रूस यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है. इन सबके बीच रूस एक ऐसी लाइट वेट मिसाइल पर काम कर रहा है, जिसमें टारगेट की पहचान और सटीक निशाने के लिए वीडियो कैमरा इस्तेमाल किया जाएगा.
रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, चेल्याबिंस्क सैन्य संस्थान से जुड़े अलेक्जेंडर रुदाकोव ने बताया कि इस तरह की यह दुनिया की पहली मिसाइल होगी.
बिना आवाज किए टारगेट को कर सकती है तबाह
Eurasiantimes की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मिसाइल कम ऊंचाई वाले रूट पर चलते हुए बिना आवाज किए टारगेट को नेविगेट कर सकती है. यह मिसाइल रूस को आधुनिक युद्ध के दौर में जबरदस्त शक्ति देगी. यह अन्य गाइडेड मिसाइल की तरह रडार और जीपीएस ट्रैकिंग से अपने टारगेट को खोजने के बजाय पूरी तरह से वीडियो कैमरे से मिलने वाली जानकारी पर निर्भर होगी.
डेवलपर्स के मुताबिक, वीडियो कैमरे वाले फीचर की वजह से यह आसानी से दुश्मन के रडार और जैमर की नजर में भी नहीं आती. इतना ही नहीं यह साइज में काफी छोटी और वजन में भी काफी हल्की है. इसका वजन एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम से भी आधा है. ऐसे में इसे किसी भी प्लेटफॉर्म से आसानी से दागा जा सकता है. यह पेड़ों के बीच उड़ते हुए आसानी से अपने टारगेट को कैप्चर करके उसपर निशाना लगा सकती है.
ग्राउंड से हवा से दागी जा सकती है मिसाइल
इस मिसाइल को ग्राउंड से, किसी एयरक्राफ्ट से या फिर पोर्टेबल लॉन्च सिस्टम से भी दागा जा सकता है. ऐसे में यह युद्ध क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा सकती है. इतना ही नहीं आज के वक्त में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले ड्रोन को भी यह आसानी से टारगेट कर सकती है.
डेवलपर्स ने दावा किया है कि इस ऐसी कोई मिसाइल अभी दुनिया में नहीं है. यहां तक कि बाकी देश भी इसे बनाने की कोशिश में जुटे हैं. लेकिन सबसे पहले हम ये करके दिखा रहे हैं. हमने इसका सफल परीक्षण भी कर लिया है. इस मिसाइल की लागत भी अन्य मिसाइल से कम है. लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि यह वीडियो कैमरे की मदद से अपने टारगेट को आसानी से नेविगेट कर सकती है.
रूस के दावे पर उठ रहे सवाल
रूसी सूत्रों ने भले ही ऐसी मिसाइल बनाने का दावा किया हो लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, रूस पहले भी बिना ठोस सबूत दिए सैन्य हथियारों को लेकर ऐसे दावे करता रहा है. डिफेंस एक्सपर्ट पैट्रिका मारिन्स ने रूस के इस मिसाइल के दावे को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा, रूस जिस तकनीकी की बात कर रहा है, उसे ATR यानी ऑटोमेटिक टारगेट रिकग्निशन कहते हैं. जो टारगेट को खोजने के लिए कॉम्प्लेक्स एल्गोरिद्म पर काम करती है. उन्होंने कहा, भले ही यह दावा सुनने में अच्छा लग रहा है, लेकिन इसकी जांच करना जरूरी है क्योंकि यह मिसाइल देखने में भी काफी छोटी लग रही है.
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