USA News: अमेरिकी पत्रिका द अटलांटिक ने हाल ही में एक लीक हुई सिग्नल चैट प्रकाशित की, जिसमें वरिष्ठ अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के बीच यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले को लेकर चर्चा की गई थी. इन संदेशों में रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा अमेरिकी युद्धक विमानों की लॉन्चिंग और बमबारी के समय से संबंधित संवेदनशील जानकारी साझा करने का दावा किया गया है.
कथित तौर पर ये चैट 15 मार्च को यमन में हूती ठिकानों पर हमले से पहले साझा किए गए थे. इस आरोपों को लेकर अब रक्षा सचिव पीट हेगसेथ का रिएक्शन सामने आया है.
रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कही ये बात
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए हेगसेथ ने इन दावों को ‘धोखा’ करार दिया और द अटलांटिक की रिपोर्टिंग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “मैं ये साफ करना चाहता हूं कि द अटलांटिक ने तथाकथित तौर पर जो युद्ध योजनाएं जारी कीं है, उसमे किसी का कोई नाम नहीं. कोई लक्ष्य नहीं. कोई स्थान नहीं. कोई इकाइयां नहीं. कोई मार्ग नहीं. कोई स्रोत नहीं. कोई विधि नहीं और कोई गोपनीय जानकारी नहीं. ये वास्तव में कुछ बहुत ही घटिया युद्ध योजनाएं हैं.”
हेगसेथ ने आगे द अटलांटिक की रिपोर्टिंग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पत्रिका में वास्तविक सैन्य रणनीतियों का आकलन करने का अनुभव नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि लीक हुई जानकारी में कोई संवेदनशील या गोपनीय सामग्री नहीं है और इसे नकली युद्ध योजनाएं बताया.
ट्रंप बोले- मुझे मामले की जानकारी नहीं
जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से इस रिपोर्ट के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता है.” न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के पास भेज दिया.
NSC के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने कहा कि यह जांच की जा रही है कि ग्रुप में एक गलत नंबर कैसे जुड़ गया. वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टेमी ब्रूस ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
न्यूयॉर्क टाइम्स से बात करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पूर्व अधिकारियों ने चिंता जताई कि अगर इस ग्रुप चैट में निजी मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया था, तो यह मामला और भी गंभीर हो सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि चीन लगातार अमेरिकी साइबर नेटवर्क को हैक करने की कोशिश कर रहा है, जिससे ऐसी संवेदनशील सूचनाओं का लीक होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
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