Last Updated:February 04, 2025, 20:55 IST
Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन युद्ध को सुरू हुए तीन साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका है. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप के एक आदेश ने यूक्रेन में खलबली मचा दी है.
यूक्रेन के लाखों लोगों के लिए ट्रंप का एक आदेश अभिशाप बन गया है. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
- रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल से ज्यादा हो गए हैं.
- ट्रंप के आदेश से यूक्रेन में खलबली मची.
- अमेरिकी फंडिंग रुकने से शरणस्थल खतरे में.
कीव. पूर्वी यूक्रेन के पाव्लोग्राड में एक कन्सर्ट हॉल लोगों से भरा हुआ है और यहां स्टेज पर चारपाई रखी हुई हैं. रूस के साथ यूक्रेन के लगभग तीन साल से चल रहे युद्ध के कारण बेघर हो चुके स्थानीय लोगों की सिसकियां हॉल में संगीत की जगह सुनाई दे रही हैं.
रूसी सेना ने हाल में इलाके के कस्बों और गांवों को अपने शिकंजे में ले लिया है. पाव्लोग्राड कन्सर्ट हॉल को ऐसे स्थानीय नागरिकों के लिए एक अस्थायी केंद्र के रूप में तब्दील कर गया है, जहां लगातार रूसी बमबारी से बचकर भाग रहे लोग शरण ले रहे हैं.
कटरीना ओद्राहा (83) ने कहा, “यहां सब अच्छा है. यहां खाना, गर्मी और नहाने-धोने की जगह है.” कटरीना वह भी दौर देख चुकी हैं जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके गांव पर नाज़ी जर्मन का कब्जा था. लेकिन यह शरणस्थल अब खतरे में पड़ सकता है. इस आश्रय गृह को चलाने में प्रति माह 7,000 अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है और इसका 60 प्रतिशत खर्च यूक्रेन की मदद के लिए भेजे गए अमेरिकी फंड से पूरा किया जा रहा है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह अन्य देशों को अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली मानवीय सहायता को 90 दिनों के लिए स्थगित करने का जो निर्णय लिया था उसका असर कई देशों में महसूस किया गया. इस निर्णय से प्रभावित स्थानों में पूर्वी यूक्रेन में अग्रिम मोर्चे से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह शरणस्थली भी शामिल है.
ट्रंप के इस फैसले से हजारों अमेरिकी फंडिंग मानवीय, विकास और सुरक्षा कार्यक्रम तत्काल रुक गए. दुनियाभर में इसके परिणाम महसूस किए जा रहे हैं. परमार्थ संगठन ‘रिलीफ कोऑर्डिनेशन सेंटर’ द्वारा संचालित यहां इस ट्रांजिट सेंटर के समन्वयक इलिया नोविकोव ने कहा, “यह खबर अचानक और अप्रत्याशित थी. इस समय, हमें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा.”
February 04, 2025, 20:55 IST
ट्रंप का एक ऑर्डर, और थम गई यूक्रेन में लाखों की सांसें, अब कौन देगा सहारा?
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