सीरिया में अल असद परिवार के 50 साल का शासन खत्म, जानें किसे मिलेगी सत्ता?

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Syria Civil War Update: सीरिया में विद्रोहियों ने तख्तालट कर दिया है. विद्रोही समूह ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. विद्रोहियों की घेराबंदी के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं. असद पिछले 24 सालों से यहां की सत्ता में बने हुए थे. विद्रोहियों का कहना है कि उन्होंने 50 साल के उत्पीड़न और 13 सालों के अत्याचार और अपराध का अंत किया. विद्रोही अभी सीरिया के अलग-अलग जगहों पर फायरिंग कर अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं.

नई सरकार किसके नेतृत्व में बनेगी

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद एक विमान IL-76T में सवार होकर दमिश्क से किसी अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गए हैं. दमिश्क से निकलने के बाद उनका विमान रडार से गायब हो गया. उनके देश छोड़ने के बाद विद्रोहियों ने तख्तापलट का ऐलान किया. विद्रोही गुट ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण तक पीएम जलाली काम देखेंगे. पीएम गाजी अल-जलाली ने सीरियाई लोगों से सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की.

कौन-कौन देश असद को शरण दे सकते हैं

विद्रोही गुट ने अलेप्पो, हामा, होम्स, दारा, दमिश्क पर कब्जा करने का दावा किया, जिसपर सिरियाई सेना ने मुहर लगा दी है. यह बताया जा रहा है कि असद सीरिया छोड़कर रूस या ईरान जा सकते हैं, हालांकि अभी तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विद्रोहियों ने घोषणा की थी कि असद भाग गए हैं और सीरिया में 8 दिसंबर 2024 से नए युग की शुरुआत हुई है.

असद की हुकूमत को क्यों काला अध्याय बताया जा रहा?

बशर अल-असद ने साल 2000 से सीरिया के राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता संभाली हुई है.  उन्होंने साल 200-2024 तक 24 सालों तक सीरिया में शासन में किया. इससे पहले उनके पिता हाफिज अल-असद ने 30 सालों तक सीरिया पर शासन किया था. असद के शासन में लाखों लोगों का कत्लेआम करवाया और लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया.

सत्ता बने रखने के लिए असद पर आरोप है कि उन्होंने छात्रों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाई, टैंक उतारे और जुल्म की हर हद को पार किया. असद के परिवार ने सीरियाई जनता को लोकतंत्र से कोसों दूर रखा और हर उस नेता मरवा दिया, जिसने लोकतंत्र की मांग की.

लोकतंत्र की मांग को लेकर 2011 में सीरियाई लोग सड़कों पर उतरे, तो अल-असद ने क्रूर तरीके से उस विद्रोह को दबाया. उन्होंने हर एक प्रदर्शनकारी को आतंकवादी कहा और प्रदर्शनकारियों पर तोप के गोलों से हमले करवाए, जिसकी वजह से सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हो गया. असद ने अपने ही नागरिकों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करवाया.

कैसे कमजोर पड़ गए बशर अल-असद

बशर अल-असद अभी तक अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहे थे, क्योंकि उन्हें रूस, ईरान और लेबनानी हिज्बुल्लाह का साथ मिल रहे हैं. अभी तक ये देश हर तरह से असद की मदद कर रहे थे. अब ईरान उस स्थिति में नहीं है कि वह असद की मदद कर पाता, क्योंकि वह खुद इजरायल के साथ जंग के मुहाने पर है. पहले हिज़्बुल्लाह भी बशर अल-असद को बचाने के लिए अपने लड़ाकों को भेजता था, लेकिन अब वह भी कमजोर हो चुका है. रूस तो बीते कुछ दिनों तक असद का साथ दिया और सीरिया में विद्रोही गुटों हवाई हमले किए, लेकिन यूक्रेन से युद्ध की वजह से वह भी पहले की तरह असद की मदद नहीं पाया.

ईरान के लिए क्यों मुश्किल वक्त?

मीडिल ईस्ट में इजरायल से जारी तनातनी के बीच सीरिया में हुए तख्तालट ने ईरान की टेंशन बढ़ा दी है. ईरानी मीडिया के अनुसार सीरिया में हुए घटनाक्रम ने ईरान के क्षेत्रीय गठबंधनों को अस्थिर कर दिया है. इससे पहले ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा था कि सीरिया की घटना इस बात का सबूत है कि इजरायल और अमेरिका अरब देश को अस्थिर करना चाहता है.

नॉर्थ ईस्ट में इजरायल के साथ जंग में हिजबुल्लाह और हमास का पहले ही काफ नुकसान हो चुका है. इन दोनों समूह के प्रमुख नेता भी मारे जा चुके हैं. वहीं सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना को विद्रोहियों से हार सामना करना पड़ा. ऐसे में इजरायल के खिलाफ ईरान हो गया है क्योंकि वह अपने क्षेत्रिय सहयोगियों के भरोसे थे.

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