चीन से पींगे लड़ा रहा था बांग्लादेश, ट्रंप ने दी ऐसी सजा, अब भूखों मरेगा देश!

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश पर टैरिफ बम फोड़ दिया है. उन्होंने मोहम्मद यूनुस के देश पर 35% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर बांग्लादेश सहित 14 देशों के लिए नए टैरिफ की घोषणा की. यह टैरिफ वैसे तो 1 अगस्त से लागू होंगे, लेकिन इसने अभी दुनियाभर के बाजार में हड़कंप मचा दिया है.

ट्रंप प्रशासन ने बांग्लादेश के अमेरिकी वस्तुओं पर कथित 74% टैरिफ का हवाला देते हुए इसे ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ नीति का हिस्सा बताया है, जिसका मकसद अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना है. यह कदम बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, खासकर इसके रेडीमेड गारमेंट (RMG) सेक्टर के लिए करारा झटका माना जा रहा है, जो पहले से ही घरेलू अस्थिरता और वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों से जूझ रहा है.

आखिर ट्रंप के निशाने पर क्यों बांग्लादेश?

बांग्लादेश ने हाल के वर्षों में चीन के साथ व्यापारिक और तकनीकी साझेदारी बढ़ाई है. बांग्लादेश के लिए चीन सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार बन चुका है. ढाका ने चीनी कंपनियों को इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल निगरानी प्रोजेक्ट्स में भारी ठेके दिए हैं. वहीं बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में भी बांग्लादेश की भागीदारी ने अमेरिका को सतर्क कर दिया था.

ट्रंप की नजर में यह पूरी साझेदारी अमेरिका के हितों के खिलाफ है, और अब बांग्लादेश को इसकी कीमत चुकानी होगी.

35% टैरिफ का क्या होगा असर?

ट्रंप के आदेश के मुताबिक, 1 अगस्त से बांग्लादेश से अमेरिका आने वाले सभी वस्तुओं पर 35% आयात शुल्क लगेगा. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का लगभग 85% हिस्सा टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट्स के निर्यात पर निर्भर करता है, जिसमें अमेरिका एक सबसे बड़ा ग्राहक है. IMF और विश्व बैंक के आंकड़े कहते हैं कि 2023 में बांग्लादेश ने अमेरिका को 10 अरब डॉलर से अधिक के वस्त्र और वस्तुएं निर्यात की थीं. ऐसे में 35% टैरिफ लगते ही ये उत्पाद अमेरिकी बाजार में मूल्य प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे, जिससे ऑर्डर कम होंगे, फैक्ट्रियां बंद होंगी और मज़दूर बेरोज़गार होंगे.

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर गहरा संकट

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का आधार इसका गारमेंट सेक्टर है, जो देश की 80% निर्यात आय और 10% जीडीपी का हिस्सा है. यह सेक्टर 40 लाख से अधिक लोगों, खासकर महिलाओं, को रोजगार देता है. अमेरिका बांग्लादेश का सबसे बड़ा एकल निर्यात बाजार है, जहां हर साल 8.4 अरब डॉलर मूल्य के गारमेंट्स और जेनेरिक दवाओं का निर्यात होता है. पहले से मौजूद 15% टैरिफ के साथ नए 35% टैरिफ से कुल टैरिफ 50% के करीब पहुंच गया है, जिससे बांग्लादेशी उत्पादों की कीमत अमेरिकी बाजार में तेजी से बढ़ेगी.

उदाहरण के लिए, अगर एक बांग्लादेशी शर्ट की कीमत अमेरिकी बाजार में 5 डॉलर थी, तो पहले उस पर 0.75 डॉलर टैरिफ लगता था. अब नया टैरिफ लागू होने के बाद यह 2.60 डॉलर हो जाएगा, जिससे शर्ट की कीमत 1.85 डॉलर तक बढ़ जाएगी. इससे अमेरिकी खरीदारों के लिए बांग्लादेशी उत्पाद महंगे हो जाएंगे, और वे भारत, पाकिस्तान या लैटिन अमेरिकी देशों जैसे कम टैरिफ वाले देशों की ओर रुख कर सकते हैं.

यह संकट न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक भी है. गारमेंट सेक्टर में कार्यरत 60% महिलाएं हैं, जिनके रोजगार ने बांग्लादेश में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और देर से विवाह जैसे सामाजिक बदलावों को बढ़ावा दिया है. टैरिफ के इस झटके से हजारों महिलाएं बेरोजगार हो सकती हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रेमिटेंस आय पर निर्भर परिवारों पर भारी दबाव पड़ेगा. इससे स्कूल छोड़ने और कम उम्र में शादी जैसे सामाजिक मुद्दे फिर से उभर सकते हैं.

कृषि और अन्य क्षेत्रों पर प्रभावटैरिफ का असर केवल गारमेंट सेक्टर तक सीमित नहीं है. बांग्लादेश का जेनेरिक दवा उद्योग, जो अमेरिका को सस्ती दवाओं की आपूर्ति करता है, भी प्रभावित होगा. इसके अलावा, बांग्लादेश की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी खतरा मंडरा रहा है.

अमेरिका बांग्लादेश को गेहूं, सोयाबीन, मक्का और कपास जैसे कृषि उत्पाद निर्यात करता है. टैरिफ युद्ध के चलते अगर बांग्लादेश जवाबी टैरिफ लगाता है, तो अमेरिकी कृषि उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे स्थानीय किसानों को नुकसान होगा. वहीं, अगर बांग्लादेश अमेरिकी कृषि आयात बढ़ाता है, तो स्थानीय किसानों को सस्ते, सब्सिडी वाले अमेरिकी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी, जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ सकती है.

चीन के साथ ‘पंगे’ की कीमत?

ट्रंप प्रशासन ने बांग्लादेश पर टैरिफ को जायज ठहराते हुए दावा किया कि बांग्लादेश अमेरिकी वस्तुओं पर 74% तक टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं लगाता है. हालांकि, बांग्लादेश के विशेषज्ञों ने इस आंकड़े पर सवाल उठाए हैं, यह दावा करते हुए कि यह ट्रंप प्रशासन की व्यापार घाटे की गणना पर आधारित है, न कि वास्तविक टैरिफ दरों पर. बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने ट्रंप को पत्र लिखकर 35% टैरिफ पर तीन महीने की रोक की मांग की थी, जिसमें अमेरिकी आयात बढ़ाने के प्रयासों का जिक्र किया गया था. लेकिन ट्रंप ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए 35% टैरिफ की पुष्टि की, जो पहले घोषित 37% से 2% कम है.

बांग्लादेश की हालिया राजनीतिक अस्थिरता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार के तहत अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार की उम्मीद थी. लेकिन ट्रंप का यह कदम संकेत देता है कि वह क्षेत्रीय राजनीति या कूटनीतिक सद्भावना से ज्यादा व्यापारिक हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश की चीन के साथ बढ़ती नजदीकियां, खासकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भागीदारी, ट्रंप प्रशासन को नागवार गुजरी हो सकती है. इससे ट्रंप का यह टैरिफ बांग्लादेश के लिए एक ‘सजा’ के रूप में देखा जा रहा है, जो यूनुस की अंतरिम सरकार के लिए आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां बढ़ा सकता है.

बांग्लादेश पर आई बड़ी मुसीबत

ट्रंप की ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नीति के तहत यह टैरिफ वैश्विक व्यापार युद्ध की शुरुआत माना जा रहा है, जो 1930 के स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट की याद दिलाता है. उस समय इस तरह के टैरिफ ने वैश्विक व्यापार को 67% तक कम कर दिया था, जिससे ग्रेट डिप्रेशन को बढ़ावा मिला था. बांग्लादेश के अर्थशास्त्री सेलिम रायहान ने चेतावनी दी है कि टैरिफ से न केवल गारमेंट बल्कि चमड़ा, जूते और दवा जैसे अन्य निर्यात क्षेत्र भी प्रभावित होंगे. उन्होंने निर्यात बाजारों में विविधता लाने और भारत व चीन जैसे देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की सलाह दी है.

हालांकि, बांग्लादेश की 85% निर्यात आय गारमेंट सेक्टर से आती है, जिसे तुरंत अन्य बाजारों में स्थानांतरित करना मुश्किल है. अगर बांग्लादेश जवाबी टैरिफ लगाता है, तो ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वह और सख्त कदम उठाएंगे. इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और गहरे संकट में फंस सकती है.

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