Shashi Tharoor in Washington: सांसद शशि थरूर ने उनके कांग्रेस छोड़ने की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में गुरुवार (5 जून, 2025) को कहा कि जो कोई भी यह मानता है कि राष्ट्रीय हित में काम करना कोई पार्टी विरोधी गतिविधि है, उसे खुद से सवाल करने की जरूरत है. थरूर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को भारत के रुख से अवगत कराने के लिए एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं और वह इस समय अमेरिका में हैं.
जब कोई देश सेवा पर हो तो उसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं- शशि थरूर
कुछ कांग्रेस नेताओं ने पहलगाम हमले के बाद सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए थरूर की आलोचना की है. कांग्रेस नेता को उनकी पार्टी के एक सहयोगी ने तो ‘‘भाजपा का महाप्रवक्ता’’ तक कह दिया. इसके बाद थरूर ने बुधवार (4 जून, 2025) को पीटीआई वीडियोज से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘सच कहूं तो, जब कोई देश की सेवा कर रहा हो, तो मुझे नहीं लगता कि उसे इन चीजों के बारे में बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत है.’’
जब उनसे पूछा गया कि भारत लौटने पर वह अपने आलोचकों को क्या संदेश देंगे, तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जो कोई भी यह समझता है कि राष्ट्रीय हित में काम करना किसी प्रकार की पार्टी विरोधी गतिविधि है, उसे हमसे नहीं, बल्कि खुद से सवाल करने की जरूरत है.’’
शशि थरूर के भाजपा में शामिल होने की लग रही अटकलें
उल्लेखनीय है कि कई बार कुछ मुद्दों पर थरूर की टिप्पणियां कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक रुख से भिन्न रही हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि क्या थरूर कांग्रेस में बने रहेंगे या भाजपा में शामिल होंगे. इन अटकलों को लेकर थरूर ने कहा, ‘‘मैं संसद का निर्वाचित सदस्य हूं. मेरे कार्यकाल के चार साल बाकी हैं. मुझे नहीं पता कि इस पर कोई सवाल क्यों पूछा जा रहा है.’’
शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल?
थरूर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में तीन धर्मों और सात राज्यों से पांच राजनीतिक दल शामिल थे. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने देखा कि उनके मित्र सलमान खुर्शीद से पूछा गया कि क्या आजकल भारत में देशभक्त होना इतना मुश्किल है.
थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सरफराज अहमद (झामुमो), जी. हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भाजपा), भुवनेश्वर कलिता (भाजपा), मिलिंद देवरा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भाजपा) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल 24 मई को भारत से न्यूयॉर्क पहुंचा था और फिर यह गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील की यात्रा करके वॉशिंगटन आया.
हमारे राजनीतिक मतभेद सीमा पर खत्म हो जाते हैं- शशि थरूर
थरूर ने कहा, ‘‘यह प्रतिनिधिमंडल भारत की विविधता को दर्शाता है. हम एकजुट होकर एक संदेश लेकर आए हैं, इसलिए इस समूह में विविधता में भी एकता दिखती है. मेरे विचार से हमारा ध्यान इस एकजुट संदेश पर होना चाहिए क्योंकि जब राष्ट्रीय हित, राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो मुझे लगता है कि कुल मिलाकर राष्ट्र एकजुट है.’’
उन्होंने एक पुराने साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘हमारे राजनीतिक मतभेद सीमा पर खत्म हो जाते हैं. जब आप एक बार सीमा पार कर लेते हैं तो आप भारतीय हो जाते हैं और आपकी अन्य निष्ठाएं दोयम हो जाती हैं.’’
डोनाल्ड ट्रंप के दावों को लेकर क्या बोले शशि थरूर
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम में मध्यस्थता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बार-बार किए जा रहे दावों से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए थरूर ने कहा, ‘‘मुझे इस पर बात करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं व्हाइट हाउस के साथ हमारे संबंधों में किसी भी तरह की जटिलता पैदा करने के लिए यहां नहीं हूं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिकी राष्ट्रपति पद और अमेरिका के राष्ट्रपति का बहुत सम्मान करते हैं और मुझे लगता है कि हम ठीक से नहीं जानते कि उनके लोगों ने पाकिस्तान से क्या कहा.’’
हमें समझाने की किसी को जरूरत नहीं है- शशि थरूर
थरूर ने कहा, ‘‘किसी को हमें समझाने की जरूरत नहीं, क्योंकि पहले दिन से ही हमारा संकेत था कि अगर पाकिस्तान जवाबी हमला करता है तो हम उस पर और भी जोरदार हमला करेंगे. अगर वे रुकते हैं तो हम भी रुक जाएंगे. हमने पहले दिन से ही यह कहा था. हमने आखिरी दिन भी यही कहा. इसलिए हमारे दृष्टिकोण से हमें रुकने के लिए कहने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि पाकिस्तान के रुकते ही हमें रुक जाना था.’’
थरूर ने कहा, ‘‘बेशक, अमेरिका ने पाकिस्तान से बात की होगी. उन्होंने पाकिस्तान से कई बातें कही होंगी. हम कभी नहीं जान पाएंगे कि क्या कहा गया क्योंकि यह उनके और पाकिस्तान के बीच की बात है. मैं आपको नहीं बता सकता क्योंकि मैं पाकिस्तानी नहीं हूं और मैं अमेरिकी भी नहीं हूं.’’
ऑपरेशन सिंदूर की तीन दिन की कार्रवाई के बाद लागू हुआ था सीजफायर
पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकवादी ढांचों पर सटीक हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया. भारत ने कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाकर पाकिस्तानी हमलों का कड़ा जवाब दिया. भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 10 मई को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान के बीच भूमि, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाइयों को रोकने को लेकर सहमति बन गई है.
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