अमेरिकी चुनाव से पहले शेयर बाजार का BP हाई, किसकी जीत फायदेमंद, कमला हैरिस या ट्रंप? ये रहा पूरा विश्लेषण

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नई दिल्ली. पूरे अक्टूबर महीने में बिकवाली की मार झेल रहे शेयर बाजार में आज (4 नवम्बर 2024) को भी तगड़ी सेलिंग देखने को मिल रही है. कहीं न कहीं, इसका लिंक अमेरिका में चल रहे चुनावों के साथ भी है. एक तरफ डोनाल्ड ट्रम्प हैं तो दूसरी तरफ कमला हैरिस. इनमें से कोई भी जीते, मगर भारत पर उसका असर जरूर पड़ेगा. शेयर बाजारों ने भी इस पर रिएक्ट करना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि यदि रिपब्लिकन के डोनाल्ड ट्रम्प जीतते हैं तो वह शेयर बाजारों के लिए पॉजिटिव हो सकता है. इसके उलट, यदि कुछ गड़बड़ हुई या उनकी जीत में किसी भी तरह की बाधा आई तो वह इक्विटी (शेयर बाजारों) के लिए नेगेटिव खबर होगी. बता दें कि महीने के पहले ही दिन सुबह 10:47 मिनट पर भारतीय बाजारों में तगड़ी बिकवाली थी. निफ्टी50 लगभग 380 अंक (1.55 फीसदी) तो सेंसेक्स 1,138 अंक (1.43 फीसदी) अंक गिर चुका था.

फिलहाल सट्टेबाजों ने तो डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की संभावनाओं को प्रबल बताया है, मगर एमके ग्लोबल को लगातार अस्थिरता की आशंका नजर आ रही है. एमके ग्लोबल का मानना है कि ट्रम्प और कमला हैरिस दोनों ही प्रमुख क्षेत्रों में समान परिणाम ला सकते हैं, लेकिन ग्लोबल इन्फ्लेशन और डेवलपमेंट में अस्थिरता के बढ़ने की चेतावनी हैं. डेमोक्रेटिक की यदि जीत होती है तो मांग और सेल बढ़ सकती है, जबकि रिपब्लिकन की जीत से शॉर्ट टर्म में बाजार में तेजी आ सकती है, जो इनकम के बढ़ने पर निर्भर करती है. इसी फर्म का मानना है कि परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, विशेषकर विदेशी मुद्रा और टैरिफ के संबंध में.

ट्रम्प के सत्ता में आने से क्या होगा?
एमके ग्लोबल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के आने से कॉर्पोरेट टैक्स में राहत मिलेगी और नियामक बोझ कम होगा. यदि परिणाम इसके उलट हुआ तो उस स्थिति में अमेरिकी खर्च के लिए सबसे खराब होगी, जो बॉन्ड्स के लिए अच्छा साबित हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि ट्रंप का राष्ट्रपति बनना अधिक शोरगुल और अस्थिरता लाएगा, हम मानते हैं कि हैरिस का राष्ट्रपति बनना कुछ प्रमुख क्षेत्रों में बहुत अलग नहीं होगा. मध्यम अवधि में – वैश्विक मुद्रास्फीति और विकास में बड़ी अस्थिरता की संभावना है, जिसका मतलब है कि ‘बाय द डिप’ या ‘टाइम रैलिज़’ जैसे पारंपरिक निवेश रणनीतियों को फिर से देखना होगा.”

एमके ने कहा, “यदि अमेरिका में रेड स्वीप होती है, तो अमेरिकी शेयरों में उछाल का असर भारतीय बाजार पर भी दिख सकता है… हालांकि, चीन के बाजार में अनिश्चितता के कारण गिरावट आएगी, जो भारत के लिए एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) के दृष्टिकोण से लाभकारी हो सकता है. लेकिन इस रैली को बनाए रखना वैश्विक और घरेलू स्तर पर चुनौतीपूर्ण रहेगा. हमारी इक्विटी रणनीति टीम का मानना है कि रेड स्वीप से अल्पावधि में तेजी आ सकती है, लेकिन इसकी स्थिरता कमाई में मजबूती और वैल्यूएशन पर निर्भर करेगी, जो फिलहाल कमजोर स्थिति में हैं.”

कमला हैरिस जीत गईं तो क्या?
दूसरी ओर, यदि डेमोक्रेटिक स्वीप होती है, तो इससे बिकवाली का एक नया दौर शुरू हो सकता है और 5 प्रतिशत की गिरावट के बाद खरीदारी का एक मौका बन सकता है. एमके का कहना है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं होगा. मध्यम अवधि में भारत की स्थिति में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन शासन के आने से ज्यादा अंतर नहीं पड़ेगा.

एमके ग्लोबल ने कहा, “भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए अमेरिका के साथ रिश्तों में चुनौतीपूर्ण समय है.” चुनौतियों की प्रकृति इस पर निर्भर करेगी कि कौन-सा उम्मीदवार जीतता है. हैरिस की जीत बाइडेन की नीतियों की निरंतरता की संभावना है, हालांकि फिलहाल उनकी स्थिति भी बहुत साफ नहीं है. हाल में ही खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े घटनाक्रम के कारण भी कुछ तात्कालिक मुद्दे उभर सकते हैं.

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती टैरिफ की होगी. हालांकि, इसका मुख्य निशाना चीन है, मगर इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है. इसके अलावा, ट्रंप की अमेरिका-फर्स्ट नीति का असर अभी तक अस्पष्ट है, जैसा कि एमके ग्लोबल ने उल्लेख किया है.

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