क्या पोप फ्रांसिस का भी निकाला जाएगा दिल? जानें कैसे होगा अंतिम संस्कार

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वेटिकन सिटी में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नौ दिन तक उनकी मृत्यु पर शोक मनाया जाएगा. पोप फ्रांसिस ने अंतिम संस्कार से जुड़े साल 2000 के नियमों में कुछ बदलाव करवाए थे. पुराने समय में ईसाई धर्म में एक परंपरा यह भी थी कि पोप के शरीर को संरक्षित करने के मकसद से कुछ अंग निकाल लिए जाते थे.

पोप फ्रांसिस ने 2024 में बताया था कि उन्हें कहां और कैसे दफनाया जाए. वह नहीं चाहते थे कि उनको ऊंचे प्लेटफॉर्म पर लेटाया जाए. उनकी इच्छा थी कि एक सामान्य पादरी की तरह उनका अंतिम संस्कार किया जाए. उन्होंने मारिया मैगीगोर बेसिलिका को अपने अंतिम विश्राम स्थल के रूप में चुना था. आमतौर पर पोप के शरीर को सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे बने तहखाने वेटिकन ग्रोटोज में दफनाया जाता है.

कहां दफनाया जाएगा पोप फ्रांसिस का शरीर?
पोप की मृत्यु के बाद नौ दिनों तक शोक मनाया जाता है, इस अवधि को रोम की प्राचीन प्रथा में नोवेन्डिएल के नाम से जाना जाता है. पोप फ्रांसिस ने साल 2024 में रोम में सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में उनके शरीर को दफनाने की अपनी इच्छा के बारे में बताया था. यह उनकी सबसे पसंदीदा चर्च है, जहां वह अक्सर जाते रहते थे.

क्या तीन परत वाले कॉफिन में नहीं रखा जाएगा पोप का शरीर?
नोवेन्डिएल की अवधि के दौरान फ्रांसिस को पोप के कपड़े पहनाकर सेंट पीटर्स बेसिलिका ले जाया जाता है. सेंट पीटर बेसिलिका में रोम के पहले पोप सेंट पीटर को दफनाया गया था और आम तौर पर पोप के शरीर को सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे बने तहखाने वेटिकन ग्रोटोज में दफनाया जाता है. पोप फ्रांसिस की इच्छा थी कि उन्हें एक सामान्य पादरी की तरह ही दफनाया जाए और उनके शरीर को तीन कॉफिन में न रखा जाए, जो पोप के अंतिम संस्कार की एक प्रथा है. सेंट पीटर बेसिलिका में सार्वजनिक रूप से लोग पोप फ्रांसिस के अंतिम दर्शन करेंगे. 

22 पोप के दिल आज भी चर्च में संरक्षित
16वीं से 19वीं सदी के बीच पोप के अंतिम संस्कार की एक और प्रथा थी, जिसमें शरीर को संरक्षित रखने के लिए पोप के तीन अंगों को निकाल लिया जाता था. आज भी 22 पोप के दिल, लीवर, स्पलीन या तिल्ली और पेनक्रियाज संरक्षित हैं. ये अंग ट्रेवी फाउंटेन के पास एक चर्च में संगमरमर के पत्थर के कलशों में रखे गए हैं. ट्रेवी फाउंटेन 18वीं सदी में बनाया गया था. हालांकि, पोप फ्रांसिस ने 2024 में इन प्रथाओं में बदलाव कर दिया था.

लकड़ी के साधारण कॉफिन में दफनाने की पोप ने जताई थी इच्छा
पोप ने अपने अंतिम संस्कार को सरल बनाने की इच्छी जताई थी. उन्होंने तीन परतों वाले ताबूत के बजाय साधारण लकड़ी के कॉफिन में दफन करने का अनुरोध किया था और वेटिकन के बयाज रोम में शरीर दफनाने की इच्छी जताई थी. साथ ही उन्होंने अपने शरीर से किसी भी अंग को निकालने की अनुमति नहीं दी थी.

 

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