Saudi Arab Angry Over Israel: सऊदी अरब की शूरा परिषद के सदस्य यूसुफ बिन त्राद अल-सादौन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उस सुझाव का मजाक उड़ाया, जिसमें सऊदी भूमि पर फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का विचार दिया गया था. उन्होंने सऊदी अखबार ओकाज़ में एक लेख के जरिए इस सुझाव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नेतन्याहू के सुझाव के बजाय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इजरायलियों को अलास्का या ग्रीनलैंड में बसाने की सलाह दी जानी चाहिए.
नेतन्याहू ने हाल ही में इजरायल के चैनल 14 के साथ एक साक्षात्कार में यह सुझाव दिया कि सऊदी अरब अपनी जमीन पर फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना कर सकता है. यह बयान ऐसे समय में आया, जब रियाद ने स्पष्ट किया कि इजरायल के साथ संबंध तभी सामान्य होंगे, जब फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का स्पष्ट रास्ता दिखाई देगा. अल-सादौन ने नेतन्याहू के इस सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे बेतुका बताया और इसके पीछे की ज़ायोनी मानसिकता की निंदा की. उन्होंने कहा, “ज़ायोनीवादी और उनके सहयोगी सऊदी नेतृत्व को मीडिया के माध्यम से हेरफेर करने में सफल नहीं हो सकते.”
ट्रंप प्रशासन की आलोचना
अल-सादौन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्य पूर्व नीति की भी कड़ी आलोचना की, जिसमें फिलिस्तीनी राज्य के प्रति असंवेदनशीलता और इजरायली हितों को समर्थन देने की बात कही गई है. उन्होंने ट्रंप प्रशासन पर लापरवाह निर्णय लेने और विशेषज्ञों की सलाह की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने लिखा कि इजरायल का दृष्टिकोण मानवता के खिलाफ एक अपराध है और इसे अमेरिका द्वारा भी अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मिलता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
नेतन्याहू के इस बयान पर फिलिस्तीन, मिस्र, और सऊदी अरब ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं. फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने इसे नस्लवादी और शांति-विरोधी करार दिया और इसे सऊदी अरब की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन बताया. वहीं, मिस्र ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और अस्वीकार्य बताते हुए, नेतन्याहू के बयान को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया.
सऊदी अरब का रुख
सऊदी अरब लंबे समय से यह स्पष्ट करता आया है कि इजरायल के साथ उसके राजनयिक संबंधों का सामान्यीकरण तभी संभव होगा जब फिलिस्तीनी राज्य का स्पष्ट रास्ता होगा. नेतन्याहू के सुझाव ने सऊदी संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती दी है, जिसे लेकर सऊदी नेतृत्व ने सख्त रुख अपनाया है.
सऊदी शूरा परिषद एक परामर्शदात्री संस्था है, जो सऊदी राजा को नीतिगत और विधायी मामलों पर सलाह देती है, हालांकि इसका कोई विधायी अधिकार नहीं होता. इसके सदस्यों को राजा द्वारा नियुक्त किया जाता है और वे सामाजिक, आर्थिक और कानूनी मामलों पर विचार-विमर्श करते हैं.
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