Immigration Crisis: अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्बन प्लानिंग में पीएचडी कर रही भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का वीजा हाल ही में रद्द कर दिया गया. अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने उन पर हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने साथ ही हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है. इस घटनाक्रम के बाद रंजनी ने 11 मार्च को अमेरिका छोड़ने का फैसला किया और कनाडा के लिए उड़ान भर ली.
ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी कड़ा कदम उठाया. प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से 400 मिलियन डॉलर (लगभग 33 अरब रुपये) का अनुदान रद्द कर दिया. ये कार्रवाई यूनिवर्सिटी पर यहूदी छात्रों के उत्पीड़न को रोकने में विफल रहने के आरोप में की गई. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूनिवर्सिटीज को चेतावनी दी थी कि यदि वे विरोध-प्रदर्शनों पर काबू नहीं पातीं तो उन्हें संघीय वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी.
फिलिस्तीनी छात्रों पर कार्रवाई, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में गिरफ्तारियां
इसी बीच अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग ने फिलिस्तीनी छात्रा लेका कोर्डिया और ग्रेजुएट स्टूडेंट महमूद खलील को गिरफ्तार किया. लेका कोर्डिया जो 2022 से एक्सपायर स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका में रह रही थी. उन्हें हमास समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने के आरोप में हिरासत में लिया गया. वहीं महमूद खलील को इजराइल विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया.
वीजा रद्द होने के बाद रंजनी की सुरक्षा चिंता
रंजनी श्रीनिवासन ने अपने वीजा रद्द होने के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई थी. उनका कहना था कि अमेरिका में स्थिति अस्थिर हो गई थी और उन्होंने डर के चलते देश छोड़ने का फैसला लिया. अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने पुष्टि की कि रंजनी ने स्वेच्छा से स्वदेश लौटने का फैसला लिया. विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा कि अगर कोई हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करता है तो उसे अमेरिका में रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.
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