Taslima Nasrin Book Fair Attack: बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने हाल ही में आरोप लगाया है कि देश की मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार खुलेआम कट्टरपंथियों का समर्थन कर रही है. तस्लीमा ने यह बयान तब दिया जब अमर एकुशे पुस्तक मेला में उनके किताबों के स्टॉल पर कट्टरपंथियों ने हमला किया. इस घटना ने बांग्लादेश में बढ़ते चरमपंथ के खतरों को उजागर किया है.
अमर एकुशे पुस्तक मेले में सोमवार (10 फरवरी) को सब्यसाची प्रकाशन के स्टॉल पर हमला किया गया, जहां तस्लीमा नसरीन की किताबें प्रदर्शित की गई थीं. रिपोर्ट्स के अनुसार, हमलावरों ने स्टॉल पर तोड़फोड़ की और किताबें फेंक दीं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसे खुद तस्लीमा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया. उन्होंने कहा, “जिहादी चरमपंथियों ने मेरी किताब प्रकाशित करने के कारण स्टॉल पर हमला किया.”
At the Amar Ekushey Book Fair today, writer Shatabdi Bhav was attacked by a group of extremists backed by the illegal government. The attack was triggered by the sale of books by Taslima Nasrin at the Sabysachi Publication stall. The police had to step in and escort him out of… pic.twitter.com/FDKKDKjR3O
— Taskin Wahed Akash (@taskinakash71) February 10, 2025
यूनुस सरकार पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने का आरोप
तस्लीमा नसरीन ने मोहम्मद यूनुस की सरकार पर आरोप लगाया कि वह कट्टरपंथियों का समर्थन कर रही है और देश भर में जिहादी गतिविधियों को फैलने दे रही है. उन्होंने कहा कि मेले के अधिकारियों और पुलिस ने पहले ही उनकी किताबें हटाने का आदेश दिया था, इसके बावजूद कट्टरपंथियों ने हमला किया.
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान और पुलिस की प्रतिक्रिया
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कौमी मदरसा के छात्रों का एक समूह स्टॉल के पास आया और विरोध जताया कि तस्लीमा नसरीन की किताबें वहां क्यों रखी गई हैं. इसके बाद उन्होंने स्टॉल पर हमला कर दिया और किताबें फेंक दीं. पुलिस अधिकारी मसूद आलम ने बताया कि घटना के बाद अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया. दोनों पक्षों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया और अब स्थिति शांतिपूर्ण है.
तस्लीमा नसरीन की किताबों पर हमला
बांग्लादेश में तस्लीमा नसरीन की किताबों पर हुआ यह हमला देश में बढ़ते चरमपंथ की चिंताओं को उजागर करता है. लेखिका ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कितनी सुरक्षित है. इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी आकर्षित किया है.
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