Journalist executed in Saudi Arabia: सऊदी अरब में एक जाने माने सऊदी पत्रकार तुर्की अल-जासिर को फांसी दे दी गई है. पत्रकार को साल 2018 में आतंकवाद और राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. इस बात की जानकारी सऊदी शासन ने दी है. हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने पत्रकारों पर लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत और झूठा बताया है.
सऊदी की सरकारी प्रेस एजेंसी के मुताबिक, पत्रकार तुर्की अल जासिर की उम्र 40 साल से ज्यादा थी, जिन्हें देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद 14 जून को फांसी दे दी गई. साल 2018 में सऊदी अरब के अधिकारियों ने अल-जासिर के घर पर छापेमारी की थी, जहां से जासिर को गिरफ्तार किया गया और उसके कम्प्यूटर और फोन को जब्त कर लिया गया था. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पत्रकार के खिलाफ मुकदमा कहां और कब तक चला.
सऊदी के अधिकारियों ने अल जासिर पर लगाए थे आरोप
न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) के अनुसार, सऊदी के अधिकारियों ने कहा था कि तुर्की अल-जासिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ऐसे अकांउट को ऑपरेट करते थे, जिसके जरिए उन्होंने सऊदी के शाही परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इसके अलावा अल-जासिर ने आतकंवादियों और आतंकी संगठनों के संबंध में भी कई विवादास्पद ट्वीट किए थे.
CPJ के प्रोग्राम डायरेक्टर ने पत्रकार की फांसी की निंदा की
CPJ के प्रोग्राम डायरेक्टर कार्लोस मार्टिनेज डे ला सेरना ने सऊदी अरब में पत्रकार को दी गई फांसी की कड़ी निंदा की. इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘वॉशिंगटन पोस्ट के एक कॉलमनिस्ट जमाल खाशोगी की साल 2018 में इस्तांबुल स्थित सऊदी के वाणिज्य दूतावास में हत्या के बाद जवाबदेही की कमी के चलते सऊदी अरब में पत्रकारों की सजा देने का अब भी सिलसिला जारी है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जमाल खाशोगी की हत्या के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का उन्हें न्याय न दिला पाना सिर्फ उनके साथ किया हुआ धोखा नहीं था, बल्कि उनकी निष्क्रियता ने सऊदी अरब के मोहम्मद बिन सलमान के शासन को प्रेस के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने के लिए और अधिक ताकत दे दी.’
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