Taliban Reforms: तालिबान के एक सीनियर नेता ने अफगान महिलाओं और लड़कियों पर शिक्षा के प्रतिबंध को खत्म करने की अपील की है. शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई जो विदेश मंत्रालय में राजनीतिक उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने शनिवार (18 जनवरी) को ये बयान दिया. उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने की कोई वजह नहीं है और ऐसा करना न तो अतीत में सही था और न ही अब इसका कोई औचित्य है.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार स्तानिकजई ने खौस्त प्रांत में एक धार्मिक स्कूल समारोह में कहा कि महिलाओं और लड़कियों के लिए अब शिक्षा के दरवाजे खोलने का समय आ चुका है. उन्होंने कहा “हम 40 मिलियन की आबादी में से 20 मिलियन लोगों को अधिकारों से वंचित कर रहे हैं. ये इस्लामी कानून में नहीं है बल्कि ये हमारी व्यक्तिगत पसंद या स्वभाव है.” तालिबान सरकार ने 6वीं कक्षा के बाद महिलाओं की एजुकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है और पिछले साल के सितंबर में ये खबरें आई थीं कि अधिकारियों ने महिलाओं के मेडिकल ट्रेनिंग और पाठ्यक्रमों पर भी रोक लगा दी है.
तालिबान के शिक्षा प्रतिबंध पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
स्तानिकजई का ये बयान तब आया है जब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने इस महीने की शुरुआत में इस्लामाबाद में मुस्लिम नेताओं से तालिबान के शिक्षा प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की थी. संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि जब तक महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंध जारी रहेगा तब तक तालिबान को मान्यता मिलना लगभग असंभव है. रूस जैसे कुछ देश तालिबान के साथ संबंध बना रहे हैं और भारत भी अफगान अधिकारियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है.
इस्लामी कानून के तहत महिलाओं को शिक्षा का अधिकार
ये पहली बार नहीं है जब स्तानिकजई ने महिलाओं और लड़कियों की एजुकेशन के अधिकार की बात की है. उन्होंने 2022 में भी इस मुद्दे पर बयान दिया था जब स्कूलों में लड़कियों के लिए शिक्षा का दरवाजा बंद था. हालांकि इस बार उन्होंने तालिबान के नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा से सीधे शिक्षा नीति में बदलाव की अपील की है. ये टिप्पणी तालिबान के अंदर एक बदलाव की उम्मीद को दर्शाती है जो स्तानिकजई के विचार से इस्लामी कानून के अनुसार महिलाओं को शिक्षा का अधिकार है.
तालिबान की शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत
स्तानिकजई का ये सार्वजनिक बयान तालिबान की शिक्षा नीति में बदलाव की उम्मीदों को और मजबूत करता है. हालांकि अभी तक तालिबान की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन ये सवाल उठता है कि क्या तालिबान अपनी नीति में बदलाव करेगा और महिलाओं के शिक्षा अधिकार को बहाल करेगा. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव और तालिबान के अंदर होने वाली चर्चाएं अहम हो सकती हैं.
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