Sunita Williams Returns: सुनीता विलियम्स 9 महीने से ज्यादा समय अंतरिक्ष में बिताने के बाद धरती पर सफलतापूर्वक लौट आई हैं. बुधवार (19 मार्च) की सुबह करीब 3.27 बजे स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर समेत चारों एस्ट्रोनॉट्स को लेकर फ्लोरिडा के समंदर में लैंड हुआ. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से धरती पर आने की एस्ट्रोनॉट्स की ये पूरी यात्रा करीब 17 घंटे की थी. इस यात्रा में एक पल भी वो आया था, जब NASA के वैज्ञानिकों की सांसें अटक गई थीं.
एस्ट्रोनॉट्स को लेकर आ रहे एयरक्राफ्ट ने जैसे ही धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया तो उसका टेंपरेचर 1600 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो गया. यही वो समय था जब 7 मिनट के लिए कम्युनिकेशन ब्लैकआउट हो गया. इस दौरान अंतरिक्ष एजेंसी नासा का स्पेसक्राफ्ट से कॉन्टैक्ट टूट गया. हालांकि 7 मिनट बाद ही करीब 3.20 बजे स्पेसक्राफ्ट से संपर्क फिर से बहाल हुआ. इस यात्रा में 7 मिनट का जो समय लगा कि काफी महत्वपूर्ण समय होता है.
क्यों महत्वपूर्ण होता है ब्लैकआउट समय?
ब्लैकआउट के समय अगर टेंपरेचर सामान्य से बहुत अधिक हो जाए तो स्पेसक्राफ्ट के क्रैश होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं. ऐसा पहले भी हो चुका है. एक फरवरी, 2003 को नासा का स्पेसक्राफ्ट कोलंबिया इसी दौरान हादसे का शिकार हुआ था. धरती के वायुमंडल में घुसते ही स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो गया था, जिसमें भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला हादसे का शिकार हो गई थीं.
कम्युनिकेशन ब्लैकआउट क्या होता है?
अंतरिक्ष से जब भी कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में एंटर करता है तो उसकी स्पीड करीब 28 हजार किमी प्रति घंटे की होती है. इस स्पीड से जब कैप्सूल गुजरता है तो वायुमंडल से रगड़ खाता है. इसी घर्षण की वजह से कैप्सूल का टेंपरेचर और बढ़ जाता है. इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का मिशन कंट्रोल से सिग्नल टूट जाता है. इस दौरान स्पेसक्राफ्ट से एजेंसी का संपर्क नहीं रहता है. इसी को कम्युनिकेशन ब्लैकआउट कहा जाता है. इस चुनौती को पार कर सुनीता विलियम्स समेत चारों एस्ट्रोनॉट्स धरती पर कुशलतापूर्वक लैंड कर गए.
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