से ट्रक से भेजे ड्रोन

ग्रीस की विश्व-प्रसिद्ध पौराणिक कथा, ट्रोजन-हॉर्स से प्रेरणा लेते हुए यूक्रेन ने इन ड्रोन को रूस के भीतर पहुंचा दिया. यूक्रेन को पता था कि सीमावर्ती एयरस्पेस में रूस का एयर-डिफेंस बेहद मजबूत है. ऐसे में बॉर्डर एरिया से बड़ी संख्या में ड्रोन को फ्लाई कर रूस के एयरबेस तक अटैक करने के लिए पहुंचाना टेढ़ी खीर हो सकती है. ऐसे में यूक्रेनी इंटेलिजेंस एजेंसी ने सड़क के रास्ते बड़ी संख्या में सिविलयन ट्रकों को रूस के पांच अलग-अलग प्रांतों में पहुंचा दिया.

यूक्रेन ने ड्रोन हमले को नाम दिया ऑपरेशन स्पाइडरवेब

यूक्रेन के इन ट्रकों में फाल्स-सीलिंग तैयार की गई. इन फाल्स सीलिंग में यूक्रेन ने स्वार्म ड्रोन छिपाकर रख दिए थे. ये ड्रोन, बम और दूसरे एक्सप्लोजिव मटेरियल से लैस थे. बॉर्डर पुलिस को गच्चा देकर यूक्रेन ने इन ट्रकों को रूस के चार स्ट्रेटेजिक एयरबेस के करीब ले जाकर खड़ा कर दिया. फिर रिमोट के जरिए दूर से ही ट्रकों की सीलिंग खोलकर स्वार्म ड्रोन से रूसी एयरबेस पर खड़े स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स पर हमला कर दिया. ड्रोन अटैक में रूस के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम विमान धू-धू कर जल उठे. रूस के पांच अलग-अलग एयरबेस पर एक ही मोडस-ऑपरेंडी के जरिए हमले किए गए. यूक्रेन ने इस ऑपरेशन को स्पाइडर-वेब नाम दिया है.

यूक्रेनी हमले की जापान के पर्ल हार्बर पर हमले से हो रही तुलना

अगर यूक्रेन का दावा सही है तो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ये किसी जंग में इतनी बड़ी संख्या में दुश्मन के मिलिट्री एयरक्राफ्ट तबाह करने माना जा सकता है. यही वजह है कि सामरिक एक्सपर्ट इसे रूस पर यूक्रेन का पर्ल-हार्बर जैसा हमला मान रहे हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर (हवाई द्वीप) पर बड़ा हवाई हमला किया था. जापान के इस हमले के बाद ही अमेरिका ने नागासाकी और हिरोशिमा पर न्यूक्लियर अटैक किया था, जिसमें लाखों लोगों की जान चली गई थी. 

यूक्रेन के ड्रोन हमले को जवाब में रूस ने दागे ओरेसनिक मिसाइल

यूक्रेन ने रूस पर स्पाइडर-वेब हमला ऐसे समय में किया जब सोमवार (2 जून) को दोनों देशों के प्रतिनिधि इस्तांबुल में शांति-वार्ता के लिए मिल रहे हैं. वहीं, पूरी दुनिया की निगाहें पुतिन पर टिकी हैं कि रूस का अलग पलटवार कैसा होगा. यूक्रेन के हमलों का जवाब देने के लिए रूस ने भी यूक्रेन के उन एयरबेस पर ‘ओरेसनिक’ मिसाइल से अटैक शुरू कर दिए हैं, जहां स्वार्म-ड्रोन तैनात रहते हैं यहां कमांड एंड कंट्रोल सेंटर हैं.

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